जो काम करे वही मालिक के मूल मंत्र को लेकर पचास वर्ष पूर्व दो लाख की पूंजी से हुई थी शुरुआत.
वित्तीय वर्ष 2024-25 में किया 55 करोड़ रुपये का व्यवसाय
जबलपुर
पचास वर्ष पूर्व दस महिलाओं के साथ जबलपुर में शुरू हुआ श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़ महिला सशक्तिकरण की अद्भुत मिसाल बन कर उभरा है। “जो काम करे वही मालिक” के मूल मंत्र को लेकर 12 फरवरी 1974 को बसंत पंचमी के दिन किराए के एक छोटे कमरे से प्रारम्भ हुई इस सोसायटी में वर्तमान में सदस्यों की संख्या बढ़कर 2 हजार 800 हो गई है।
इन महिलाओं के अथक परिश्रम से श्री महिला गृह उद्योग ने वर्ष 2024-25 में 54 करोड़ 88 लाख 95 हजार 135 रुपए के उत्पादों की बिक्री कर सफलता का नया कीर्तिमान स्थापित किया है। इस संस्था के उत्पादों की मांग अब देश मे ही नहीं विदेशों में बढ़ती जा रही है। बीते वित्तीय वर्ष में 4 करोड़ 31 लाख रुपये कीमत के पापड़ का निर्यात इस संस्था द्वारा किया गया था।
महिलाओं की आर्थिक उन्नति का प्रतीक श्री महिला गृह उद्योग में केवल महिलाएं ही काम करती हैं। महिलाओं को स्वरोजगार देना और उन्हें स्वावलंबी बनाना श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़ का प्रमुख उद्देश्य है। लिज्जत पापड़ की वर्तमान संचालिका प्रक्षा ओसवाल बताती हैं कि यहां पर पूरा काम महिलाओं द्वारा संभाला जाता है जिसमें पापड़ बनाने, सुखाने से लेकर पैकिंग तक की प्रक्रिया होती है। सभी काम करने वाली महिलाओं को पूरा सम्मान दिया जाता है और उन्हें बहन कहकर पुकारा जाता है। उन्होंने बताया कि महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़ सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 एवं बाम्बे पब्लिक एक्ट 1950 के अंतर्गत पंजीकृत है तथा खादी तथा ग्रामोद्योग आयोग द्वारा भी मान्यता प्राप्त है।
जबलपुर में श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड का शुभारंभ श्री शांतिलाल भाई शाह, श्रीमती भानुबेन शाह एवं श्रीमति पुष्पा बैरी द्वारा मुम्बई के लिज्जत पापड़ की नौंवी शाखा के रूप में किया गया था। श्रीमती बैरी द्वारा लगभग दो लाख रुपए की पूंजी के साथ बारह महिलाओं को पापड़ बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। शुरुआत में इस सोसायटी को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन धीरे-धीरे समय बीतता गया और लिज्जत पापड़ ने अपनी गुणवत्ता के बल पर बाजार में अपना अलग स्थान बना लिया। बाजार में सोसायटी के उत्पादों की बढ़ती मांग को देखते हुए राइट टाउन में श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़ भवन स्थापित किया गया। वर्ष 1997 में औद्योगिक क्षेत्र रिछाई में राज्य शासन से रियायती दर पर भूमि प्राप्त कर सोसायटी की औद्योगिक इकाई का विस्तार किया गया।
सुश्री ओसवाल ने बताया कि सोसायटी में साल के अंत में जो लाभ प्राप्त होता है, उसे कार्य के अनुपात में सभी महिलाओं में बांट दिया जाता है। यह को-ऑपरेटिव सोसाईटी का बहुत अच्छा उदाहरण है। वर्ष 2024-25 में सोसायटी को करीब दो करोड़ 63 लाख रुपये का लाभ हुआ था, जिसे सोसायटी की सभी सदस्यों में उनके कार्य के अनुपात में लाभांश के रूप में वितरित कर दिया गया। अधिक से अधिक महलाओं को रोजगार देने के लक्ष्य उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्थापित श्री महिला गृह उद्योग द्वारा वर्तमान में पापड़, बड़ी, दलिया, आटा, बेसन के अलावा समय के साथ नये उत्पाद जैसे मल्टीग्रैन आटा, मक्का आटा, काली मिर्ची पाउडर, सोंठ पाउडर, रागी आटा, ज्वार आटा, बाजरा आटा, मल्टीग्रैन खिचडी एवं चावल पापड़ इत्यादि भी मार्केट में उपलब्ध कराये जा रहे हैं।