जेसीबी मशीन से खोदा गया नरेगा योजना का तालाब व मारा मजदूरों का हक, पीएम आवास में भी भ्रष्टाचार
पंकज पाराशर छतरपुर✍️
बुंदेलखंड में गरीबों को शासन की योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है, छतरपुर जिले में जनपद पंचायत बिजावर के अंतर्गत ग्राम पंचायत गोपालपुरा में शासन की जनहितैषी योजनाओं की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। यहां नरेगा योजना के तहत तालाब स्वीकृत किया गया था ताकि मजदूरों को काम मिल सके लेकिन जेसीबी मशीन से तालाब खोद दिया गया और मजदूरों का हक मारा गया। इतना ही नहीं पीएम आवास योजना में भी जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। जनपद कार्यालय से महज 10 किमी की दूरी पर स्िथत इस पंचायत में सचिव की सलाह पर जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है। तमाम गड़बड़ियां निर्माणकार्यों में उजागर हो रही हैं।
निर्माणकार्यों की गुणवत्ता पर उठे सवाल
जनपद पंचायत बिजावर की इस ग्राम पंचायत गोपालपुरा में शासन की विभिन्न योजनाओं के तहत होने वाले निर्माणकार्यों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं जो जांच का विषय है। मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि इसमें जनपद पंचायत में पदस्थ कर्मचारी के वायरल वीडियो में उनकी जुबानी मानें तो पंचायतों में होने वाले निर्माणकार्यों में घटिया सामग्री का इस्तेमाल और स्तरहीन निर्माणकार्य किये जा रहे हैं। ऐसे निर्माणकार्यों के एवज में स्थानीय एवं जिले के अधिकारियों को कमीशन दिया जाता है। उपयंत्रियों द्वारा भी पंचायत शाखा से राशि एकत्र की जाती है जो अधिकारियों के लिए खर्च की जाती है। इस वायरल वीडियो में कई अधिकारियों का नाम भी उल्लेख किया गया है। पंचायत स्तर पर आमदनी का श्रोत निर्माणकार्य ही है और उसी से व्यवस्था की जाती है। इसका सीधा मतलब निकाला जाए तो पंचायतों में घटिया निर्माण की एक वजह कमीशनखोरी है।
एक ही रात में जेसीबी से खोदा तालाब
गोपालपुरा पंचायत में नरेगा योजना से तालाब निर्माणकार्य स्वीकृत हुआ। ग्रामीणों के अनुसार उक्त तालाब को मात्र एक ही रात में जेसीबी मशीन से खुदवा दिया गया। नवनियुक्त सरपंच की मानें तो सभी ने सचिव, उपयंत्री के कहने पर यह काम करवाया। सचिव, उपयंत्री ने कहा कि जैसा मैं कहता हूं, वैसा करो। तुम अभी नए सरपंच बने हो, ये सब काम ऐसे ही किये जाते हैं नहीं तो साल भर तक नहीं हो पाते। इसी तरह पंचायत में नाली और अन्य तालाब का भी निर्माण किया गया।
समाज भवन पड़ा अधूरा
ग्राम पंचायत गोपालपुरा में बनने वाला समाज भवन अधूरा पड़ा हुआ है, सार्वजनिक शौचालय भी राशि के अभाव में एक वर्ष से अधूरे पड़े हैं। नाली सफाई के नाम पर 25 हजार की राशि फर्जी तरीके से निकाली गई। चार महीने बीत जाने के बाद भी सफाई नहीं कराई गई। पीएम आवास का लाभ अपात्र लोगों को दिया जा रहा है। लेआउट से लेकर निर्माणकार्य की पूरी प्रक्रिया की जिम्मेदारी सेक्टर उपयंत्री की होती है लेकिन उपयंत्री के सेक्टर में ही सभी निर्माणकार्यों में गड़बड़ियां मिल रही हैं। खास बात यह है कि उपयंत्री सेक्टर के नहीं हैं, अलग से आने का वक्त नहीं है। पंचायत में कभी निर्माणकार्य देखने जाते नहीं हैं। इस संबंध में ग्रामीणों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उपयंत्री कभी पंचायत में नहीं आते, शिकायत भी करते हैं तो वह टाल देते हैं और कहते हैं कि सचिव से बात करें, मेरा काम नहीं है। सचिव के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे खुलकर कह रहे हैं कि ऊपर से नीचे तक पैसा भरता हूं, और निर्माणकार्य गुणवत्ताविहीन नहीं करूंगा तो कमीशन की राशि कहां से दूंगा।