जिला कलेक्टर जबलपुर द्वारा नगर परिषदों को सख्त निर्देश दिए गए थे कि सड़कों पर आवारा मवेशियों, विशेषकर गौवंश को नियंत्रित कर गौशालाओं में भेजा जाए।
जबलपुर/मझौली
लेकिन नगर परिषद मझौली के अधिकारी-कर्मचारी इन आदेशों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं।
नगर में हालात यह हैं कि मुख्य चौक-चौराहों, बाजार और गलियों में दिनभर आवारा गाय-बैल घूमते रहते हैं।
इनसे आए दिन यातायात बाधित होता है, दुर्घटनाएं होती हैं और लोग घायल तक हो रहे हैं।
फिर भी नगर परिषद के जिम्मेदार कर्मचारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।
स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि नगर परिषद मझौली के कर्मचारी केवल कागज़ों पर कार्रवाई दिखा रहे हैं जबकि ज़मीनी हकीकत में कोई भी ठोस काम नहीं हो रहा।
यहां तक कि कई बार कलेक्टर जबलपुर को शिकायतें भेजी जा चुकी हैं, लेकिन परिषद की लापरवाही जस की तस बनी हुई है।
* क्या नगर परिषद मझौली में कलेक्टर के आदेशों की कोई अहमियत नहीं ?
* आखिर किनके संरक्षण में आवारा मवेशियों को अनदेखा किया जा रहा है?
* और दुर्घटना या जनहानि होने पर जिम्मेदारी कौन लेगा?
* नगर परिषद मझौली में कलेक्टर के आदेशों का सख्ती से पालन कराया जाए।
* जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारियों की जवाबदेही तय हो।
* आवारा गौवंश को पकड़कर **नजदीकी गौशालाओं में भेजा जाए।