नगर परिषद मझौली कार्यालय से सटे अतिक्रमण ने न केवल नगर परिषद की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता को भी उजागर कर दिया है।
मझौली, जिला जबलपुर (म.प्र.)
तिथि: 18 सितंबर 2025
नगर परिषद कार्यालय की बाउंड्री से सटे अतिक्रमण अस्थायी दुकानें, अवैध निर्माण और सड़कों पर फैलते निजी व्यवसाय। आश्चर्य की बात यह है कि जिस स्थान से पूरे शहर की नगर व्यवस्था संचालित होती है, वहीं पर सबसे ज्यादा अव्यवस्था देखने को मिल रही है।
स्थानीय नागरिकों ने बताया कि इस अतिक्रमण को लेकर कई बार नगर परिषद को लिखित शिकायत दी गई, परंतु अधिकारियों की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
नगर परिषद के मुख्य नगरपालिका अधिकारी सीएमओ श्री नीतू सिंह से जब इस मामले में पूछा गया, तो उन्होंने संक्षिप्त जवाब दिया “कार्रवाई की प्रक्रिया जारी है।”
हालांकि, यह “प्रक्रिया” पिछले कई महीनों से चल रही है, पर जमीनी हकीकत में किसी भी तरह का सुधार नहीं दिख रहा।
अतिक्रमण के चलते नगर परिषद के पास की सड़क पर वाहनों की आवाजाही कठिन हो गई है। स्कूली बसों, एम्बुलेंस और रोज़मर्रा के वाहन चालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिससे नागरिकों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ रही है।
अब देखना यह है कि क्या नगर परिषद मझौली जनता की आवाज़ सुनकर ठोस और पारदर्शी कार्रवाई करेगी, या फिर इस मुद्दे को भी बाकी फाइलों की तरह “लंबित प्रक्रिया” का हिस्सा बना देगी।
यह मामला न केवल मझौली की प्रशासनिक निष्क्रियता को उजागर करता है, बल्कि यह सवाल भी उठाता है कि क्या नगर परिषद अपने ही कार्यालय के बाहर व्यवस्था नहीं बना सकती, तो पूरे शहर को कैसे व्यवस्थित करेगी?
स्थानीय निवासी श्री रमेश पटेल (वार्ड क्रमांक 8) ने बताया,कि “नगर परिषद कार्यालय की बाउंड्री से सटे अवैध कब्ज़े हैं, लेकिन प्रशासनिक अमला चुप है। हम आम नागरिकों से तो नियमों की पालना करवाई जाती है, मगर अपने दरवाज़े के आगे की गंदगी पर कोई ध्यान नहीं देता।”
कई अन्य नागरिकों का कहना है कि यह पक्षपातपूर्ण रवैया अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और वे जल्द ही जनआंदोलन की योजना बना रहे हैं।
✍️ रिपोर्ट: सुंदर लाल बर्मन
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