जीवन में संख्या नहीं गुणवत्ता महत्वपूर्ण- जया किशोरी जी
सागर
जयाकिशोरी जी ने सागर को आनंद से भर दिया, उनकी सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन करेंगे- मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह
सागर। भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से हमें सीख मिलती है कि बाहर की परिस्थितियां हमारे अंतस को प्रभावित न कर सकें और हम विपरीत परिस्थितियों में भी सदैव मुस्कुराते रहें। वे पूर्ण अवतार हैं जीवन को हंसते, नृत्य करते, मुरली बजाते हुए जीने को प्रेरित करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण यह भी सिखाते हैं कि जीवन में कभी संख्या की तरफ मत भागो सदैव गुणवत्ता को चुनो। यह प्रेरणादायी वचन सुश्री जयाकिशोरी जी ने यहां आयोजित आध्यात्मिक सत्र में व्यक्त किए।
शंकरगढ़ में आयोजित आध्यात्मिक वक्ता जयाकिशोरी जी के ‘श्रीकृष्ण जी के जीवन से सीख’ विषय पर हुए आध्यात्मिक सत्र में मुख्य अतिथि नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह व सुश्री जयाकिशोरी जी ने दीप प्रज्वलन कर सत्र का आरंभ किया। मंत्री श्री सिंह ने हजारों की संख्या में पधारें श्रद्धालुओं के साथ जया जी के प्रवचनों को सुना और श्रद्धालुओं के साथ जयाकिशोरी जी के भजनों पर भावविभोर होकर नृत्य किया। जयाजी ने अपने लोकप्रिय भजनों को प्रवचन के मध्य और पश्चात सुना कर श्रद्धालुओं को भावों से भर दिया। युवा, महिलाएं, बुजुर्ग सभी नृत्य करने से स्वयं को रोक नहीं सके।
सुश्री जयाकिशोरी जी ने कहा कि गीता जी एक जादुई पुस्तक है। युवाओं से मेरा निवेदन है कि वे इसे बार बार पढ़ा करें। मैं स्वयं नौ बार गीता जी पढ़ चुकी हूं और हर बार उसके श्लोकों से नया अर्थ प्रकट हो जाता है। यह पुस्तक जीवन बदल देती है। उन्होंने कहा कि जब भी जीवन में कभी दुविधा या संकट आए तब गीता जी को खोल कर पढ़ना शुरू कर दीजिए। आप पाएंगे कि जो भी श्लोक आपने पढ़ना आरंभ किया उसी में आपकी दुविधा का हल और संकट का समाधान मिलने लगा।
जयाजी ने कहा कि सनातन का हर शास्त्र और ग्रंथ प्रश्न करना, जिज्ञासा करना सिखाता है। हम सभी को प्रश्न उठाते रहना चाहिए बस इतना ध्यान रहे कि किसी से जिज्ञासा करते हुए समर्पण, श्रद्धा का भाव हो और मर्यादा बनी रहे। अर्जुन ने भी भगवान श्री कृष्ण के समक्ष प्रश्न करने के पहले कहा था कि मैं आपके प्रति समर्पित हूं और मेरी यह जिज्ञासाएं हैं। माता पिता को भी चाहिए कि वे अपने बच्चों को समय दें और उनकी छोटी से छोटी जिज्ञासाओं का समाधान बताएं।
जया जी ने कहा कि गुरू वह जो परम मुक्ति का यानि भगवान से जोड़ने का मार्ग प्रशस्त करे। आज कल लोग ऐसे हो गये हैं कि वे भगवान की ओर जाने के बजाए गुरु को भगवान से बड़ा बना कर उन्हें ही पूजने लगते हैं। जबकि उचित यह है कि गुरु परख कर बनाएं अन्यथा सीधे भगवान से जुड़ें। उन्होंने कहा कि शास्त्र बताते हैं कि भगवान की नकल नहीं करना है उनसे सीखना है।
सत्र के समापन पर मुख्य अतिथि मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि आज जया जी ने इतने सीमित समय में हम सभी को समझा दिया कि श्रीमद्भागवतजी व गीता जी का जीवन में क्या महत्व है। भगवान पूजा से ज्यादा भक्ति और भजन से प्रसन्न होते हैं। मंत्री श्री सिंह ने कहा कि हम सबने यहां प्रत्यक्ष अनुभव कर लिया कि मंत्रोच्चार और भजन हमारे मन और आत्मा को मुक्त कर देते हैं और तनाव रहित कर देते हैं। जीवन में नकारात्मकता समाप्त हो जाती है और सकारात्मकता व्यापत हो जाती है। उन्होंने कहा कि गीताजी के अध्ययन और श्रवण से मृत्यु का भय चला जाता है।
मंत्री श्री सिंह ने कहा कि जयाकिशोरी जी पर श्रीमद्भागवत गीता जी और सरस्वती जी की साक्षात कृपा है। उनको सुनने से इनका मर्म समझ में आ जाता है। मंत्री श्री सिंह ने कहा कि आज जया किशोरी जी ने सागर को आनंद से भर दिया। हम कोशिश करेंगे कि अब सागर में आदरणीय जया किशोरी जी की सात दिवसीय कथा हो। उन्होंने कहा कि जीवन में धन के पीछे भागना व्यर्थ है सिर्फ परोपकार, सेवा ही सार्थक है। मंत्री श्री सिंह ने कार्यक्रम के आयोजक राहुल साहू को इस भावपूर्ण आयोजन के लिए आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के आयोजक राहुल साहू ने स्मृति चिन्ह देकर जया किशोरी जी व मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह का अभिनंदन किया। श्री साहू ने विनम्रतापूर्वक प्रत्येक श्रद्धालु की सुविधा और सम्मान का ध्यान रखा और सबका आभार माना।
कार्यक्रम में खनिज विकास निगम के उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह मोकलपुर, महापौर प्रतिनिधि डा सुशील तिवारी, विधायक प्रदीप लारिया, पृथ्वी सिंह, निगम परिषद अध्यक्ष वृंदावन अहिरवार, पं सुखदेव मिश्रा, नेवी जैन, सहित अनेक पार्षदों, जनप्रतिनिधियों व गणमान्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया।