उत्तरप्रदेश में जो हो रहा है। वह सामान्य घटनाएं नहीं है।
उत्तर प्रदेश
हर जिले में माफ़िया का साम्राज्य स्थापित था। यदि इसका सम्पूर्ण वर्णन किया जाय तो उस पूरी कहानी को पढ़ने वाला यह समझेगा कि यह उत्तरप्रदेश नहीं है। सोमालिया, युगांडा कि बात हो रही है।
इससे समझिये कि 12 हजार इनकाउंटर और तीन सौ बदमाश मारने के बाद भी अभी स्थिति पटरी पर नहीं आई है।
कोई पाँच हजार करोड़ कि संपत्ति जप्त हुई है।
यह तो अब स्पष्ट हो चुका है कि उस समय कि नौकरशाही का एक वर्ग इन आपराधिक कृत्यों में शामिल था।
पूर्व DGP बृजलाल बताते है कि जिस समय पहली मुख्तार अंसारी पकड़ा गया तो वह जेल में दरबार लगाता था। जिले के DM उसके साथ बैडमिंटन खेलते थे।
अतीक अहमद को पकड़ने वाले पूर्व DSP देवेन्द्रराय जब उसके घर गये तो CRP के IG उसके साथ बैठे थे।
2017 तक कम से कम उत्तरप्रदेश के आधे जिले में एक ही सत्ता थी, माफ़िया राज करते थे।
इसमें धन कि सबसे बड़ी भूमिका थी। यह साम्राज्य 50 हजार से एक लाख करोड़ से ऊपर का था। व्यापारी, चिकित्सक, ठेकेदारी से यह लोग धन वसूलते थे। पार्टियों को चुनाव का धन देते , अधिकारियों के बैंक बैलेंस बढ़ते।
इधर सामान्य जन मुंबई, दिल्ली, बंगलौर जाकर मजदूरी करते या छोटा मोटा व्यापार करते थे।
मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद,हाजी याकूब, अरबाज खान, रसद, विकास दुबे, मुन्ना बजरंगी , आजम खान आदि यह सब माफ़िया नहीं थे। सत्ताएँ थी, जिनको तोड़ना असंभव था।
अतीक अहमद का कॉन्फिडेंस देखिये की यह जानते हुये की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ताबड़तोड़ इनकाउंटर करा रहे है। फिर भी उसने उमेश पाल कि हत्या करा दिया।
अपने पहले कार्यकाल में योगी जी, बुलडोजर, इनकाउंटर, लव जिहाद, गौहत्या पर फोकस थे। लेकिन दूसरे कार्यकाल में थोड़े नर्म हुये और विकास को प्राथमिक रखा।
लेकिन उमेश पाल कि हत्या और सपा के कटाक्ष ने उन्हें पुनः उसी कठोर प्रशासक के रूप में ला दिया।
अगर भाजपा ही सत्ता में होती और मुख्यमंत्री योगी न होते तो यह संभव न था। यह धन और शक्ति का खेल है। जँहा हजारो करोड़ दाँव पर लगे हो, सत्ताएँ हिल जाती है।
यह सबसे प्रभावी योजना थी कि दंड के साथ आर्थिक विनाश किया जाय। नहीं तो माफ़िया सोच यही थी कि बहुत हुआ तो जेल जायेंगे, बाद गवाह मुकर जायेगा। वह छूटकर वापस सत्ता जमायेंगे।*
लेकिन बाबा ने सबको कंगाल बना दिया। बहुमंजिला मकान जमीदोंज हो गये। लौटकर आते भी हो तो चलान का पैसा न होगा।
हम मिट्टी में मिला देंगें ! इस कथन का यह अर्थ यह भी है कि यह मिट्टी तभी उपजाऊ हो सकती है। जब यह सब मिट्टी में मिलें। जिससे आने वाली पीढ़ी एक उज्ववल, सुरक्षित भविष्य का सपना देख सकें।
समर्थक हो या विरोधी प्रदेश का बच्चा बच्चा जानता है। यह महायज्ञ योगी जी के अतिरिक्त कोई कर नहीं सकता था, सभी हिंदुओं अपने राज्य के इस महान सेवादार का पुरजोर साथ दे।