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Friday, June 20, 2025

किसानों को बताये पाले से फसल के बचाव के उपाय.

चार डिग्री से तापमान कम होने पर होती है पाले की संभावना.

जबलपुर

शीतलहर के बढ़ते प्रकोप और तापमान में आ रही गिरावट को देखते हुये किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग ने जिले के किसानों को पाले से फसलों को बचाने के उपाय बताएं हैं। उप संचालक कृषि डॉ एस के निगम के मुताबिक रात का तापमान चार डिग्री सेंटीग्रेड से कम होने पर पाला पड़ने की संभावना होती है। पाले से मुख्य रूप से सब्जी फसलों में ज्यादा नुकसान होता है। इसके अलावा दलहनी फसलों को भी पाले से नुकसान हो सकता है। पाले की संभावना तब और अधिक हो जाती है, जब शाम को आसमान साफ हो और हवा बंद हो।

उप संचालक कृषि ने बताया कि किसानों को पाले के प्रभाव से बचाने के लिए दीर्घकालीन उपायों में वायु अवरोधक पेड़ उत्तर पश्चिमी मेड़ों पर लगाने चाहिए। पाले के प्रभाव से फल फूल प्रभावित होते हैं एवं पत्तियों पर ओस की बूंद के जमने से कोशिकाएं फट जाती हैं, जिससे पत्तियों का हरा रंग समाप्त हो जाता है एवं मिट्टी के समान दिखाई देने लगता है। उन्होंने बताया कि पत्तियों के सड़ने से बैक्टीरिया जनित बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है। पत्ती, फल एवं फूल सूख जाते हैं, फल के ऊपर धब्बे पड़ जाते हैं और स्वाद भी खराब हो जाता है।

अनुविभागीय कृषि अधिकारी पाटन डॉ इंदिरा त्रिपाठी ने फसल को पाले से बचाने के लिए किसानों को सिंचाई करने, मेड़ों पर धुआं करने, दवाओं का इस्तेमाल करने तथा पॉलिथीन का इस्तेमाल करने जैसे उपाय सुझायें हैं।

पाले से फसल को बचाने सिचाई करें :-

पाले से फसल को बचाने के लिए किसानों को खेतों में हलकी सिचाई करने की सलाह दी गई है। किसान सिचाई के लिए स्प्रे पंप से फवारे से करें तो और भी बेहतर रहता है। किसानों को दोपहर बाद सिंचाई करने का सुझाव दिया गया है। खेतों की मिट्टी में नमी बनाये रखे जिससे पाले का असर नहीं होता है।

मेडो पर धुआँ करें :-

पाले की जिस दिन सम्भावना लगे उस दिन आधी रात के बाद 4 या 5 बजे के लगभग अपने खेतों को मेड़ों पर कूड़ा कचरा जलाकर धुआँ करने की सलाह दी गई है। धुआँ से वहाँ के वातावरण में एक घेरा बन जाता है, जिससे तापमान में गिरावट कम हो जाती है और फसल पर पाले का असर नही हो पाता है।

पालीथीन का प्रयोग करें :-

सब्जियों पर पाले का असर बहुत जल्दी होता है। इसलिए सब्जियों को पाले से बचाने के लिए उन पर पॉलीथिन ढकने की सलाह किसानों को दी गई है। पॉलीथिन के अंदर तापमान 2-3 डिग्री कम गिरता है। किसान पॉलीथिन का प्रयोग अभी बोई हुई फसल पर भी कर सकते हैं।

दवाओं का छिड़काव करने की सलाह :-

किसानों से कहा गया है कि पाले से बचाव के लिए दवाइयों की सहायता भी ली जा सकती है। यूरिया की 2 किलो मात्रा 100 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव करना चाहिए अथवा 8 से 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से भुरकाव करना चाहिये। इसके अलावा घुलनशील सल्फर 80 प्रतिशत डब्लू डी जी की 40 ग्राम मात्रा प्रति 15 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव किया जा सकता है। ऐसा करने से पौधों की कोशिकाओं में उपस्थित जीवद्रव्य का तापमान बढ़ जाता है।

एक रस्सी को दो लोग लेकर खेत के दोनों छोर ले लेकर चलने से भी फसल पर जमी ओस की बूँदे गिर जाती है और पाले का प्रभाव नहीं हो पाता है । किसान फसल पाले से प्रभावित हो जाने की स्थिति मैं फसल को पुनर्जीवन देने के लिए बोरान 100 ग्राम प्रति एकड़ और चिलेटेड जिंक 100 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 100 लीटर पानी में मिलकर स्प्रे कर सकते हैं। जिससे कोशिकाओं में और फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है|

सुंदरलाल बर्मनhttps://majholidarpan.com/
Sundar Lal barman (41 years) is the editor of MajholiDarpan.com. He has approximately 10 years of experience in the publishing and newspaper business and has been a part of the organization for the same number of years. He is responsible for our long-term vision and monitoring our Company’s performance and devising the overall business plans. Under his Dynamic leadership with a clear future vision, the company has progressed to become one of Hindi e-newspaper , with Jabalpur district.

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