हमीरपुर जिले में सैकड़ों सालों से चली आ रही इस दंगल की परंपरा, लोदीपुर-निवादा गांव में महिलाओं का दंगल
*पंकज पाराशर छतरपुर✍️
बुंदेलखंड के हमीरपुर में महिलाओं का भी अनोखा दंगल हर साल होता है l बुजुर्गों की मानें तो यह दंगल आजादी के पहले से ही आयोजित हो रहा है l यह बुंदेली परंपरा में महिलाओं की शौर्य गाथा का एक उदाहरण है l ये परंपरा सैंकड़ों सालों से चल रही है l
महिलाएं भी पुरुषों से किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं, राष्ट्रमंडल खेलों में कई पदक लाकर उन्होंने यह साबित भी किया है l इसी का एक उदाहरण देखने को मिला है बुंदेलखंड में हमीरपुर जिले के लोदीपुर-निवादा गांव में जहा हर साल आयोजित होने वाला महिलाओं का दंगल लोगों का मन मोह लेता है l बुंदेलखंड के इस इलाके में ग्रामीण महिलाएं भी कुश्ती के दांव-पेंच आजमा रही हैं l ग्रामीण महिलाओं के इस दंगल में पुरुषों का प्रवेश वर्जित होता है l इसमें सिर्फ गांव की महिलाएं ही रहती हैं l ये महिलाएं रेफरी से लेकर ढोल बजाने तक सभी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाती हैं l
*क्यों शुरू हुई थी ये परंपरा?*
गांव के सेवानिवृत्त अध्यापक जगदीश चन्द्र जोशी और सुरेश शुक्ल और प्रधान और प्रधान प्रतिनिधि नाथूराम ने बताया कि बुजुर्गों ने इस परंपरा की शुरुआत की कहानियां सुनी हैं l बताया जाता है कि गुलामी के दौर में अंग्रेजों के अत्याचारों का प्रतिकार करने एवं आत्मरक्षा के लिए महिलाओं को प्रशिक्षित करने की मंशा से इसकी शुरुआत हुई थी l जिसके बाद झांसी की रानी के बलिदान से प्रेरित होकर महिलाओं ने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना शुरू किया l वहीं इस साल भी आयोजन में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया l