मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति माननीय न्यायमूर्ति श्री सुरेश कुमार कैत ने आज पुनः अपनी संवेदनशीलता और मानवता का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया।
जबलपुर
सदैव निरीह और वंचितजनों के कल्याण के लिए तत्पर रहने वाले माननीय मुख्य न्यायाधिपति ने आज उच्च न्यायालय परिसर में जिला न्यायालय छतरपुर में पदस्थ दिव्यांग कर्मचारी शंकर सिंह की पीड़ा को संज्ञान में लेते हुए त्वरित और दयालु कार्य किया ।
सहायक ग्रेड-तीन के पद पर पदस्थ यह कर्मचारी कई वर्षों से अपने स्थानांतरण के लिए प्रयासरत था, किंतु प्रशासनिक प्रक्रियाओं के कारण उसका आवेदन कई बार जिला न्यायालय स्तर पर निरस्त कर दिया गया था। संबंधित कर्मचारी छतरपुर जिले में अकेले निवासरत था, जबकि उसका परिवार ग्वालियर में रहता है। दिव्यांग होने के कारण उसे अपने वर्तमान कार्यस्थल पर कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। अपनी इस पीड़ा के कारण वह अंततः अपनी दिव्यांग पत्नी के साथ मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर पहुंचा। किंतु इस बात से अनभिज्ञ कि उसे स्थानांतरण हेतु किससे निवेदन करना चाहिए, वह और उसकी दिव्याग पत्नी उच्च न्यायालय परिसर में व्यथित अवस्था में थे।
आज जब माननीय मुख्य न्यायाधिपति उच्च न्यायालय परिसर से जा रहे थे, तभी उनकी दृष्टि उस कर्मचारी पर पड़ी। अपनी व्यस्तताओं के बावजूद, उन्होंने तत्काल उसे अपने पास बुलाया और उसकी समस्या के बारे में विस्तार से जानकारी ली। कर्मचारी की व्यथा सुनने के पश्चात, माननीय मुख्य न्यायाधिपति ने तत्काल संबंधित अधिकारियों को उस कर्मचारी का स्थानांतरण ग्वालियर करने के निर्देश प्रदान किये। माननीय मुख्य न्यायाधिपति के मानवता के प्रति इस दयालु दृष्टिकोण के अनुरूप, त्वरित रूप से स्थानांतरण आदेश जारी कर दिया गया और कर्मचारी को माननीय मुख्य न्यायाधिपति द्वारा स्थानांतरण आदेश की प्रति प्रदान की गयी। अपना स्थानांतरण आदेश प्राप्त होने पर उक्त कर्मचारी ने माननीय मुख्य न्यायाधिपति के प्रति आभार व्यक्त किया और भावविभोर हो उसके आंसू छलक गए।
माननीय मुख्य न्यायाधिपति श्री सुरेश कुमार कैत का यह कदम पुनः प्रमाणित करता है कि न्याय केवल कानून का पालन मात्र नहीं है, बल्कि उसमें संवेदना, दया और मानवता का समावेश भी होना चाहिए। उनके मानवता के प्रति किये गए इस सराहनीय कार्य ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि न्याय व्यवस्था में करुणा और सकारात्मक सोच का कितना महत्व है।