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Monday, February 24, 2025

MP में जज, डिप्टी कलेक्टर, प्रोफेसर और जीएसटी ऑफिसर भी लड़ना चाहते हैं चुनाव ..?

MP में 27 सीटों पर भाजपा-कांग्रेस से नौकरशाह भी दावेदार 

भोपाल

जज, डिप्टी कलेक्टर, प्रोफेसर और जीएसटी ऑफिसर भी लड़ना चाहते हैं चुनाव …

मध्यप्रदेश में इसी साल के आखिरी में विधानसभा चुनाव होने हैं। दैनिक भास्कर ने प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों के दावेदारों को लेकर मैदानी पड़ताल की तो 27 सीटों पर नौकरशाह भाजपा-कांग्रेस के स्थापित नेताओं को टिकट के लिए टक्कर देने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे चेहरों में डिप्टी कलेक्टर, डॉक्टर, प्रोफेसर, टीचर और रिटायर्ड आईपीएस भी शामिल हैं।
चुनाव में उतरने जा रहे इन नौकरशाहों की अलग-अलग रणनीति है। कुछ पद पर रहते हुए राजनीतिक दलों से साधे गए संपर्क के माध्यम से अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने की कवायद में जुटे हैं, तो कुछ जातिगत और सामाजिक संगठनों की गतिविधियों में सक्रिय होकर टिकट मांगने का आधार तैयार कर रहे हैं। एमपी की राजनीति में पहले भी ब्यूरोक्रेट्स चुनाव लड़कर विधायक-मंत्री बन चुके हैं। कुछ अभी भी सक्रिय हैं।
पढ़िए कौन कहां से कर रहा दावेदारी…
2018 में डीआईजी पद से रिटायर, बेटी कल्याणी वरकड़े वर्तमान में डीएसपी
मंडला जिले के बम्हनी निवासी आईपीएस एनपी वरकड़े अप्रैल 2018 में डीआईजी रीवा के पद से रिटायर हुए थे। बेटी कल्याणी वरकड़े पन्ना जिले के आजमगढ़ में डीएसपी हैं। रिटायर होने के बाद वरकड़े कांग्रेस में शामिल हो गए। दावा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में मंडला-डिंडौरी के आठों विधानसभा सीटों से उनका और गुलाब सिंह उईके का नाम भेजा गया था, लेकिन टिकट कमल मरावी को दे दिया गया। तब तत्कालीन सीएम कमलनाथ ने बुलाकर कहा था कि आगे ध्यान रखेंगे।
वरकड़े बताते हैं कि इसके बाद पंचायत चुनाव की तैयारी करने में लग गया। सोचा था कि जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़कर, जिला पंचायत अध्यक्ष की दावेदारी करूंगा, लेकिन ये नहीं हो पाया। प्रदेश में हमारी सरकार भी गिर चुकी थी। इसके बाद से मैं मंडला विधानसभा से चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गया। मैं मध्यप्रदेश के साथ विदेश में आस्ट्रेलिया तक घूमा हूं। पढ़ा-लिखा हूं। मंडला में जितना विकास होना चाहिए, नहीं हुआ। इसी विजन के साथ दावेदारी कर रहा हूं।
पांच साल पहले डिप्टी कलेक्टर बनीं, राजनीति के लिए तैयार हैं
मूलत: बालाघाट की रहने वाली निशा बांगरे के पिता रविंद्र बांगरे एजुकेशन विभाग में असिस्टेंट डायरेक्टर हैं। डिप्टी कलेक्टर बने निशा को पांच साल हो चुके हैं। अभी छतरपुर में पदस्थ हैं। आमला में उनका मकान बन चुका है। यहां की वोटर भी बन चुकी हैं। बैतूल जिले में वो साढ़े तीन साल तक एसडीएम रही हैं। असिसटेंट रिटर्निंग ऑफिसर (एआरओ) के तौर पर चुनाव भी करा चुकी हैं। सामाजिक रूप से लोगों से जुड़ी हैं और उनके लिए सामाजिक स्तर पर काम भी कर रही हैं। निशा किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगी, ये बताने से मना कर देती हैं। कहती हैं कि ये सर्विस रूल के खिलाफ होगा, लेकिन चुनाव लड़ सकती हूं। मेरे पास प्रशासनिक अनुभव है। पॉलिसी लेवल पर मैं बेहतर कर सकती हूं।
नौकरी छोड़ लड़ेंगे चुनाव, जैसे ही बीजेपी से टिकट मिलेगा इस्तीफा दे देंगे
बैतूल जिले की भैंसदेही विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले हेमराज बारस्कर वर्तमान में इटारसी में जीएसटी ऑफिसर हैं। भोपाल से पढ़ाई पूरी कर नौकरी में आए। छात्र जीवन में एबीवीपी से जुड़े रहे। पिता गेंदू बारस्कर और भाई मनीष बारस्कर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े रहे हैं। पिता की अध्यक्षता में बैतूल में 8 फरवरी 2017 को बड़ा हिंदू सम्मेलन हुआ था। तब इस सम्मेलन के मुख्य अतिथि मोहन भागवत थे।
हेमराज बारस्कर कहते हैं मैं 2013 और 2018 में भी भैंसदेही टिकट मांग चुका हूं। पिछली बार मुझे टिकट मिला होता तो शायद पार्टी यहां से हारती नहीं, जैसे ही मुझे टिकट मिलेगी, नौकरी से इस्तीफा दे दूंगा।
सरकारी नौकरी से इस्तीफा, भाजपा में शामिल हुए
मंडला जिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट डॉ. मुकेश तिलगाम ने 2021 में इस्तीफा दे दिया। उनका मंडला में खुद का नर्सिंग होम है। मार्च 2023 में उन्होंने भोपाल में सीएम शिवराज सिंह चौहान के सामने पार्टी की सदस्यता ली। इसके बाद से लगातार फील्ड में जा रहे हैं। डॉ. तिलगाम के मुताबिक संगठन की दृष्टि से जो भी जिम्मेदारी दी जा रही है, उसे शिद्दत से कर रहा हूं। लोगों के बीच लगातार जा रहा हूं। टिकट देना या न देना पार्टी का निर्णय है।
पत्नी काे लड़ा चुके हैं चुनाव, कबीर भजन गायक के तौर पर पहचान
सारंगपुर क्षेत्र के रहने वाले महेश मालवीय राजगढ़ में ग्राम सेवक थे। अक्टूबर 2018 में इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हुए। पिछली बार पत्नी कला मालवीय को सारंगपुर से पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ा चुके हैं। इस बार खुद इस सीट पर दावेदारी कर रहे हैं। कबीर भजन गायक के तौर पर क्षेत्र में पहचान हैं। कहते हैं कि जनता की सेवा करने के उद्देश्य से राजनीति में आया हूं।
बीजेपी अप्रोच कर चुकी है, उईके भी तैयार हैं
डॉ. प्रकाश उईके छिंदवाड़ा की पांढुर्णा विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले हैं। वर्तमान में दमोह में मजिस्ट्रेट हैं। पांर्ढुणा में वनवासी ट्राइबल बेल्ट में लगातार काम कर रहे हैं। संघ और जनजातियों के बीच अच्छी पैठ है। इस क्षेत्र में नि:शुल्क कोचिंग सेंटर चलाते हैं। पूरे क्षेत्र में 250 युवाओं की टीम सक्रिय है। जनजातीय विषय, धर्मांतरण जैसे मुद्दों पर वे काम कर रहे हैं। वनवासी कार्यक्रम भी कराते रहते हैं।
डॉ. उईके कहते हैं कि मेरी सक्रियता के चलते भारतीय जनता पार्टी की ओर से जुड़ने की पेशकश आई थी। तब सहमति दी थी। इस बार पार्टी की ओर से यदि टिकट दिया जाता है, तो इस्तीफा देकर पांढुर्णा विधानसभा से चुनाव लड़ने को तैयार हूं।
रिटायरमेंट के बाद का प्लान तैयार, संघ में अच्छी पकड़
डिंडौरी जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ. देवेंद्र सिंह मरकाम वर्तमान में एमपी पीएससी के सदस्य बनाए गए हैं। संघ में अच्छी पकड़ है। इसी साल रिटायर होने वाले हैं। रिटायरमेंट के बाद वे भाजपा में शामिल होकर जिले की राजनीति में सक्रिय होंगे। डॉ. मरकाम के मुताबिक सार्वजनिक जीवन में भी लोगों की सेवा की और रिटायरमेंट के बाद भी इसी मंशा से राजनीति में शामिल होना है।
कांग्रेस से चुनाव लड़ सकते हैं, पिता सांसद और दो बार विधायक रह चुके हैं
मंडला आरडी कॉलेज में हिंदी साहित्य के प्रोफेसर थे। 2008 में नौकरी से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हुए। 2013 में मंडला सीट से विधायक भी रह चुके हैं। प्रो. संजीव छोटेलाल उईके के मुताबिक मेरे पिता 1980 से मंडला से सांसद और दो बार के विधायक रहे हैं। 2004 में कांग्रेस की रैली में जाते समय उदयपुरा के पास एक्सीडेंट में उनकी मौत हो गई। इसके बाद से ही एक दबाव था। छात्र राजनीति में यूथ कांग्रेस से जुड़ा था। रामनगर में राहुल गांधी से मुलाकात हुई। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का भी आग्रह था। इसके चलते मैं पिता के अधूरे कार्य और अपने निजी व पारिवारिक हितों को परे रखकर राजनीति में आया।
विधायक पिता के निधन के चलते नौकरी छोड़, चुनाव लड़े, दो बार से विधायक हैं
राजगढ़ जिले की सारंगपुर क्षेत्र निवासी कुंवरजी कोठार जल संसाधन विभाग में इंजीनियर थे। 31 अक्टूबर 2008 को पद से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ली। पिता अमर सिंह कोठार इस सीट से 6 बार के विधायक रहे। पद पर रहते हुए 2008 में उनका निधन हो गया। नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर पिता अमर सिंह के सहयोगी रहे गौतम टेटवाल को टिकट मिला और वे जीत गए। कुंवरजी कोठार के मुताबिक 2013 में सीएम शिवराज सिंह ने मुझे बुलाया और बोले कि आपको चुनाव लड़ना है। तब से लगातार दो बार से सारंगपुर का विधायक हूं।
एजेंटी से विधायक का सफर तय किया
बापू सिंह तंवर राजगढ़ जिले राजनीति में सक्रिय होने से पहले एलआईसी एजेंट रहे। चार बार जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीते। कांग्रेस सेवा दल में भी रह चुके हैं। कहते हैं कि राजनीति में 24 घंटे, 12 महीने काम करना पड़ता है। ऐसे में एलआईसी के लिए वक्त कहां से मिल पाएगा।
हीरालाल अलाव: आदिवासी हितों के खातिर छोड़ दी एम्स की नौकरी
जयस के राष्ट्रीय संरक्षक मनावर विधायक डॉ. हीरालाल अलावा भी चिकित्सक थे। दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप सेवा दे चुके हैं। जयस की स्थापना की और पिछली बार कांग्रेस के सिंबल पर जीते। जयस के अलग-अलग धड़ों को एकजुट कर इस बार प्रदेश के चुनाव में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।
डॉ. अशोक मर्सकोले : तबादला होने पर नौकरी छोड़ राजनीति में आए
मंडला निवासी डॉ. अशोक मर्सकोले जिला अस्पताल मंडला में नेत्र चिकित्सक थे। इसके साथ ही वे सोशल एक्टिविस्ट भी थे। सामाजिक विषयों पर मुखरता एक स्थानीय नेता को रास नहीं आई और उन्होंने 2018 में उनका तबादला दूसरे जिले के लिए करा दिया। इस प्रेशर की राजनीति के विरोध में मर्सकोले ने इस्तीफा दे दिया।
डॉ. मर्सकोले कहते हैं कि मैं सामाजिक रूप से सक्रिय था। यही कारण था कि बिना मेरे दावे के मेरा नाम कांग्रेस के सर्वे में आया और फिर पार्टी की ओर से किए गए पेशकश के आधार पर मैं कांग्रेस में शामिल हो गया। 2018 के चुनाव में निवास विधानसभा से तीन बार के विधायक रामप्यारे कुलस्ते को हराया। कहते हैं कि राजनीति सबसे टफ काम है। 24 घंटे सातों दिन लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की चुनौती रहती है।
डॉ. शैलेंद्र झारिया : नौकरी से हटाने पर राजनीति में कूदे
डॉ. शैलेन्द्र झारिया पेशे से सर्जन हैं। जिला अस्पताल रायसेन में पदस्थ थे। दूसरी शादी करने की वजह से नौकरी से हटा दिए गए। अभी प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। नौकरी जाने के लिए डॉ. प्रभुराम चौधरी को वजह मानते हैं। इसी कारण उनके खिलाफ ही कांग्रेस की ओर से तैयारी कर रहे हैं। गांव-गांव में उनका संपर्क है। सांची विधानसभा से ही टिकट मांग रहे हैं।
मोहन अग्रवाल : आबकारी विभाग से रिटायर होकर कांग्रेस में शामिल
शिवपुरी जिले के कोलारस के रहने वाले मोहन अग्रवाल सितंबर 2022 में आबकारी विभाग से रिटायर हुए। वे कोलारस में आबकारी विभाग में प्रधान आरक्षक थे। सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद शिवपुरी में कांग्रेस काफी कमजोर हो गई थी। अग्रवाल के मुताबिक पार्टी में शामिल होने के बाद मुझे कोलारस ब्लाक संगठन में कोषाध्यक्ष और फिर कार्यकारिणी अध्यक्ष बनाया गया है। अभी दोनों पदों पर हूं। मेरा परिवार पुराना कांग्रेसी रहा है। इस कारण मैं भी कांग्रेस में शामिल हुआ।
माधो सिंह डावर : शिक्षक पद से इस्तीफा देकर राजनीति में आए
अलीराजपुर जिले के भांवरा गांव के रहने वाले माधो सिंह डावर ने 13 साल की शिक्षक की नौकरी एक जून 1983 में छोड़ दी। कहते हैं कि मेरी सामाजिक सक्रियता के चलते लोगों ने पंच बनने के लिए दबाव डाला था। इसके बाद में जिला पंचायत सदस्य, अध्यक्ष और जोबट विधानसभा से दो बार विधायक बना। अभी वन विकास निगम का अध्यक्ष हूं।
लक्ष्मण सिंह डिंडोर : सीईओ से इस्तीफा देकर लड़ेंगे चुनाव
रतलाम के रहने वाले लक्ष्मण सिंह डिंडोर वर्तमान में जनपद पंचायत मनावर में सीईओ हैं। वे पूर्व में पुलिस विभाग में एसआई रहे। इसके बाद नायब तहसीलदार और एसडीएम रहे। 24 साल की नौकरी के बाद इस्तीफा दे चुके हैं। अभी इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है, प्रक्रिया में है। पिछली बार भी कांग्रेस से टिकट मिलने की चर्चा थी, लेकिन आखिरी समय में टिकट कट गया था। एक बार फिर वे रतलाम ग्रामीण से कांग्रेस से टिकट मांग रहे हैं। आदिवासी बेल्ट है।
रूपचंद्र मईड़ा : पशु विभाग की नौकरी छोड़ करेंगे राजनीति
रतलाम ग्रामीण क्षेत्र से बीजेपी का टिकट मांग रहे रूपचंद मईड़ा भी वर्तमान में पशु विभाग में कार्यरत हैं। वे साथ में जनजातीय सुरक्षा मंच से भी जुड़े हैं। आदिवासियों के बीच लगातार सक्रियता के चलते उन्हें भाजपा पार्टी में शामिल करा रही है। इस्तीफा देकर वे भी टिकट की जुगत में लगे हैं।
डॉ. गोविंद मुजाल्दा : रेडियोलॉजिस्ट से बने नेता
खरगोन के भगवानपुरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के डॉ. गोविंद मुजाल्दा भी पेशे से डॉक्टर हैं। वे शहर के नामी रेडियोलॉजिस्ट हैं। पिछली लोकसभा चुनाव में खरगोन-बड़वानी से हार गए थे। अब विधानसभा का टिकट मांग रहे हैं।
दंत चिकित्सक डॉ. रेलाश सेनानी
सेंधवा सीट से बीजेपी से डॉ. रेलाश सेनानी भी चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। वे पेशे से दंत चिकित्सक हैं। अभी भाजपा अजजा मोर्चा जिला अध्यक्ष। संघ पृष्टभूमि से आते हैं। शासकीय पीजी कॉलेज की जनभागीदारी समिति के भी अध्यक्ष हैं।
सेल टैक्स ऑफिसर पोरलाल खरते लड़ेंगे चुनाव
सेंधवा से ही जयस से पोरलाल खरते टिकट मांग रहे हैं। आदिवासी जन संगठन के बैनर तले सक्रिय हैं। सामाजिक रूप से पहले से सक्रिय हैं। वे भी नौकरी से इस्तीफा देकर कांग्रेस से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।
फौजी जगदीश धनगर लड़ेंगे चुनाव
मंदसौर जिले की सुवासरा विधानसभा सीट से कांग्रेस के जगदीश धनगर भी चुनाव लड़ने की तैयारी में है। वे फौज से रिटायर होने के बाद कांग्रेस में शामिल हुए। कमलनाथ से अच्छे रिश्ते हैं।
आईपीएस, आईआरएस पिता व पति की पहचान के सहारे राजनीति में
राकेश सिंह : पिता आईपीएस रहे
मुरैना जिले के मुरैना सीट से राकेश सिंह भाजपा की ओर से टिकट मांग रहे हैं। उनके पिता आईपीएस रहे और प्रदेश सरकार में पूर्व मंत्री भी रहे। पिता के बड़े कद और नाम के सहारे राजनीति में सक्रिय हैं।
ममता मीना : पति आईपीएस
गुना की चांचौड़ा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की पूर्व विधायक रहीं ममता मीना के पति रघुवीर मीना भी रिटायर्ड आईपीएस हैं। वह खुद जिला पंचायत सदस्य हैं। इस बार भी मीना टिकट की दावेदारी कर रही हैं।
आईएएस वरदमूर्ति मिश्रा ने खुद की बना ली पार्टी
10 महीने पहले नौकरी से इस्तीफा देने वाले IAS वरदमूर्ति मिश्रा ने वास्तविक भारत पार्टी (वाभापा) के नाम से नई पॉलिटिकल पार्टी बनाई है। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में अपने कैंडिडेट उतारने का ऐलान किया है। 1996 में राज्य सेवा आयोग से चयनित होकर डिप्टी कलेक्टर बने। बाद में प्रमोशन पाकर आईएएस अलॉट हुआ। बड़वानी कलेक्टर भी रहे। जहां भी तैनात रहे, आम जनता सीधे उनसे मिल सकती थी। उन्होंने सभी 230 सीटों पर प्रत्याशी उतारने की बात कही है।
रविन्द्र मसानिया बदनावर

सुंदरलाल बर्मन
सुंदरलाल बर्मनhttps://majholidarpan.com/
Sundar Lal barman (41 years) is the editor of MajholiDarpan.com. He has approximately 10 years of experience in the publishing and newspaper business and has been a part of the organization for the same number of years. He is responsible for our long-term vision and monitoring our Company’s performance and devising the overall business plans. Under his Dynamic leadership with a clear future vision, the company has progressed to become one of Hindi e-newspaper , with Jabalpur district.

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