पंचायतों के आय के स्त्रोत बढाने पर तीन दिवसीय कार्यशाला प्रारंभ
जबलपुर
राज्य शासन की मंशा अनुसार राज्य ग्रामीण विकास संस्थान जबलपुर द्वारा पंचायतों में स्वयं के आय के स्त्रोत बढाने विषय पर आज सोमवार से तीन दिनों की ट्रेनिंग नीड एनालिसिस कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशाला में जबलपुर सहित पाँच जिलों के पंचायत प्रतिनिधि, अधिकारी एवं कर्मचारी भाग ले रहे हैं। साथ ही राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान हैदराबाद के कन्सलटेन्ट एवं राज्य ग्रामीण विकास संस्थान के प्रशिक्षक प्रतिभागी कार्यशाला में शामिल हो रहे हैं।
ट्रेनिंग नीड एनालिसिस से करारोपण का ब्लू प्रिंट बनेगा जिससे भविष्य में पंचायतों में करारोपण की प्रक्रिया मजबूत हो सकेगी।
सीईओ जिला पंचायत जबलपुर श्रीमति जयति सिंह द्वारा जबलपुर जिले के सात प्रतिभागियों को इस कार्यशाला में नामांकित किया गया है। कार्यशाला में करारोपण कैसे किया जाये, करारोपण से पंचायतें कैसे आत्मनिर्भर होंगी एवं करारोपण के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा होगी। इसके अलावा करारोपण का दायरा कैसे बढाया जाये ताकि पंचायतें स्थानीय स्व-शासन की इकाई के रूप में अपनी उपयोगिता एवं सार्थकता प्रमाणित कर सकें इस पर भी कार्यशाला में विचार विमर्श होगा।
वर्ष 1994-95 के करारोपण का नियम की समीक्षा एवं वर्तमान में इसकी प्रासंगिकता का आकलन भी कार्यशाला में किया जा रहा है। साथ ही नियमों में क्या बदलाव आवश्यक है, इसका सुझाव भी राज्य सरकार को भेजा जायेगा। कार्यशाला के पहले दिन आज सोमवार को जिला पंचायत जबलपुर के अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी मनोज सिंह ने भी भाग लेकर अपने अनुभव साझा किये । प्रशिक्षण में यह तथ्य प्रकाश में आया कि डेयरी उद्योग, बारात घर, होटल, अद्यौगिक प्रतिष्ठान, शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल, बड़े शोरूम, विभिन्न प्रकार के प्रचार माध्यम में अभी भी करारोपण के प्रावधान सुस्पष्ट नहीं हैं, जिससे पंचायतों को टैक्स लेने में असुविधा होती है। इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्र में स्थापित बड़ी-बड़ी कॉलोनियों में पंचायतों को सुविधायें उपलब्ध करानी होती है जबकि कॉलोनाईजर एक्ट से पंचायतों को कोई वित्तीय लाभ नही मिल पाता। पंचायतें पेयजल, स्वच्छता, सड़क आदि समेत समस्त सुविधायें भी उपलब्ध कराती है परन्तु टैक्स नहीं मिल पाता।