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Saturday, June 21, 2025

मध्यप्रदेश में नीतिगत नहीं राजनीतिक है माझी जनजाति आरक्षण का मामला

प्रदेश सहित देश में माझी निषाद समाज के पर्याय नामों को आरक्षण के अंतर्गत स्वीकृति को लेकर बिहार,उत्तरप्रदेश सहित मध्यप्रदेश में काफी लंबे समय से सड़कों से लेकर संसद तक मांग उठ चुकी हैं

अमर नोरिया ( पत्रकार ) नरसिंहपुर

उत्तरप्रदेश व मध्यप्रदेश में राज्य और केंद्र में बीजेपी की सरकार होने के बाद भी उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश व बिहार सरकारों के द्वारा केंद्र को भेजे गये प्रस्ताव संवेधानिक प्रक्रिया का हवाला देते हुए अमान्य हो गये हैं,

जबकि कुछ इसी तरह के एक मामले में पूर्व में सरकार की पहल पर तमिलनाडु सरकार के द्वारा भेजे गये सात जातियों को एक नाम ” देवेंद्रकुल बेल्लार ” के तहत समाहित कर स्वीकार कर लिया गया था, अभी कुछ समय पूर्व ही छतीसगढ़ की एक दर्जन जातियों को जनजाति की सूची में शामिल किया गया तो 2019 में संसद के माध्यम से लाये गये सामान्य वर्ग के लोगों को आर्थिक आधार पर आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट की 5 न्यायाधीशों की बेंच ने नवम्बर 2022 में स्वीकृति प्रदान की । मध्यप्रदेश में भी जनजाति की सूची के सरल क्रमांक 29 पर दर्ज माझी जाति और उसकी पर्याय ढीमर,भोई,केवट, कहार, मल्लाह निषाद आदि को जनजाति के अधिकार मिल सके इसकी मांग मध्यप्रदेश में पिछले -30 वर्ष से लगातार की जा रही है ,इतना सब होने के बाद भी सरकार की नीतियों का लाभ हमें प्रमुखता से नहीं मिल रहा है जिससे हमारे समाज के लोग आर्थिक, सामाजिक रूप से पिछड़ेपन की कगार पर आ गये हैं । मध्यप्रदेश में माझी जनजाति की पर्याय ढीमर,भोई,केवट, कहार, मल्लाह,निषाद आदि को जनजाति की सुविधाओं का लाभ मिलने का मामला अब तक की शासन और प्रशासनिक स्तर पर की गई कार्यवाही से लगता है कि नीतिगत न होकर मुख्य रूप से राजनीतिक मसला है और बहुत कुछ हद तक इसकी पुष्टि 1992 में जबलपुर में आयोजित माझी महाकुंभ,भोपाल में आयोजित की मछुआ पंचायत और उसके बाद बीजेपी द्वारा अपने चुनावी घोषणा पत्रों में वर्ष 2008 व 2013 के चुनावी संकल्प पत्र में माझी जनजाति की पर्याय उपजतियों को जनजाति की सुविधाएं दिलाने सहित मत्स्य पालन की योजनाओं के नाम पर लाभ दिलाने को सम्मिलित किये जाने को लेकर भी की जा सकती है । माझी जनजाति की सुविधाओं और ढीमर,भोई,केवट, कहार आदि के प्रमाणपत्रों बनने और न बनने और 1 जनवरी 2018 के आदेश के तहत 2005 के पहले तक माझी जनजाति के पर्याय नामों के प्रमाणपत्रों की वैधता व मान्यता भी राजनीतिक दलों के नफा नुकसान को देखकर ही तय कर जारी किया गया है । मध्यप्रदेश में 2018 में जब सत्ता से बेदखल हुई बीजेपी सरकार एक बड़े दलबदल के चलते प्रदेश की सत्ता में वापिस आई,किन्तु जरूरी बहुमत को लेकर 28 जगह हुए उपचुनाव में बीजेपी ने माझी की पर्याय ढीमर,केवट, कहार, मल्लाह आदि के वोटबैंक को ध्यान में रख हमारे अपने लोगों के माध्यम से भरोसा व विश्वास दिलाया यहां तक कि माझी जनजाति के मामले को लेकर खुले मंच से मुख्यमंत्री जी से भोपाल में जाकर बातचीत तक करने की बात कही गई और उपचुनाव के पहले मध्यप्रदेश में माझी आरक्षण को लेकर जो राजनीतिक लाभ बीजेपी लेना चाहती थी उसी तरह का लाभ वह 2008 व 2013 के विधानसभा चुनावों में भी माझी जनजाति की सुविधाओं को देने के नाम पर ले चुकी है । इसके बाद अब प्रदेश सरकार में आगे आकर कोई मंत्री या स्वयं मुख्यमंत्री जी भी जिन्होंने माझी आरक्षण की मांग को लेकर उपचुनाव के पहले चंबल सम्भाग में अपने हाथों ज्ञापन स्वीकार किये थे व पृथ्वीपर उपचुनाव में जो वादा किया था उसको लेकर शासन स्तर पर माझी समाज के लोगों को कोई लाभ मिलता नजर नहीं आ रहा है और इतना सब होने पर लगता है कि मध्यप्रदेश में माझी जनजाति का मामला नीतिगत न होकर विशुद्ध राजनीतिक है और मध्यप्रदेश के सभी जागरूक माझियों को चाहिये कि आनेवाले 2023 व 2024 के पहले ” माझी के संवेधानिक हक और अधिकार ” को सामने रखकर राजनीतिक एकजुटता के रूप से आगे बढ़े तभी हम माझी जनजाति के पर्याय नामों को जनजाति की सुविधाओं के अधिकार को पा सकते हैं अन्यथा राजनीतिक दल हमें कोरे आश्वासन लोक लुभावन वादे उनके अपने अपने दलों में सदस्यता लिये लोगों के माध्यम से दिलाते रहेंगे और हम बस टकटकी लगाकर कई वर्षों तक फिर इंतजार करते रहेंगे।

सुंदरलाल बर्मनhttps://majholidarpan.com/
Sundar Lal barman (41 years) is the editor of MajholiDarpan.com. He has approximately 10 years of experience in the publishing and newspaper business and has been a part of the organization for the same number of years. He is responsible for our long-term vision and monitoring our Company’s performance and devising the overall business plans. Under his Dynamic leadership with a clear future vision, the company has progressed to become one of Hindi e-newspaper , with Jabalpur district.

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