मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी माझी जनजाति के पर्याय नामों ढीमर, भोई,केवट, कहार, मल्लाह, निषाद आदि के आरक्षण के खिलाफ है,अब यह बातें धीरे धीरे समाज के सामने आने लगी हैं ।
सोशल मीडिया पर वायरल हुई समाज के वरिष्ठ समाजसेवी श्री उमाशंकर रैकवार जी इंदौर की पोस्ट से विधानसभा चुनाव वर्ष 2008 के चुनावी घोषणा पत्र में भाजपा द्वारा माझी के पर्याय ढीमर,भोई, केवट, कहार ,मल्लाह निषाद आदि को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल किए जाने की बात को लेकर भी बड़ी बात सामने आई है जबकि मध्यप्रदेश में माझी अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल है । इसी तरह माझियों के आरक्षण के खिलाफ प्रदेश में भाजपा ने 1 जनवरी 2018 को जिस तरह से माझी की उपजातियों और उसके पर्याय नाम से जारी किए गये आदेश पर वर्ष 2005 तक की समय सीमा निर्धारित कर उन्हें संरक्षण प्रदान किया है और 2005 के बाद माझी के पर्याय नामों पर जिस तरह से रोक लगाई गई है उससे यह लगता है कि भाजपा माझियों के आरक्षण के खिलाफ है । गौरतलब और महत्वपूर्ण बात यह है कि 1 जनवरी 2018 के आदेश के बाद भी मध्यप्रदेश के कुछ ऐसे जिले हैं जहां पर आज भी माझी के पर्याय नामों और माझी समाज के अन्य जो रिश्तेदार हैं जो पिछड़ा वर्ग की सूची में आते हैं उनके ही कुछ सगे संबंधियों और नातेदारों के प्रमाण पत्र अनुसूचित जनजाति के तहत मध्य प्रदेश के राजस्व विभाग द्वारा जारी किए जा चुके हैं ऐसे में यह लगता है कि आखिर एक ही जाति के रिश्तेदारों और सम्बन्धियों के बीच अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग की नीति अपना कर कहीं यह सामाजिक सम्बन्धियों को एक दूसरे के खिलाफ करने का यह प्रयास तो नहीं है ? आरक्षण के साथ ही भाजपा ने वर्ष 2012 में भोपाल में आयोजित मछुआ पंचायत में की गई घोषणा के आधार पर मध्यप्रदेश के राजस्व विभाग द्वारा जारी आदेश दिनांक 24 मई 2012 के तहत नदी तटों,तालाबों से निकली भूमि को डंगरा कलिंदे लगाने पट्टे पर दिए जाने के जारी आदेश के बाद मध्यप्रदेश के माझी समाज के लोगों को रेतवाड़ी के पट्टे न दिया जाना वर्षों से प्रदेश की सत्ता में बैठी बीजेपी सरकार का माझी समाज के लोगों के साथ बड़ा अनीतिपूर्ण कार्य है जो एक साजिश के तहत किया जा रहा है और दिखावे के नाम पर बीजेपी अपने आपको माझियों के हितैषी होने का दावा करते हुए केवल समाज का राजनीतिक उपयोग कर रही है । मध्यप्रदेश में जारी जनजागरण अभियान के तहत हम 1 जनवरी 2018 के आदेश और मछुआ पंचायत 2012 में की गई घोषणा के बाद जारी आदेशों की हकीकत समाज के जन जन तक पहुंचा कर समाजजनों को सच्चाई से अवगत करायें और समाज को वंशानुगत रोजगार के साधन उपलब्ध हों इसका एकजुटता से समर्थन और सहयोग करें ✍🏾 अमर नोरिया (पत्रकार)
नरसिंहपुर