प्रधानाध्यापक की मेहनत से संवरी स्कूल की तस्वीर
कटनी –
ढीमरखेड़ा विकासखंड के अंतर्गत गौरा का शासकीय माध्यमिक स्कूल का उत्कृष्ट शाला परिवेश, वातावरण और छात्रों के अध्ययन अध्यापन के नजरिये से जिले भर मे आदर्श विद्यालय के तौर पर जाना जाता है। इस स्कूल के लिए यदि ये कहा जाय कि अपनी समग्र खूबियों की वजह से गौरा का शासकीय माध्यमिक स्कूल कई मामलों में प्राइवेट स्कूलों से भी बेहतर है तो कोई अतिशियोक्ति नहीं होगी।
दरअसल पर गौरा स्कूल के कायाकल्प की शुरूआत वर्ष 2015 से शुरू हुई जब से यहां महेन्द्र सिंह ठाकुर की पदस्थापना प्रधानाध्यापक के पद पर हुई। तमाम चुनौतियों व बाधाओं को पार करते हुए श्री ठाकुर ने स्कूल की सूरत ही बदल कर रख दी।
यहां शाला परिसर के अंदर विद्या की देवी मॉ सरस्वती का भव्य मंदिर बना है। जिसमे प्रवेश करते ही छात्र प्रार्थना के बाद मॉ सरस्वती को प्रणाम कर कक्षा मे प्रवेश करते है।अवकाश के दिनो मे भी छात्रों के अभिभावक स्कूल परिसर के सुरम्य वातावरण मे भजन-कीर्तन करने आते है। इस शाला परिसर में चंदन, रुद्राक्ष से लेकर कई सुगंधित औषधीय ,छायादार और मिश्रित प्रजाति के पौधों के अलावा करीब तीन दर्जन से अधिक किस्म के फूल के पौधे लगे है। जो परिसर को सुगंधित, मनोहारी और आकर्षक स्वरूप प्रदान करते है।
इस स्कूल मे 95 विद्यार्थी अध्ययनरत है। पिछले साल का 5वीं एवं आठवीं कक्षा का परीक्षा परिणाम गौरा शासकीय माध्यमिक स्कूल का शत – प्रतिशत रहा। इस स्कूल के 11 छात्रों ने ओलम्पियाड में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। वहीं 4 छात्रों को राष्ट्रीय मीन्स कम मेरिट स्कालरशिप भी मिलने की जानकारी प्रधानाध्यापक श्री ठाकुर ने दी। इस स्कूल के 5 छात्र वर्तमान मे शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय माधवनगर में पढ़ाई कर रहे है।
इस स्कूल को सजाने संवारने मे प्रधानाध्यापक ने जनसहयोग और स्वयं के वेतन से स्कूल का सर्वार्गीण विकास किया है। स्कूल में स्मार्ट क्लास है। सुंदर लाइब्रेरी है और स्कूल के सभी कमरे सी.सी कैमरा से युक्त है। साथ ही संगीत की शिक्षा हेतु वाद्य यंत्र भी उपलब्ध है। इसके अलावा व्यवसायिक शिक्षा हेतु कम्यूटर, सिलाई मशीन व वेल्डिंग मशीन भी स्कूल मे मौजूद है। शाला के विकास के संबंध में प्रधानाध्यापक कहते है कि शिक्षा जीवन मे सफलता की कुंजी है और शिक्षक ही है जो अपने छात्रों के जीवन पर स्थाई प्रभाव डालते है। इसी उद्धेश्य को ध्यान मे रखते हुए शाला के सौदर्यीकरण का प्रयास किया गया। ताकि बेहतर वातावरण में छात्र अध्ययन कर सकें। वे बताते है कि करीब- करीब 22 लाख रूपये की जनसहयोग राशि से विद्यालय विकास व अधोसंरचना निर्माण के कार्य कराये गए है। समाज और शासकीय भागीदारी से स्कूल की तस्वीर संवर गई है।