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Friday, June 20, 2025

सामाजिक समरसता के भाव को जीवन में उतारने की जरूरत : राज्यपाल श्री पटेल

संविधान के उचित अनुपालन से ही समाज का समग्र विकास संभव: डॉ. बरतूनिया

बाबा साहेब के विचारों के अनुपालन से ही समावेशी राष्ट्र का निर्माण संभव : डॉ. मोहन यादव

ब्राउस का चतुर्थ दीक्षांत समारोह संपन्न

जबलपुर, 26 नवम्बर, 2022

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि विश्वविद्यालय सदैव ज्ञान का केंद्र रहे हैं। इनका काम मात्र डिग्री प्रदान करना नहीं, बल्कि युवाओं को देश की एकता, अखंडता, राष्ट्र निर्माण और विकास का कर्णधार बनाना है। शिक्षा संस्थानों को सुदृढ़, अखण्ड और विकसित राष्ट्र निर्माण के लिए सही रास्ता दिखाने एवं मार्गदर्शन का काम करना चाहिए। राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा वंचित वर्ग के कल्याण पर विशेष जोर दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री के आहवान पर राज्य में अनुसूचित जनजाति के जननायकों को चिन्हित कर उचित सम्मान देने का कार्य किया जा रहा है। विश्वविद्यालय उच्च गुणवक्तापूर्ण शोध एवं शिक्षण को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य करें। राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री मंगुभाई पटेल डॉ. बी.आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय के चतुर्थ दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि मेरी अपेक्षा है कि विश्वविद्यालय समाज के साथ जुड़ कर, सामुदायिक विकास तथा युवाओं में अधिक और सशक्त नेतृत्वशीलता विकसित कर शाश्वत विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति में सक्रिय योगदान करें। राज्यपाल ने स्नातकों द्वारा ली गयी प्रतिज्ञा को उद्धृत करते हुए मादक पदार्थों के सेवन और भ्रष्टाचार से दूर रहने की बात कही। उन्होंने कहा कि हमें सामाजिक समरसता के भाव को जीवन में उतारने की जरुरत है। बाबा साहेब अम्बेडकर के जीवन-दर्शन को आत्मसात कर एक स्वस्थ समाज की स्थापना करने की आवश्यकता है। विश्वविद्यालय उपलब्ध भौतिक संसाधनों का समुचित उपयोग करते हुए समाज के कमजोर वर्गों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर, शासन द्वारा चलायी जा रही कल्याणकारी योजनाओं को उनके लक्षित समूह तक पहुँचाने में महती भूमिका अदा करेगा। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि युवाओं को आगे आकर भारत के गौरवशाली अतीत को पुनर्स्थापित करने की शुरूआत करनी चाहिए। तत्कालीन सामाजिक एवं जातिगत बुराइयों से निकल कर भारत को कैसे आगे ले जाना है, इस चिंता को साकार रूप देने में बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हमारा संविधान सदैव लोकमत एवं राष्ट्रहित की बात करता है। संविधान की मूल प्रति में अंकित चित्रों की प्रदर्शनी लगाने की आवश्यकता है, जिससे आमजन संविधान की मौलिकता से परिचित हो सके। डॉ. अम्बेडकर विश्वविद्यालय का विस्तार देश और प्रदेश में करना पहली प्राथमिकता पर है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के रूप में लागू किया जाना प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का अहम् कार्य रहा है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा और नवोन्मेषी पाठ्यक्रमों को शुरू करने सहित कृषि शिक्षा को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाना चाहिए। संस्कृति, पर्यटन एवं अध्यात्म मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने कहा कि विश्वविद्यालय राष्ट्रहित की संस्था है। समस्याओं का समूल निदान मिल कर करने की जरुरत है। शपथ एक साधना है। दीक्षा उपादान से प्राप्त ज्ञान को प्रज्ञान में बदलने की जरुरत है।

बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय, लखनऊ के कुलाधिपति डॉ. प्रकाश सी. बरतूनिया ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर ने भारतीय समाज के विषय में अनेक मौलिक अवधारणाएँ प्रस्तुत की हैं। वे भारतीय समाज को अविछिन्न और अखंड देखना चाहते थे। डॉ. अम्बेडकर ने समाज की भौतिक परिस्थितियों को पहचानते हुए सामाजिक-आर्थिक समानता तथा विभिन्न वर्गों के बीच सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास किया। उपाधि प्राप्त करके जब आप अपने कर्म-पथ पर चले तो प्रत्येक अवसर पर आपके व्यक्तित्व और कृतित्व में इस धरा और इस संस्था की अतुलनीय विरासत और छवि अवश्य दिखें। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डी.के. शर्मा ने कहा कि शिक्षा, समाज की उन्नति एवं सभ्यता की प्रगति की आधारशिला है। विश्वविद्यालय केंद्रित शिक्षा का मूलभूत उद्देश्य जीवन मूल्यों को विकसित कर संस्कारों को परिष्कृत करना है। इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिये डॉ. अम्बेडकर विचार एवं दर्शन अध्ययनशाला, सामाजिक विज्ञान एवं प्रबंधन अध्ययनशाला, कृषि एवं ग्रामीण विकास अध्ययनशाला, शिक्षा एवं कौशल विकास अध्ययनशाला तथा विधि एवं सामाजिक न्याय अध्ययनशाला एवं शोध, प्रसार और प्रशिक्षण निदेशालय द्वारा अनुसंधान केंद्रित अध्ययन-अध्यापन का कार्य अनवरत किया जा रहा है। विश्वविद्यालय शिक्षा और सामाजिक समरसता को लेकर बाबा साहब के विचारों और सपनों को आगे बढ़ाने संकल्पित है। दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति द्वारा विभिन्न अध्ययनशालाओं के पीएच.डी. एवं एम.फिल. के 48 शोधार्थियों को उपाधि प्रदान की गयी। साथ ही सत्र 2021-22 में उत्तीर्ण स्नातकों को उपाधि देने की अनुमति प्रदान की गयी। न्यायाधीश दानसिंह स्मृति कुलपति पदक स्नातक की छात्रा शारदा विश्वकर्मा को प्रदान किया गया। समारोह में ‘दीक्षांत स्मारिका’ सहित विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित तीन पुस्तकों डॉ. बी.आर. अम्बेडकर समतामूलक शिक्षा और समाज, जैन संस्कृति और संस्कार एवं सामाजिक समरसता और संत साहित्य का लोकार्पण किया गया। मानद आचार्य प्रो. स्नेहलता श्रीवास्तव द्वारा रचित एवं आलोक बाजपेई द्वारा संगीतबद्ध कुलगीत का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम का आरंभ और समापन संगीतमय राष्ट्रगान के साथ हुआ। अतिथियों के विश्वविद्यालय आगमन पर सेना बैंड, एन.सी.सी. तथा एन.एस.एस कैडेट्स द्वारा गॉड ऑफ ऑनर दिया गया। विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार एवं परिसर में स्वाधीनता आंदोलन के जनजातीय नायक एवं नायिकाओं का जीवनवृत्त चित्र सहित प्रतिस्थापित कर अनावरित किया। दीक्षांत में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. रेणु जैन सहित विश्वविद्यालय परिवार के प्रोफेसर्स और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

सुंदरलाल बर्मनhttps://majholidarpan.com/
Sundar Lal barman (41 years) is the editor of MajholiDarpan.com. He has approximately 10 years of experience in the publishing and newspaper business and has been a part of the organization for the same number of years. He is responsible for our long-term vision and monitoring our Company’s performance and devising the overall business plans. Under his Dynamic leadership with a clear future vision, the company has progressed to become one of Hindi e-newspaper , with Jabalpur district.

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