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Friday, June 20, 2025

गौरीशंकर मंदिर प्रतापगढ़ जहां शिव ने तोड़ा था अर्जुन का घमंड

महाभारत कालीन युग से जुड़ा

विश्व में उत्तर प्रदेश के गौरीशंकर धाम प्रतापगढ़ से पौराणिक मान्‍यता भी जुड़ी है। पांडव अज्ञातवास काट रहे थे तो वह प्रतापगढ़ जिले में भी आए थे। भुपियामऊ के पास अर्जुन का घमंड तोड़ने के लिए प्रतापगढ़ का रूप धारण किया था। भगवान शंकर ने बहेलिए के रूप में दर्शन दिया। सावन मास में शिव भक्ति की बयार बह रही है। यूपी के प्रतापगढ़ के शिवालयों में भुपियामऊ में स्थित गौरीशंकर धाम भी प्रमुख स्थान रखता है। इसकी पौराणिक मान्यता भी है। यहां पर आस्था और भक्ति संग सेवा व विश्वास का संगम होता है। सावन में माह भर यह धाम भक्‍तों के जयकारे से गूंजता रहता है। कांवड़ियाें की भी भीड़ पूजन-अर्चन को जुटती है।
*हरियाली के बीच मंदिर रमणीय स्‍थल*
गौरीशंकर धाम भुपियामऊ चौराहे के बगल 200 मीटर पर स्थित है। हरियाली के बीच यह स्थान बड़ा सुंदर लगता है। श्रीराम की नगरी अयोध्या से प्रयागराज जाने वाले श्रद्धालु प्रतापगढ़ के गौरीशंकर मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। परिसर में ही बेलपत्र और तरह-तरह के पुष्प और शमी का पौधा भी उपलब्ध है। यहां मुख्य शिवलिंग के साथ उपलिंग सहित सभी देवी देवताओं के मंदिर और धर्मशाला भी बनी हुई है। मेला भी महाशिवरात्रि को लगता है।
*महाभारत कालीन युग से जुड़ा है मंदिर का महात्‍म्‍य*
एमडीपीजी कालेज के प्रचीन इतिहास विभाग के प्रोफेसर डा. पीके शर्मा बताते हैं कि जब पांडव अज्ञातवास काट रहे थे तो वह प्रतापगढ़ भी आए थे। भुपियामऊ के पास अर्जुन का घमंड तोड़ने के लिए भगवान शंकर ने बहेलिया का रूप धारण किया था। उन्होंने अर्जुन को ललकारा तो दोनों में युद्ध हुआ। जब अर्जुन हार गए तो उन्हें बड़ी ग्लानि हुई और उनको महसूस हुआ कि यह कोई महाशक्ति हैं। इस पर वह उनके चरणों में गिर पड़े तो भगवान शंकर ने दर्शन दिया। इसके बाद अर्जुन ने लाल मोरंग से शिवलिंग बनाकर पूजा की। भगवान ने उनको पशुपति अस्त्र प्रदान किया था। तब से यह मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।
*जलाभिषेक करने से व्‍यक्ति के जीवन बदलाव*
गौरीशंकर धाम के पुजारी टोनी महाराज कहते हैं कि धाम का शिवलिंग अनवरत बढ़ रहा है। यहां सच्चे मन से जलाभिषेक करने वाले के जीवन में बदलाव आता है। इसके कई उदाहरण हैं। हालांकि दुखद है कि गौरीशंकर धाम का पर्यटन के नजरिए से विकास अब तक नहीं हो सका।

सुंदरलाल बर्मनhttps://majholidarpan.com/
Sundar Lal barman (41 years) is the editor of MajholiDarpan.com. He has approximately 10 years of experience in the publishing and newspaper business and has been a part of the organization for the same number of years. He is responsible for our long-term vision and monitoring our Company’s performance and devising the overall business plans. Under his Dynamic leadership with a clear future vision, the company has progressed to become one of Hindi e-newspaper , with Jabalpur district.

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