रतौना में डेयरियों के लिए सभी सुविधाएं होंगी, दिसंबर के पूर्व वहां डेयरियां आरंभ करें पशुपालक- मंत्री भूपेंद्र सिंह
सागर
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह ने सागर जिला पशुपालक संघ के प्रतिनिधि मंडल से भेंट कर डेयरी विस्थापन में आ रहे सभी गतिरोधों को शीघ्रता से दूर करने का आश्वासन दिया और पशुपालकों से आग्रह किया कि वे शीघ्रता से रतौना डेयरी विस्थापन स्थल पर अपने निर्धारित स्थलों पर पहुंच कर कब्जा सुनिश्चित करें।
जिला पशुपालक संघ के अध्यक्ष देवकी नंदन यादव के नेतृत्व में कार्यालय पहुंच कर अपनी समस्याओं के बाबत चर्चा की। मंत्री श्री सिंह ने प्रतिनिधि मंडल को आश्वासन दिया कि रतौना डेयरी स्टेट में पशुपालकों की आवश्यकता के अनुरूप पानी की टंकी निर्मित की जा सकती है, और अतिरिक्त ट्यूबवेल बनवाए जा सकते हैं। मंत्री श्री सिंह ने कहा कि यह सुनिश्चित कर लिया गया है कि विस्थापन स्थल पर पशुपालकों को पाइपलाइन से प्लांट पर पर्याप्त पानी पहुंचाया जाएगा , उन्हें पानी की कमी नहीं होने दी जाएगी।
मंत्री श्री सिंह ने कहा कि डेयरी स्थल पर उपलब्ध प्लाट की वास्तविक कीमत 97.50 रुपए प्रति वर्ग फुट है लेकिन पशुपालकों को मात्र 20 रुपए वर्ग फुट की सस्ती दर पर प्लाट उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इस राशि को भी किश्तों में भुगतान किया जा सकता है यह विकल्प भी दिया गया है। पशुपालकों की मांग पर मंत्री श्री सिंह ने यह भी आश्वासन दिया है कि उन्हें शेड, प्लेटफार्म आदि आधारभूत संरचना बनाने के लिए बैंकों से ऋण की सुविधा उपलब्ध कराए जाने का प्रयास किया जाएगा।
मंत्री श्री सिंह ने पशुपालकों के प्रतिनिधि मंडल को बताया कि स्थल पर उपलब्ध प्लाट विभिन्न आकारों के हैं। पशुपालक अपनी पशुसंख्या के अनुरूप आवश्यकतानुसार आकार का प्लाट चयन कर सकते हैं। अभी डेयरियों की संख्या के मुताबिक फेज -1 में पर्याप्त प्लाट उपलब्ध हैं। दिसंबर की विस्थापन अवधि के बाद फेज -2 से और विस्तार किया जा सकेगा। मंत्री श्री सिंह ने पशुपालकों से आग्रह किया कि यह अवसर है जब पशुपालकों की आंकाक्षाओं और उनसे विमर्श करके सुविधाओं की उपलब्धता हो रही है जिसका लाभ उठाते हुए पशुपालकों को शीघ्रता से रतौना में अपना व्यवसाय आरंभ कर देना चाहिए ताकि सामने आने वाली हर व्यवहारिक कठिनाई को सहानुभूति पूर्वक निराकरण किया जा सके। मंत्री श्री सिंह ने यह भी बताया कि अन्य सभी शहरों में डेयरियों के विस्थापन का कार्य हो चुका है। हाईकोर्ट भी इस विषय पर संवेदनशील है। निर्धारित अवधि के पश्चात न्यायालयीन आदेशों के परिपालन में अनिवार्य रूप से विस्थापन की प्रक्रिया सुनिश्चित करने पर विवश होना होगा।