खाली प्लाट पर ‘पक्का मकान’ दिखाकर भेज दिया नोटिस – जनता में आक्रोश
मझौली जबलपुर
प्रधानमंत्री आवास योजना 2.0 में पात्र गरीबों को आवास उपलब्ध कराने की मंशा को नगर परिषद मझौली के कर्मचारी और अधिकारी कैसे मज़ाक बना रहे हैं, इसका ताज़ा उदाहरण सामने आया है।
स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि उन्होंने वर्षों पहले खरीदे गए अपने खाली प्लाट पर पीएम आवास योजना का आवेदन किया था। लेकिन सर्वे करने पहुँची नगर परिषद टीम ने जाँच तक किए बिना रिपोर्ट में लिख दिया – “पक्का मकान पाया गया”। इसके बाद संबंधित आवेदक को सीधे नोटिस जारी कर दिया गया।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि—
नोटिस में न तो सर्वे करने वाले अधिकारी/कर्मचारी का नाम-पद अंकित है, और न ही रिपोर्ट तैयार करने का कोई आधार या प्रमाण दिया गया है।
यानी पूरे सर्वे की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।
जनता के बीच यह सवाल
लोग अब पूछ रहे हैं कि:आखिर किन कर्मचारियों ने यह सर्वे किया? किस नियम के तहत बिना मौके का सही निरीक्षण किए पक्का मकान लिख दिया गया?जब प्लाट बिल्कुल खाली है तो आँखों पर पट्टी बाँधकर रिपोर्ट क्यों तैयार की गई?
भ्रष्टाचार और सांठगांठ की बू
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह मामला सिर्फ़ एक गलती नहीं बल्कि योजनाबद्ध भ्रष्टाचार और मनमानी का हिस्सा है। पात्र लोगों को आवास से वंचित करने के लिए नगर परिषद अधिकारी-कर्मचारी और ठेकेदारों के बीच मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है।
RTI और कानूनी लड़ाई की तैयारी
आवेदकों ने अब RTI (सूचना का अधिकार) के तहत सवाल दाग दिए हैं
* किस अधिकारी-कर्मचारी ने सर्वे किया?
किस आधार पर रिपोर्ट बनी?”
यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो मामला राज्य सूचना आयोग और उच्च न्यायालय तक ले जाने की तैयारी है।
नगर के वार्डों में चर्चा है कि— “अगर खाली ज़मीन को नगर परिषद की आँखों में पक्का मकान दिखने लगा है, तो सोचिए वास्तव में गरीबों के साथ कैसा अन्याय हो रहा होगा।”
यह रिपोर्ट सीधे-सीधे नगर परिषद मझौली की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है। अब देखना होगा कि उच्च अधिकारी और जिला प्रशासन इस फर्जीवाड़े पर कब कार्रवाई करते हैं।