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Tuesday, December 24, 2024

खेती-बाडी

यह समय खरीफ की फसलों के लिए बीज के प्रबंधन का है
क्या आप जानते हैं, बीज कितने प्रकार का होता है??

खेती में बीज का कितना महत्व है ??
क्या आप जानते हैं,  बीज कैसे तैयार किया जाता है??

नोट…एक बार समय निकाल कर इसे पढ़ें जरूर…

हम सब जानते हें की खेती में सबसे अधिक महत्व बीज का ही होता है। अपने यहां पुरानी कहावत हैं की—
हम जैसा बोएंगे
वैसा ही काटेंगे।
खेत की तैयारी हमने कितनी भी बेहतर की हो, कितनी ही अच्छी से अच्छी खाद डाली हो, समय पर पानी दिया हो, बिमारियों से मुक्त करने कितने भी महंगी से महंगी दवाईया डाली हो, निदाई की हो, पर यदि हमने अपने खेत में अच्छा शुध्द् गुणवत्ता का बीज नही डाला तो अपनी पूरी लागत बेकार हो जायेगी। ….
वही उगेगा जो हमने बोया है और उतनी ही पेदाबार हम ले पाएंगे।….
समझदार किसान भाई खेती में बीज के महत्व को भलीभांति समझते हैं और सबसे अधिक ध्यान बीज के चुनाव और पहले से पहले उसका प्रबंध कर लेते हैं।   बीज प्राप्त करने में पूरी उर्जा लगाते हैं। पैसा खर्च करते हैं।…. जुगाड़-तुगाड से कैसे भी अच्छा से अच्छा बीज हथियाने का, प्राप्त करने का प्रयास करते हें।….
कुछ किसान भाई जब बोनी करनी होती है, तब बीज के लिए यहां वहां भटकते है, फिर जो मिला उसी में उन्हें संतोष करना पड़ता है। ऐसा नही करना चाहिए।…
बीज हमेशा भरोसे मंद विश्वसनीय  प्रतिष्ठानो , संस्थानो से ही खरीदने की सलाह दी जाती है। जिनके पास  बीज बनाने का पुराना अनुभव हो, ऐसे जांचे पर्खे स्थानो से ही बीज किसान भाईयों को खरीदना चाहिए।….
ज्ञात हो की उच्च गुणवत्ता के बीज बहुत सीमित मात्रा मे ही उप्लब्ध रह्ते हें। समझदार किसान भाई  पूर्व से ही उसे आरक्षित करा लेते हें।….
*बीज कैसे तैयार होता है, जानें* ….
भाईयों, बीज बनाना आसन नही है।  बीज बनाने वालों को बीज बनाने की पूरी प्रक्रिया का इमानदारी से पालन करना होता है।
जिसमे बीज उपचार से लेकर बोने के तरीके, संतुलित मात्रा मे खाद वा जरुरी दवाईयो का प्रयोग तथा खेतों में अवांछनीय पौधो का विनिश्टी करण, रोगिग तथा किसी भी बीमारी से बचाव के उपाय पूरे उपाय किये जाते है, साथ ही आसपास की बोनी पर भी निगरानी रखी जाती है, की आस पास के खेतों से कोई रोग फ़ेलने की कोई सम्भावना तो नही हे, यह सब विषेशज्ञों वा अधिकारियों की सतत्  निगरानी मे संपन्न होते हैं। फसल कटाई पर विषेश ध्यान दिया जाता है, बीज वाले खेत की कटाई बिल्कुल अलग से की जाती हैं। ध्यान रखना होता हे की किसी प्रकार की मिलावट होने की सम्भावना ना हो। बोरे में भराई वा प्रत्येक बोरें में मार्किंग, जिन्स का नाम उत्पादक का नाम पता वा कटाई का दिनांक अंकित करना अनिवार्य होता है। यह पूरी प्रक्रिया बीज प्रमाणीकरण संस्था के अधिकारियों व विषय विषेश्ज्ञों की निगरानी में सम्पन्न होती है। इस प्रकार भरे बोरे निश्चित ग्रेडर संस्थान में लाये जाते हैं, जहाँ उसकी ग्रेडिग, मशीन से की जाती हैं। बीज के सैंपल प्रमाणीकरण संस्थान के अधिकारियों द्वारा बनाये जाते हैं, जिन्हे बीज की प्रयोग शाला में परीक्षण के लिये भेजा जाता है। जहाँ उसके अंकुरण प्रतीशत,नमी,बीज की शुध्ता अनुवान्शिक्ता कें साथ अन्य तथ्यो की जांच की जाती हैं व उस उत्पाद की जांच रिपोर्ट  प्राप्त होने पर उस उत्पाद की मात्रा के अनुसार उन्हे प्रत्येक बोरे मे लगाने के लिये अधिकृत हस्ताक्षर युक्त टेग बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा उपल्ब्ध कराये जाते हें। एक टेग उत्पादक संस्था का होता हे। जिसमे बीज का नाम, निर्माण वर्ष, अंकुरण क्षमता, वजन, अवधि  आदि का उल्लेख होता हे। फिर पुन: ग्रेडिंग के बाद शासकीय नियमो के अनुसार छपे हुये बोरे मे भराई, तलाई, सिलाई के साथ दोनो टेग अधिकारियो की उपस्थिति मे लगाये जाते हें।
*यही प्रमाणित गुण वत्ता युक्त बीज होता* है, जिसे शाशकीय  निर्धारित दरों पर किसान भाइयों को उप्लब्ध कराया जाता है।
अब आप समझ ही गये होंगें की यह सभी प्रक्रिया आसान नही हे। इसका प्रबंध कुछ ही उत्पादक संस्थाएं कर पाती हें। इन संस्थाओं की साख व विश्वसनीयता की जांच पडताल के बाद ही किसान भाईयों को बीज प्राप्त करना चाहिए। खरीद के समय टेग जरूर देखें, और खरीद बिल अवश्य प्राप्त करें। बोनी के समय बोरे और टेग  कटाई तक सम्भाल कर रखें।
*बीज के प्रकार*—
(1) नुक्लियस सीड- (नाभिक बीज)
ये सीड कृषि कालेज व सरकारी मान्यता प्राप्त लेब/ फ़ार्म मे विशेषज्ञो की कडी  निगरानी मे तेयार  किये जाते हें।
(2) ब्रीडर सीड ( प्रजनक बीज)–
नुक्लियस सीड को कृषि  कॉलेज या शासन के फ़ार्म मे पूरी प्रक्रिया,व कडी निगरानी के तहत बोया जाता हे, जिससे ब्रीडर तेयार होता है। यह सबसे पहले सरकारी फर्मों, बीज उत्पादक संस्थाओ  को आबंटित किया जाता हे, शेष बची मात्रा किसानो को दी  जाती हे।
(3) फाऊंडेशन सीड (आधार बीज)–
ब्रीडर बीज की बोनी से उक्त प्रक्रिया से उत्पादित बीज आधार बीज कहलाते हें।
(4) सर्टीफाइड सीड वन ( प्रमाणित बीज -1 )–
उक्त आधार बीज की बोनी के बाद प्राप्त उत्पाद प्रमाणित बीज 1 कहलाता हे।
(5) सर्टी फायड सीड 2 ( प्रमाणित बीज 2)– उक्त प्रमाणित बीज 1 की बोनी से प्राप्त उत्पाद प्रामाणित 2 कहलाता हे।….
(6) ट्रुथ फुल लेवेल सीड– जिसको टी एल सीड कहते है। यानी सत्य के स्तर का, उस परिधि के बीज…. प्रमाणित बीज 1 एवं 2 की स्टेज के बाद या कुछ संस्थान जिन्हें बीज के मापदंड पूरे न होने से  शाशकीय टेग नही मिल पाता वे टी.एल के नाम से बीज का विक्रय करते है।.. जब मानक के बीज न मिल पाए तो उस स्थिति में टी एल सीड,  बहुत जांच परख कर लेने की सलाह दी जाती

*विषेश सावधानी*-
(1) बीज सदेव विश्वशनीय प्रतिष्ठित संस्थाओ/संस्थानों से ही खरीदना चाहिए।
(2) बीज खरीद का बिल ज़रुर लेकर , सम्भाल कर रखना चाहिए।
(3) बोनी के समय टैग निकालकर वा बोरिया सम्भाल कर रखना चाहिए।
(4) बीज हमेशा बदल बदल कर बोना चाहिए यानी वही बीज उसी खेत में दुबारा नही लगाना चाहिए।
(5) स्वयं का उत्पादित बीज 2 साल से  ज्यादा उपयोग नही करना चाहिए। अन्य प्रकार की मिट्टी, स्थान जलवायु,मौसम में बोया हुआ बीज ही बदलकर लगायेंगे तो अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे।  बीज मे सतर्कता बरतने वाले किसान कम लागत में अधिक उप्त्पादंन प्राप्त कर, अपनी आय में बढोतरी कर सकते है।…

प्रस्तुति–
*फ़ार्मर्स ग्रुप*
*(किसानो का अपना बृहद  परिवार)*

सुंदरलाल बर्मन
सुंदरलाल बर्मनhttps://majholidarpan.com/
Sundar Lal barman (41 years) is the editor of MajholiDarpan.com. He has approximately 10 years of experience in the publishing and newspaper business and has been a part of the organization for the same number of years. He is responsible for our long-term vision and monitoring our Company’s performance and devising the overall business plans. Under his Dynamic leadership with a clear future vision, the company has progressed to become one of Hindi e-newspaper , with Jabalpur district.

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