नगर परिषद मझौली की लापरवाही एक बार फिर उजागर हो रही है।
मझौली जबलपुर
पिछले वर्ष वार्ड क्रमांक 12 में जर्जर दीवार गिरने से अशोक दाहिया और उनकी पत्नी विमला बाई दासियां की मौत हो चुकी है। इस दर्दनाक हादसे ने नगर परिषद की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि घटना के बाद भी नगर परिषद मझौली द्वारा आज तक न तो जर्जर भवनों को गिराने की कार्रवाई की गई और न ही उन्हें चिन्हित कर परिवारों को सुरक्षित स्थान पर विस्थापित किया गया।
लोगों का कहना है कि नगर परिषद के अधिकारी-कर्मचारी मानो किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे हैं।
जिम्मेदारी से बचते नगर परिषद के अधिकारी
नगर परिषद मझौली को बार-बार शिकायतें मिलने पर , जर्जर भवनों की सूची तैयार नहीं की गई। न ही मकान मालिकों को नोटिस जारी कर भवन खाली कराने की कार्रवाई हुई। जबकि, नियमों के अनुसार जर्जर और असुरक्षित भवनों को तुरंत चिन्हित कर गिराना अनिवार्य है।
स्थानीय नागरिकों ने जिला प्रशासन और कलेक्टर से गुहार लगाई है कि नगर परिषद मझौली पर कार्रवाई की जाए और जल्द से जल्द जर्जर भवनों को गिराकर विस्थापन की व्यवस्था की जाए, ताकि किसी और परिवार की जिंदगी खतरे में न पड़े।