कौन बनेगा मुख्यमंत्री.. ? प्रदेश की सत्ता एक बार फिर असंतुष्ट और असंतोष के भंवरजाल को पार करने के बाद ही तय होगी
भोपाल
दरअसल जिस तरह से भाजपा में पूर्व मंत्री और विधायक रहे दीपक जोशी ने अपनी पार्टी से नाता तोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ली है और उनके जैसे भाजपा के कई और नेताओं ने जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी की रीति नीतियों को लेकर सवाल उठाना शुरू किए हैं इससे तो लगता है कि लाडली बहना योजना सहित अन्य बड़े बड़े धार्मिक आयोजनों भागवत कथा पुराणों के माध्यम से वोटों के धुर्वीकरण की जुगत में लगी बीजेपी में अंदर ही अंदर भारी असंतोष और असन्तुष्टि का माहौल बन गया है । चुनावी तैयारियों में लगी भाजपा से इस तरह अचानक उनके नेताओं का मुखर होकर विरोध करना बड़ी राजनीतिक नाकामी है वह तब जब कि कांग्रेस के द्वारा उठाये जा रहे अनेक मुद्दों को लेकर भाजपा जिस तरीके से सरकार और संगठन के माध्यम से जनता के बीच विरोध की लहर ही नहीं बनने दे रही थी । प्रदेश में कांग्रेस को कमजोर करने के लिये कुछ नेता जिस समन्वय और समझौते के माध्यम से भाजपा सरकार के खिलाफ लगातार बड़े-बड़े मामलों में कुछ भी बोलने से बचते रहे हैं ऐसे घटनाक्रम से वह भी सकते में हैं और अब लगता है कि भाजपा भी इन बदले समीकरण के चलते कुछ महत्वाकांक्षी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने की तैयारियां करके बैठी हो । प्रदेश में बदल रहे राजनीतिक समीकरणों के इस दौर में उन लोगों को भी यह बड़ा झटका है जिनकी चर्चा समाचार माध्यमों में समय-समय पर आपस में बैठक कर अपने अपने राजनीतिक रूप से महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिये लामबंदी करते रहने की आती रहती थीं । फिलहाल मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के चंद महीने पहले जिस तरह से राजनीति दलबदल और सत्ता के समीकरण तेजी से बदल रहे हैं उससे लगता है कि आने वाले समय में प्रदेश की सत्ता में किसी की भी ताजपोशी इतनी आसानी से नहीं होने वाली है ।