इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में ईट भट्टों का कारोबार जोर-शोर से चल रहा है। इससे लाखों रूपए खनिज राजस्व की क्षति हो रही है।
इंद्राना मझौली
साथ ही ईंट भट्टे के संचालन से कोयले से उड़ने वाला धुंआ आसपास का पर्यावरण प्रदूषित कर रहा है। ईंट भट्टा संचालकों द्वारा जंगल किनारे ईट भट्टों का संचालन किया जा रहा है। ग्राम पंचायत कांपा, में ईंट भट्टा संचालकों द्वारा जंगल किनारे ईट भट्टों का संचालन किया जा रहा है। ग्राम पंचायत कांपा नैगई, में जंगल के किनारे अवैध रूप से ईट भट्टे संचालित हो रहे है।। ऐसा नहीं हैं कि इसकी जानकारी खनिज विभाग एवं राजस्व विभाग को नहीं है, परन्तु इन सब की साठगांठ से यह व्यवसाय फलित हो रहा है।
ईट भट्टा संचालकों को खनिज विभाग से ईट बनाने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है।
साथ ही पर्यावरण विभाग की भी अनुमति लेनी पड़ती है, लेकिन क्षेत्र में संचालित ईट भट्टों में शासकीय नियमों के पालन की अनदेखी कर बड़ी मात्रा में ईंटों का निर्माण कर बेचने का कार्य जोरों पर है। इसके खनिज विभाग को लाखों रूपये की क्षति हो रही है।
प्रशासन की कार्रवाई नहीं किए जाने से प्रतिवर्ष ईट भट्टों संचालकों की संख्या बढ़ती जा रही है।
कई ठेकेदारों द्वारा एक जगह की अनुमति होने के बाद कई जगहों पर ईंट भट्ठा संचालित किया जा रहा है। ऐसे ईंट भट्ठों को बंद कराने में खनिज व राजस्व विभाग के अधिकारी अक्षम साबित हो रही है। इन अवैध ईटों को पकाने के लिए अधिकांश जगहों पर अवैध कोयला खरीदी कर इसका उपयोग ईट भट्टा संचालकों द्वारा किया जाता है। साथ ही कई जगहों पर बड़े बड़े वृक्षों को भी इसकी बलि चढ़ा दी जाती है। जंगल किनारें मिट्टी को काटकर जंगल को क्षति पहुंचाई जा रही है।