दोबारा हरे-भरे आम के पेड़ काटे गए — प्रशासनिक अनुमति के बिना जारी है पेड़ कटाई
मझौली, जबलपुर
जहां एक ओर मध्यप्रदेश सरकार “एक पेड़ माँ के नाम” जैसे अभियानों के जरिए पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर **मझौली नगर में पेड़ों की कटाई के मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे। कुछ ही दिन पहले वार्ड क्रमांक 11 में हरे भरे आम के पेड़ों की अवैध कटाई की घटना सामने आई थी, और अब फिर से इसी प्रकार एक और स्थान पर बिना किसी अनुमति के आम के पेड़ काटे गए हैं।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार पेड़ों की यह कटाई बिना किसी वन विभागीय अनुमति या नगर परिषद की स्वीकृति के की जा रही है। क्षेत्र में आम के कई वर्षों पुराने पेड़ थे, जो न केवल छांव और फल प्रदान करते थे, बल्कि स्थानीय पर्यावरण संतुलन में भी योगदान देते थे।
कहाँ है वन विभाग और नगर परिषद..?
प्रश्न यह उठता है कि यदि यह कटाई अनाधिकृत थी , तो अब तक संबंधित ठेकेदार, पार्षद, या नागरिक के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि संबंधित अधिकारी या तो मौन हैं या प्रभावशाली लोगों के दबाव में।
जनता की मांग:
1. पेड़ कटाई की स्थलीय जांच कर दोषियों के विरुद्ध FIR दर्ज की जाए।
2. जिस अधिकारी की अनुमति के बिना यह कार्य हुआ, उस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
3. प्रत्येक अवैध कटे पेड़ के बदले 10 पेड़ लगाने का आदेश दिया जाए और मौके पर निगरानी समिति नियुक्त की जाए
फोटो/वीडियो साक्ष्य भी मौजूद
स्थानीय लोगों ने कटाई के वीडियो व तस्वीरें मोबाइल में कैद की हैं, जो अधिकारियों को सौंपे जाएंगे।
यह घटना मात्र पेड़ की कटाई नहीं, बल्कि पर्यावरण और जनसंवेदना पर कुठाराघात है। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो भविष्य में पर्यावरणीय असंतुलन और सामाजिक अविश्वास बढ़ना तय है।
पर्यावरण संरक्षण, स्थानीय प्रशासनिक उदासीनता और राजनीतिक हस्तक्षेप से जुड़ा गंभीर मामला है।
स्थानीय लोगों का आक्रोश:
पेड़ काटने वाले राजनीतिक रसूख वाले लोग हैं, इसीलिए कोई कार्रवाई नहीं हो रही।
श्यामलाल पांडे, पर्यावरण कार्यकर्ता
हमारे मोहल्ले में एक ही दिन में दो बड़े आम के पेड़ काट दिए गए, किसी ने पूछा तक नहीं।
सविता यादव, वार्ड क्रमांक 11 निवासी
बच्चों ने उसी पेड़ के नीचे खेलना सीखा था, आज खाली जमीन देखकर दुख होता है।
गीता बाई ठाकुर, वरिष्ठ नागरिक