मध्य प्रदेश पुलिस के तत्कालीन डीजीपी नंदन दुबे मध्य प्रदेश पुलिस के ट्रेड आरक्षकों का जीडी आरक्षक में संविलियन बंद करने का फरमान जारी किया
भोपाल
मध्य प्रदेश के एस ए एफ एडीजी कैन तिवारी द्वारा कर्मचारियों के लिए उचित ना होना बता कर इस संबंध में गृह मंत्रालय मध्यप्रदेश से पत्राचार कर संविलियन पुनः प्रारंभ करने हेतु प्रक्रिया प्रारंभ की जो प्रक्रिया 2016 में प्रारंभ की थी जिसमें गृह विभाग और बीएचयू के बीच कई बार पत्राचार होने के बाद भी मंत्रालय की ओर से संविलियन पुनः प्रारंभ नही किया गया है जिसका खामियाजा मध्य प्रदेश के 6000 ट्रेड आरक्षक भुगत रहे हैं जबकि संविलियन प्रक्रिया पुनः प्रारंभ होने से मध्य प्रदेश के कानून व्यवस्था को एक एक साथ बड़ी संख्या में पुलिस जवान फील्ड में तैनात करने का मौका मिल सकता है व मध्य प्रदेश पुलिस के अधिकारियों के बंगले पर कार्यरत कर्मचारियों की संख्या भी कम हो सकती थी मध्य प्रदेश पुलिस के ट्रेड आरक्षक कई बार गृहमंत्री से मिलकर संविलियन की मांग कर चुके हैं पर गृहमंत्री की तरफ से हर बार आश्वासन मिलने के बाद भी वह संविलियन पुनः प्रारंभ होने की आस लगाए बैठे रहते हैं। एक बार गृह मंत्री जी स्वयं भी संविलियन प्रक्रिया पुनः प्रारंभ करने के लिए गृह मंत्रालय को पत्र लिख चुके हैं। पर उस पत्र पर भी आज दिनांक तक कोई भी कार्यवाही नहीं की गई जबकि गृहमंत्री मध्य प्रदेश की भी मंशा संविलियन करने की है। पर अधिकारियों की उदासीनता के कारण यह नहीं प्रारंभ नहीं कर पा रहे हैं।अब मध्य प्रदेश पुलिस ट्रेड आरक्षकों की पीड़ा का मामला अब राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग पहुंच गया है तो मामले को गंभीरता से निपटाने के लिए राष्ट्रीय मानव आयोग ने मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग पर्यावास भवन भोपाल को पत्र लिखकर मामले को गंभीरता से लेने का आदेश दिया है अब देखना यह होगा कि मध्य प्रदेश के 6000 हजार ट्रेडआरक्षक पर आयोग का क्या फैसला आता है। या अभी भी अफसरों के यहा चाकरी करने की प्रथा से मुक्त हो पाएंगे ।या यू ही बंधुआ मजदूर ही बने रहेंगे।