नगर परिषद मझौली में मुख्यमंत्री अधोसंरचना उन्नयन विकास योजना के अंतर्गत बनाई गई सीसी रोड आज जनता के लिए मुसीबत बन चुकी है।
मझौली जबलपुर
सड़क निर्माण के कुछ ही महीनों के भीतर जगह-जगह गड्ढे और दरारें साफ दिखने लगी हैं।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि –
* कहीं भी योजना का बोर्ड नहीं लगाया गया।
* न राशि का उल्लेख किया गया।
* जनता को यह तक पता नहीं कि सड़क किन शर्तों पर बनी और किस गुणवत्ता परीक्षण से पास हुई।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह पूरा काम केवल कागजों पर दर्ज गुणवत्ता का था, जबकि जमीन पर घटिया सामग्री का उपयोग किया गया। इससे करोड़ों रुपए का बंदरबांट नगर परिषद इंजीनियर अमित बघेल और ठेकेदार की मिलीभगत से हुआ है।
क्या कहती है नगर की जनता
* “हमने सड़क बनने पर राहत की उम्मीद की थी, लेकिन अब हर दिन धूल, गड्ढे और टूट-फूट से परेशानी झेलनी पड़ रही है।”
* “अगर करोड़ों रुपए खर्च हुए तो फिर सड़क ऐसी क्यों है कि पहली बारिश में ही बह गई?”
प्रश्न प्रशासन से
* आखिर बिना बोर्ड लगाए और बिना राशि का उल्लेख किए काम क्यों कराया गया?
* क्या गुणवत्ता परीक्षण की कोई रिपोर्ट जनता के सामने रखी गई?
* ठेकेदार और इंजीनियर पर अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
यह साफ है कि मझौली नगर परिषद में भ्रष्टाचार और जवाबदेही की कमी ने आम जनता को ठगा है। मुख्यमंत्री अधोसंरचना उन्नयन योजना, जिसका उद्देश्य विकास था, वह अब लूट की योजना में बदलती दिखाई दे रही है।