मुख्यमंत्री निवास कार्यालय ‘समत्व भवन’ में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए सड़क संपर्क परियोजना (आरसीपीएलडब्ल्यूईए) अंतर्गत सड़क निर्माण कार्यों की समीक्षा की
भोपाल
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इसे उपलब्धि बताया।
बैठक में पुलिस महानिदेशक श्री सुधीर कुमार सक्सेना ने बताया कि वर्ष 1990 से नक्सल विरोधी अभियान प्रारंभ होने के बाद से इस वर्ष सर्वाधिक नक्सली मारे गए हैं। वर्ष 2008 से 2021 के मध्य 11 नक्सली मारे गए। सिर्फ एक वर्ष अर्थात वर्ष 2022 में 5 नक्सली मार गिराए गए हैं। पहली बार नक्सलियों से 2 ए.के. 47 भी जब्त की गई हैं। यह विशेष उपलब्धि है।
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़क निर्माण कार्यों की गति भी बढ़ी है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने विस्तारपूर्वक समीक्षा की। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि बालाघाट और मण्डला जिले में 321 किलोमीटर लम्बाई की 39 सड़कों के निर्माण कार्य को तेजी से पूर्ण किया जाए। भारत के 10 राज्यों के 70 जिलों को एसआरई योजना (सुरक्षा संबंधी व्यय) में शामिल किया गया है। मध्यप्रदेश के बालाघाट, मंडला और डिण्डौरी योजना में शामिल हैं।
बताया गया कि आरसीपीएलडब्ल्यूईए योजना में केंद्र सरकार ने वर्ष 2021-22 में 31 सड़कों के निर्माण के लिए मंजूरी दी है। इनमें से 28 सड़कों के लिए कार्यादेश और निविदा की कार्यवाही प्रचलन में है। तीन अन्य मार्गों के निर्माण के लिए भी वन विभाग ने आवश्यक प्रक्रिया को पूरा किया है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जहाँ सड़क निर्माण कार्यों की गति बढ़ी है वहीं, तेजी से पुल पुलियाएँ भी बनाई जा रही हैं। कुल 2662 मीटर लम्बाई की पुल-पुलियों को पूर्ण करने का लक्ष्य है। केन्द्र सरकार से स्वीकृत 17 ब्रिज और मार्गों पर आ रहे 15 ब्रिज के संबंध में परियोजना प्रतिवेदन तैयार किए जा चुके हैं।
बताया गया कि नक्सली गतिविधियों पर बेहतर नियंत्रण के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है। बालाघाट क्षेत्र में मोबाइल टावर्स लगाए गए हैं। नक्सल प्रभावित क्षेत्र में समन्वय से कार्य किए जा रहे हैं। वन विभाग का अमला भी पूर्णत: सहयोगी है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री चौहान ने नक्सल प्रभावित जिलों में पदस्थ हॉकफोर्स और अन्य अमले को इस वर्ष विशेष भत्ता मंजूर किया है। प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिलों में हॉकफोर्स के केम्प स्थापित किए जाने से नक्सलियों पर नियंत्रण के साथ ही नक्सल गतिविधियों के विस्तार को रोकने में सफलता मिली है।