मध्यप्रदेश में माननीय जी तालाब भी गायब हो गये हैं इनकी भी जांच करवा लीजिये
नरसिंहपुर अमर नोरिया (पत्रकार )
मध्यप्रदेश में अभी कुछ दिनों पूर्व सीएजी की रिपोर्ट में बच्चों के पोषण आहार में किये गये फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया और इसकी चर्चा जोर ही पकड़ रही थी कि तो सिवनी,मंडला और डिंडौरी जिले के किसानों के हिस्से के यूरिया का गायब होना भी सुर्खियां बन गया । पोषण आहार के फर्जीवाड़े को लेकर सरकार की सफाई भी सामने आई जिसमें सीएजी रिपोर्ट को अंतिम नहीं माना जा रहा है तो पोषण आहार परिवहन कार्य मे लगे ट्रकों के नम्बरों को लेकर लिपिकीय त्रुटि बताई जा रही है, फिलहाल सरकार का अपना पक्ष है जो उसने रखा मर्जी जनता की वह इसे सच माने या न माने । प्रदेश की सत्ता में 4 थीं बार बैठी भाजपा सरकार के इतने लंबे कार्यकाल में मध्यप्रदेश के हर विभागों में अपने जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों के माध्यम से सूक्ष्म नजर रखने के बाद भी जिस तरीके के मामले सामने आ रहे हैं, उससे लगता है कि आखिर प्रदेश में सरकार के साथ पार्टी संगठन के पदाधिकारियों के लगातार सक्रिय होने के बाद भी इस तरह के फर्जीवाड़े हो रहे हैं तो आखिर उसके पीछे की वजह है क्या ?
कुछ इसी तरह के फर्जीवाड़े के मामले में जल संरक्षण के नाम पर मनरेगा सहित अन्य योजनाओं के माध्यम से ग्राम पंचायतों में खोदे गये लाखों करोड़ों रुपये की लागत के तालाब भी जमीनी धरातल पर ठीक इसी तरह गायब है जैसे कि सीएजी की रिपोर्ट में सामने आये पोषण आहार और सैकड़ों टन यूरिया का गायब हो जाना । इन तालाबों को ढूंढकर अगर जरूरतमंदों को पट्टे पर दिया जाये तो प्रदेश के हजारों परिवारों को जीविका प्राप्त होगी । ग्राम पंचायतों में खोदे गये तालाबों के मामले में सब जानते हुए भी सरकार इस मामले में कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं है क्योंकि कार्रवाई करें तो किस पर करे ? क्योंकि जो तालाब खोदे गये थे वह आज जमीनी धरातल पर विलुप्त हैं । महत्वपूर्ण बात यह है कि लाखों करोड़ों खर्च करके जो योजनाएं संचालित की जा रही हैं और योजनाओं के नाम पर जो कार्य किये जा रहे हैं फिर वह चाहे पोषण आहार का घोटाला हो या फिर किसानों के हिस्से मैं आने वाली यूरिया खाद हो या फिर जल संरक्षण के नाम पर लोगों को रोजगार देने के उद्देश्य से मनरेगा से खोदे गये तालाब सत्ता सरकार को वोटों के रूप में सहयोग करने वाले अधिकतर लोग कहीं ना कहीं इन सब मामलों में जुड़े हैं इसलिए ऐसे मामलों में जांच के नाम पर कागजी कार्रवाई कर मामलों को लटकाया जाता है और कार्यवाही करने का आश्वासन दिया जाता है और प्रदेश में यह सब लगातार पिछले कई वर्षों से चल रहा है, तालाबों को अतिक्रमण और दबंगों के कब्जे से मुक्त कराकर पट्टे पर दिये जाने की लुभावनी घोषणाएं और वल्लभ भवन से निकलने वाले आदेश जनपद पंचायत और जिला कार्यालयों की टेबिलों से होते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से होती समीक्षा बैठकों के जरिये रखे जाने वाले आंकड़ों की फाइलों के साथ वापिस भोपाल पहुंचाकर सरकार की योजनाओं की उपलब्धि में गढ़ दिये जाते हैं ……ऐसे में हमें आजादी के अमृत महोत्सव में लाल किले की प्राचीर से देश को भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने का जो सन्देश दिया गया है उसको लेकर ग्राम पंचायत से लेकर जिला और प्रदेश स्तर तक सजग और सतर्क रहते हुए घोटालेबाजों को चिन्हित कर उनके कारनामे उजागर करने होंगे ….