नगर परिषद मझौली में कार्यरत एक अधिकारी द्वारा सार्वजनिक आम रास्ते पर कब्जा किए जाने की खबर सामने आई है,
मझौली जबलपुर
हैरानी की बात यह है कि नगर परिषद खुद इस अवैध कब्जे को हटाने में नतमस्तक नजर आ रही है। इससे न सिर्फ शासन की साख पर सवाल खड़े हो रहे हैं, बल्कि आम नागरिकों का रास्ता और अधिकार भी बाधित हो रहा है।
प्रकरण की स्थिति:
* सार्वजनिक रास्ते पर स्थायी निर्माण/बाड़ाबंदी की गई है।
* स्थानीय नागरिकों की बार-बार शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं।
* कब्जा हटाने की बजाय नगर परिषद के अधिकारी मौन हैं मानो संरक्षण प्रदान कर रहे हों।
प्रशासनिक निष्क्रियता या मिलीभगत….?
* अवैध कब्जा हटाने के लिए न तो नोटिस जारी हुआ, न ही मौका पंचनामा।
* नगर परिषद अधिनियम की धारा 223 के तहत अधिकारी कार्रवाई करने के लिए बाध्य हैं फिर भी चुप्पी क्यों?
जनता की माँग:
1. अधिकारी द्वारा किए गए कब्जे की तत्काल निष्पक्ष जांच हो।
2. आम रास्ते को मुक्त कर पुनः सार्वजनिक उपयोग में लाया जाए।
3. नगर परिषद के जिम्मेदारों पर जवाबदेही तय हो।
4. भविष्य में ऐसे मामलों के लिए स्थायी जनमंच या शिकायत निवारण समिति गठित की जाए।
स्थानीय नागरिकों का आक्रोश
अगर एक अधिकारी ही कब्जा करेगा और परिषद कार्रवाई नहीं करेगी, तो आम नागरिक न्याय की उम्मीद किससे करे?”
रामबाबू यादव, वार्ड निवासी*
हमने आवेदन भी दिया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। रास्ता संकरा हो गया है, बुजुर्ग और स्कूली बच्चे तक परेशान हैं।
गौरव पटैल, स्थानीय रहवासी