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Friday, June 20, 2025

गुजरात:पिछड़ों की नाराज़गी से बढ़ेगी भाजपा की मुश्किल

सागरपुत्र कोली-निषाद जिधर,गुजरात की सत्ता उधर”

सूरत

(गोविंद शुक्ला)।गुजरात के बदले हुए सामाजिक राजनीतिक हालात में भाजपा के जनाधार में 8-10 प्रतिशत गिरावट का अनुमान है, तो वहीं कांग्रेस मजबूत स्थिति में दिख रही है। आरक्षण प्रतिक्रिया में बदलाव से गुजरात का पिछडा वर्ग भाजपा से काफी नाराज है, तो इधर गुजरात के सबसे बड़े सामाजिक समूह ने 24 प्रतिशत आरक्षण कोटा की माँग उठा रहा है।कोली मछुआरों के सौराष्ट्र के बड़े नेता पुरुषोत्तम भाई सोलंकी की नाराजगी से भी भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है।विधानसभा चुनाव दिसम्बर में सम्भावित है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने चुनाव पूर्व सर्वे कर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा,गृहमंत्री अमित शाह व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी रिपोर्ट दे दी है। संघ के सर्वे में विधानसभा चुनाव 2017 में प्राप्त सीटों में सीधा परिवर्तन होता दिख रहा है। कांग्रेस को जहां 110 से 120 तक सीट मिलने की स्थिति है, तो भाजपा के 57-60 सीट तक सिमटने का अनुमान है। गुजरात के विधानसभा चुनाव में विजय के लिए अमित शाह नरेंद्र मोदी की परेशानी बढ़ी है और गुजरात में भाजपा की विजय के लिए ये किसी भी हद तक जा सकते हैं।
फिलहाल गुजरात की जो सामाजिक-राजनीतिक हालात बने हैं, उससे गृहमंत्री व प्रधानमंत्री को अपने ही प्रदेश में मुंह की खानी पड़ सकती है। गुजरात के सामाजिक समीकरण में कोली मछुआरा समाज की आबादी 24.22 प्रतिशत है और आदिवासी जातिया 17.61 प्रतिशत,पटेल कुणबी पाटीदार 12.16 प्रतिशत,सवर्ण(ब्राह्मण,क्षत्रिय,बनिया) 8 प्रतिशत से भी कम हैं। अछूत दलित जातियों की गुजरात में अन्य राज्यों से काफी कम मात्र 7.17 प्रतिशत आबादी है वहीं मुसलमान भी 8.53 प्रतिशत है।
पश्चिमी गुजरात (सौराष्ट्र-कच्छ में कोली मछुआरा और कुणबी पाटीदार (लेऊआ पटेल) का काफी मजबूत जनाधार है। सौराष्ट्र व कच्छ की 58 सीटों में से 36 सीटों पर लैऊआ पटेल का वर्चस्व है, तो दूसरी तरफ सौराष्ट्र की 46 व दक्षिणी गुजरात की 13 सीटों पर कोली मछुआरा की आबादी काफी निर्णायक है। सौराष्ट्र की 24 व दक्षिणी गुजरात की 13 सीटों पर कोलियों की आबादी लगभग 50 प्रतिशत है। भाजपा ने राजनीति के तहत भी कोलियों दलितों को अपने पाले में करने के लिए पिछली बार रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनाया था,जिसके उसने राजनीतिक लाभ उठाया भी।इस बार द्रोपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाने का मक़सद आदिवासी वोटों का ध्रुवीकरण है।पिछले चुनाव में रामनाथ कोविंद को कोरी न प्रचारित कर गुजरात की कोलियों की ताकत को अपने साथ करने के लिए कोली’ प्रचारित कराया। इस विषय पर सामाजिक न्याय चिंतक व मछुआरों के नेता लौटन राम निषाद ने कहा कि रामनाथ कोविंद को कोली प्रचारित कराया जाना बहुत बड़ा धोखा था। यह भाजपा की झूठ-फरेब,छल-कपट की राजनीति का हिस्सा था, क्योंकि कोरी व कोली बिल्कुल अलग-अलग जातियां है। गुजरात के जातिगत समीकरण में ब्राह्मण 1.06 प्रतिशत राजपूत क्षत्रिय 4.85, बनिया 1.96, कुणबी पाटीदार 14.53 व अन्य सवर्ण जातियां 1.13 प्रतिशत है।
गुजरात की आबादी में कोली 24.22 प्रतिशत, माछी 0.55, भोई 0.38, खड़वा 0.19, शिल्पी 06.13, माली 0.12, भाट बरोट 0.33, भारवाड़/ यादव 02 01 घांची 0.32 प्रतिशत, निषाद,केवट,धीवर,माझी सहित अन्य अतिपिछड़ी मछुआरा जातियां 4.17 प्रतिशत, अछूत दलित 7.17 प्रतिशत, आदिवासी 17.61 प्रतिशत मुस्लिम 8.53 प्रतिशत, ईसाई 0.75 ,पारसी 0.21 प्रतिशत अन्य 4.05 प्रतिशत है। गुजरात में कोली समुदाय कुणबी पाटीदार से लगभग दोगुना है, पर पटेल राजनीतिक रूप से काफी जागरूक व सबल हो चुके हैं। सौराष्ट्र व कच्छ क्षेत्र में कोली मछुआरों में इधर जागरूकता आई है।परंतु दक्षिणी गुजरात, मध्य व उत्तरी गुजरात में कोली समाज के प्रभावशाली नेता नहीं है। परषोत्तम भाई सोलंकी काफी मजबूत व प्रभावाली नेता है, पर इनके कद को सीमित रखे जाने से कोली समाज में काफी नाराजगी दिख रही है। नरेंद्र मोदी के साथ 2001 में सोलंकी राज्यमंत्री पद की शपथ लिए थे और 2021 तक राज्यमंत्री ही रहे।भूपेन्द्र पटेल मंत्रिमंडल से इनकी छुट्टी ही कर दी गयी है।मुख्यमंत्री सहित 7 पाटीदार मंत्री हैं।पूरी सरकार में पाटीदारों का ही दबदबा है।
पिछले चुनाव में पुरुषोत्तम सोलंकी ने भाजपा से कोली समाज को 25-30 टिकट देने का मुद्दा उठाया था। इनके अलावा राज्यसभा सासद चुन्नीभाई गोहिल,शंकर नानू भाई कोली व लोकसभा सांसद डॉ. भारती शियाल के साथ देव जी फटेपारा, सोमागंडा पटेल, सत्यनारायण पवार, जगदीश ठाकुर जैसे प्रभावशाली कोली नेता हैं। जगदीश भाई ठाकोर गुजरात कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं।इस बार गुजरात में कोली को मुख्यमंत्री फेस घोषित करने का मुद्दा उछलता दिख रहा है। कांग्रेस के कुलीन शासक वर्ग में ब्राह्मण, बनिया गठबंधन हावी रहा। प्रदेश में खेतिहर जमीन का बहुत ही आसान बटवारा था। प्रकारांतर में पाटीदार खेतिहर कांग्रेस के कुलीन शासक वर्ग में सम्मिलित हुए। 1908 में कांग्रेस स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कुंवरजी मेहता पाटीदारों को संगठित करने में लग गए। उत्तरी गुजरात और सौराष्ट्र में कुणबी ही पाटीदार हैं। पाटीदारों को लेउआ पटेल,कड़वा पटेल,आंजना और मोती में विभाजित किया जा सकता है। जनसंख्या की दृष्टि से कोली मछुआरा सबसे अव्वल हैं। कोली सहित मछुआरा जातियों की संख्या 29.84 प्रतिशत है। कोली मध्य एवं उत्तर गुजरात में क्षत्रिय और दक्षिण गुजरात में पटेल कहलाना पसंद करते हैं।
कोली 8 प्रतिशत धनी किसान हैं और कोली में तटवर्ती और मैदानी विभाजन के अलावा तलबदार, पातनवाडिया, चुवाडिया, मकवाना ,धाराला, माछी, मातिया, गुलाम, खात,महादेव कोली, मल्हार कोली, टोकरे कोली, महावर कोली, सूर्यवंशी कोली,खारवा कोली,तांडेल,खेदर मछीमार, महागीर कोली, चैनवालिया उपविभाजन है। गुजरात में 25 मुख्यमंत्री में 16 मुख्यमंत्री सवर्ण जातियाँ ब्राह्मण, बनिया और क्षत्रिय के रहे हैं जबकि वर्चस्व वाली पाटीदार जाति 7 अवसरों पर राज सिंहासन पर आरूढ़ हुई है।
पिछड़ी व आदिवासी जातियों में से अभी तक एक-एक मुख्यमंत्री बना है। प्रदेश में सबसे अधिक 24.22 प्रतिशत आबादी वाला कोली सहित 29.84 प्रतिशत कोली निषाद मछुआरों में से एक भी मुख्यमंत्री के सिंहासन तक नहीं पहुंचा। गाहे बगाहे एक दो लोगों को राज्यमंत्री बना दिया जाता है। भूपेन्द्र पटेल मंत्रिमंडल में कोली समाज के 2 राज्यमंत्री हैं जबकि पाटीदार समाज के 4 कैबिनेट व दो कैबिनेट तथा 2 राज्यमंत्री हैं। गुजरात में कांग्रेस हो या भाजपा पटेल पार्टीदारों को टिकट वितरण में ज्यादा तवज्जो देती हैं। 1997 के विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस व भाजपा में क्रमश 32 व 57,2002 के चुनाव में क्रमश 45 व 58, 2007 के चुनाव में 42 व 53 तथा 2012 के चुनाव में 44 व 58 और 2017 में 41 व 53 टिकट पाटीदार कुणबी समाज को दिया था, जबकि इन चुनाव में कोली समाज को दोनों दलों ने 14-14 टिकट से अधिक टिकट नहीं दिया, जो इनकी उपेक्षा का परिचायक है।
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का कार्यक्रम गुजरात में न होने से भाजपा ने राहत की सांस लिया है।राजनीतिक पण्डित आश्चर्य में हैं कि आखिर राहुल का गुजरात में भारत जोड़ो यात्रा का कार्यक्रम निर्धारित क्यों नहीं किया गया?केरल से शुरू भारत जोड़ों यात्रा तमिलनाडु, कर्नाटक,आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब होते हुए जम्मू कश्मीर पहुंचेगी।दिसम्बर में गुजरात विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है।यह यात्रा मध्यप्रदेश से राजस्थान में प्रवेश करेगी।अगर यह यात्रा महाराष्ट्र से गुजरात होकर मध्यप्रदेश में प्रवेश की होती तो कांग्रेस को अच्छा समर्थन मिला होता।
आम आदमी पार्टी के गुजरात में सक्रियता का नुकसान आखिर किस दल को उठाना पड़ेगा,अभी भविष्य के गर्भ में है।लेकिन जानकारों की माने तो भाजपा का कुछ ज्यादा नुकसान दिखाई दे रहा है।गुजरात के सत्ता संग्राम में विजय के लिए कांग्रेस को 5 प्रतिशत अतिरिक्त वोट जुटाने की चुनौती है।अंदर अंदर भाजपा नेतृत्व व प्रधानमंत्री, गृहमंत्री गुजरात किले को बचाने के लिए चिंतित है।गुजरात विधानसभा चुनाव के 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर ही मध्यप्रदेश, गुजरात की सीमा पर राजस्थान के आदिवासी आस्था केन्द्र मानगढ़ में भाजपा द्वारा प्रधानमंत्री के कार्यक्रम की तैयारी चल रही है।राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव व सामाजिक न्याय चिन्तक लौटनराम निषाद का कहना है कि-कोली सागरपुत्र जिधर,गुजरात की सत्ता उधर।

सुंदरलाल बर्मनhttps://majholidarpan.com/
Sundar Lal barman (41 years) is the editor of MajholiDarpan.com. He has approximately 10 years of experience in the publishing and newspaper business and has been a part of the organization for the same number of years. He is responsible for our long-term vision and monitoring our Company’s performance and devising the overall business plans. Under his Dynamic leadership with a clear future vision, the company has progressed to become one of Hindi e-newspaper , with Jabalpur district.

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