साल 2004 में ₹9,66000 की लागत से बना मझौली का स्वर्गीय मस्तराम बस स्टैंड अब तक अपने मूल उद्देश्य को नहीं पा सका है।
मझौली जबलपुर
बीते 20 वर्षों में एक भी स्थायी बस सेवा यहाँ से संचालित नहीं हो सकी।
जनता अब यह सवाल उठा रही है कि आख़िरकार यह बस स्टैंड बना किसके लिए था?
जिसका नहीं हुआ उपयोग आज तक:
• बस स्टैंड की दीवारें जर्जर हो चुकी हैं।
• अंदर सफाई, नहीं।
• स्थानीय रूट की कोई भी सरकारी या निजी बस यहाँ से नियमित रूप से संचालित नहीं होती।
प्रशासन की निष्क्रियता या उपेक्षा..?
2004 से लेकर अब तक परिवहन विभाग, नगर परिषद मझौली, और जनपद प्रशासन – तीनों में से किसी ने इस बस स्टैंड को चालू कराने की कोई गंभीर कोशिश नहीं की। RTI (सूचना का अधिकार) के तहत जानकारी माँगने पर भी अस्पष्ट जवाब मिले हैं।
• बस स्टैंड के संचालन के लिए स्थायी रूप से परिवहन बसों की व्यवस्था की जाए।
इनका कहना है
“सरकार ने तो बस स्टैंड बना दिया लेकिन संचालन की कभी सुध नहीं ली। 20 साल से जनता परेशान होती रही।
गोपाल चौधरी, वार्ड क्रमांक 6 निवासी
“स्कूल-कॉलेज, दफ्तर और अस्पताल जाने के लिए रोज़ निजी वाहनों पर निर्भर हैं, क्योंकि बस स्टैंड बेकार पड़ा है।” –
रेणुका पटैल, शिक्षिका