छात्रों के साथ साथ महाविद्यालय के शिक्षकों पर अत्याचार
विजयराघवगढ़
महाविद्यालय मे भारी अनियमितताओं की जानकारी लग रही है एक तरफ विधायक छात्रों के लिए कोई कसर नही छोड रहे हर मुमकिन व्यवस्था के लिए आतुर नजर आते है तो वही दूसरी तरफ महाविद्यालय मैनेजमेंट के अधिकारी अपनी तानाशाही के साथ छात्रों के साथ साथ महाविद्यालय के छोटे कर्मचारियों पर अत्याचार के साथ भ्रष्टाचार मे भी कोई कसर नही छोड रहे ।बताया जा रहा है की महाविद्यालय मे नियमित स्टाफ प्रतिदिन उपस्थिति नही रहता। वही आन ड्यूटी अवकाश मे बिना पूर्व की सूचना दिए मीटिंग या अंय शासकीय कार्यो के नाम पर महाविद्यालय से आए दिन बाहर रहते हैं। जानकारी तो यह भी लग रही है की महाविद्यालय मैनेजमेंट ने st/sc के छात्रों को हर वर्ष निशुल्क पुस्तकों का वितरण लगभग तीन वर्षों से नही किया। शिक्षको की परिक्षा ड्यूटी के दौरान मिलने वाली राशि भी का भुकतान अभी तक नही हुआ अनेको परिक्षाओं का भुकतान आज भी शेष है। सबसे शर्मनाक बात तो यह है की महाविद्यालय स्टाफ के लिए उपयोग होने वाले बाथरूम की हालत भी दैनिय है। स्वच्छता अभियान के तहत महाविद्यालय को साफ स्वास्थ्य रखना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए किन्तु न बात रुप सही है और न ही महाविद्यालय भवन जबकि शासन द्वारा स्कूल से लेकर कालेज व अंय शासकीय भवन की पुताई व चुटपुट मरम्मत हेतु शासकीय राशि प्राप्त होती है किन्तु महाविद्यालय कालेज को देख कर किले जैसी तस्वीर सामने आ रही है जहा पर महाविद्यालय का नाम तक नष्ट हो चुका है। जानकारी के अनुसार महाविद्यालय के हित व छात्रों के भविष्य हित मे बोलने बालो पर डाराने धमकाने का भी आरोप लग रहा है। ऐसी परिस्थिति मे छात्रों का भविष्य कहा तक सुरक्षित होगा। शिक्षको को अपनी महन्त का पैसा न मिलना शिक्षको के उत्साह को समाप्त कर रहा है तो वही महाविद्यालय की जरजर व्यवस्था से छात्रों की भी इक्षा शक्ति नष्ट हो रही है। शासकीय महाविद्यालय के प्राचार्य व अंय मैनेजमेंट के लोग सिर्फ उपस्थिति दर्ज करा बेतन ले रहे हैं छात्रों और महाविद्यालय स्टाफ के विषय पर कोई बिचार नही सच्चाई व्यान करने बालो को विरोधी माना जाता है उन्हे तरतरह से प्रताड़ना का शिकार बनाया जाता है। छात्रों का कहना है कि शासन द्वारा दि जाने वाली सुविधा नही मिल पा रही न ही छात्रों को पुस्तक वितरित की जा रही। नाम के लिए शासकीय महाविद्यालय है हम पैसा खर्च कर बाजार से पुस्तक खरीद कर अपनी शिक्षा पूरी करते हैं जबकि 70 % छात्र गरीब है जिन्हें शासकीय व्यवस्था मिलना अनिवार्य है।