बौद्ध धम्म की क्या पहचान।
मानव –मानव एक समान।।
बुद्धिज़्म का सार
बुद्धिज़्म को समझने के लिए आप बस निम्नलिखित के एक एक शब्द का सही अर्थ के साथ समझ ले।
प्रिय धम्मबंधुओ, किसी भी अन्य धर्म/जाती/संप्रदाय में कमियां खोजने या बुराई करने से बेहतर है ऊल जलूल रीति रिवाजों, मान्यताओं, परंपराओ, आडंबर, पाखंड को त्यागकर *तथागत बुद्ध, संत रविदास, संत कबीर, फुले, पेरियार, ओशो* की वास्तविक शिक्षाओं का अधिकाधिक प्रचार प्रसार करें। बुद्ध, धम्म व संघ को शरणागत होकर पंचशील व प्रमिताओ का पालन करते हुए अष्टांगिक मार्ग पर चलकर बाबा साहब की 22 प्रतिज्ञाओ को अपनाकर, अपने जीवन को सुगम, सरल, सामाजिक, मानवतावादी, तर्कशील व वैज्ञानिक बनाए। और संशोधित शिक्षा ग्रहण करके, संगठित होकर अपने हक अधिकार व सम्यक विकाश के लिए निरंतर संघर्ष करते रहे।
सबका मंगल हो।
सभी सुखी हो।
सभी निरोगी हो।
इसके लिए यथासंभव प्रयास करें।
नमोतस्य भग्वतो अरहतो सम्मासमबुद्धस्य।
नमोतस्य भग्वतो अरहतो सम्मासमबुद्धस्य।
बुद्धपुरुषा, बुद्धधम्मा, बुद्ध संघा। बुद्धेबुद्धा। अपनी दिनचर्या के हर कार्य के शुरू करने से पहले इसी को कम से कम एक बार जरूर दोहराएं।
बंदगी छोड़ साधु बुद्धपुरुषा।
दोहराने से मतलब हैं हमें हर समय अपने बुद्ध पुरुष होने, बुद्ध के राह पर चलने, बौद्धिक लोगो के संघ में रहने का परिचय देने से हैं। यानी की कभी भी अबौद्धिकता का परिचय ना दे, कभी भी अबौद्धिक राह पर ना चले और कभी भी अबौद्धिक लोगो के साथ ना रहे।