बिना लाइसेंस, बिना नियम — मझौली में मौत बांट रहे ‘क्लीनिक’
कचरे से संक्रमण और डॉक्टरों से खतरा — मझौली में लापरवाही चरम पर
मझौली (जबलपुर)
नगर मझौली में स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर चल रहा खेल अब उजागर होने लगा है। सूत्रों के अनुसार, नगर में कई सोनोग्राफी सेंटर, दंत चिकित्सालय और नेत्र चिकित्सालय बिना वैध एनओसी (NOC) बिना स्वास्थ्य विभाग से पंजीकरण, और कचरा निस्तारण जैसे जरूरी नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए बेखौफ संचालित हो रहे हैं। आश्चर्यजनक रूप से यह सब कुछ स्वास्थ्य विभाग की मौन सहमति और मिलीभगत से हो रहा है।
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इन कथित “चिकित्सालयों” में न तो प्रशिक्षित डॉक्टरों की उपलब्धता की कोई गारंटी है, और न ही वहां साफ-सफाई व बायोमेडिकल वेस्ट निस्तारण का कोई ठोस इंतजाम। मेडिकल कचरा खुले में फेंका जा रहा है, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा लगातार बना हुआ है।
गंभीर अनियमितताएं: बिना NOC और पंजीयन के चल रहे संस्थान
नर्सिंग होम एक्ट व क्लीनिकल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट का खुलेआम उल्लंघन
मेडिकल वेस्ट का अवैज्ञानिक निस्तारण — संक्रमण फैलने का खतरा
झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा मरीजों का इलाज — मरीजों की जान से खिलवाड़
स्वास्थ्य विभाग का निरीक्षण व कार्रवाई पूरी तरह गायब
स्थानीय लोगों का कहना है कि हर महीने “किसी को” बंधी रकम पहुँचती है, जिसके बदले यह गैरकानूनी धंधा प्रशासन की आंखों के सामने फलता-फूलता रहता है। कुछ जगहों पर तो सोनोग्राफी जैसी तकनीकी सेवाएं ऐसे लोगों द्वारा संचालित हो रही हैं, जिन्हें अल्ट्रासाउंड मशीन चलाने का कोई लाइसेंस ही नहीं है।
एक सामाजिक कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “जब भी हम शिकायत करते हैं, तो जांच टीम भेजने का आश्वासन मिलता है, लेकिन हफ्तों तक कोई नहीं आता। और जब आता भी है, तो पहले से सूचना पहुंच जाती है। साफ है कि पूरा सिस्टम इसमें मिला हुआ है।”
लेकिन नगर मझौली में इन नियमों की खुलकर अनदेखी की जा रही है।
इन अवैध चिकित्सालयों की तत्काल जांच और सीलिंग
दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर कठोर विभागीय कार्रवाई
* नगर में स्वास्थ्य सेवाओं को कानूनी दायरे में लाने के लिए विशेष अभियान