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Saturday, June 21, 2025

मोदी जी के जन्म दिन पर नामीबिया (विदेश) से आठ चीते मध्यप्रदेश के कोनो नैशनल पार्क में लाएंगए

चीतों के भोजन के लिए 1500 चीतल नरसिंहगढ (राजगढ़) से और 500 चीतल पेंच से भेजे जाएंगे 

सिहोरा से अनिल जैन की रिपोर्ट 

वाह री सरकार..

ये 8 चीते उन बेजुबान चीतल हिरणों का शिकार करके अपना पेट भरेंगे 

विदेश से किसी जानवर को बुलाकर अपने यहां भारत के सैकड़ो बेजुबान जानवरों को उनका भोजन बनाना कहां की समझदारी है।

 विदेश से लाए गए चीतों की भूख की इतनी चिंता की  हिरणों की बलि दे देंगे

  क्या ये पाप नही हे ?

यहां कहां चीतो की जरूरत है,और लाए भी तो वो खुद उनका शिकार करेंगे या कुछ भी करे । उनके आगे नादान बेजुबान चीतल हिरणों को  जानबूझ कर छोड़ना गलत हे और पाप है ।

ये तो वो भारत है जहा इंसान अपनी जान की बाजी लगाकर एक जानवर को बचा लेता है ।

अब यही चीते, हमारे यहां के हिरण, बकरी,गाय,बन्दर, लंगुर,निल गाय,भेंसे ,सुअर आदि अनेकों के बछड़ों पर हमला करेंगे और इनको मारकर खायेंगे । और एक जानवर के पेट भरने के लिए दूसरे 10 जानवरो को उसका भोजन बनाना  ये कहा का न्याय है ।

 वाह री सरकार । 

ऐसा जन्म दिन तो हमनें पहली बार किसी को मनाते देखा वर्ना जन्म दिन पर लोग पशुओं को रोटी,चारे का खाना खिलाते हैं। पुन्य का काम करते हैं और निबोध जानवरों का आशीर्वाद लेते हैं । फिर हम ये क्यों भुल जाते हैं हमारा धर्म पुनर्जन्म को मानने वाला है और इन बेजुबान जानवरों में हमारे ही परिवार, घर के मेंबर्स का जिव भी हो सकता है। 

वे पहले हमारे घर के महापुरुष हो सकते हैं जो आज अपनी करणी (कर्म) के बल पर जानवरों कि योनि में उत्पन्न हो गये हो। फिर ये शुद्ध रूप से पाप कार्य तो है ही।

अहिंसा परमो धर्म

एक चीतल हिरण की व्यथा- 

आप लोग ठीक कह रहे हैं कि मैं एक जानवर हूँ और मुझे जंगल में शिकारी जीवों के बीच ही जीवन की जद्दोजहद करनी है, लेकिन मैं अभी जिस जंगल में रहता हूँ वहां के शिकारी जानवरों के साथ मेरे पूर्वज भी जिए मरे।

मैं उनके शिकार के तौर-तरीकों से वाकिफ हूँ और कभी-कभी मेरे दुर्भाग्य से मैं उनका शिकार भी बनता हूँ, लेकिन प्रकृति ने कभी भी मेरे साथ भेदभाव नहीं किया मुझे भी इस जंगल में अपनी जान बचाने का पूरा अवसर है, लेकिन अचानक से धरती का सबसे तेज दौड़ने वाला शिकारी जानवर जिससे कभी मेरे पूर्वजों का भी पाला नहीं पड़ा उसके सामने तुम इंसानों ने मुझे फेंक दिया। 

जबकि मैंने कभी उस शिकारी के दांव नहीं देखे और ना ही उससे बचने का कोई उपाय सीखा जो कि प्रकृति ने मुझे पैदा होते समय दिया था। आज मैं तुम सबसे पूछ रहा हूँ मेरे प्राकृतिक अधिकारों को छीनकर मुझे असहाय करके पृथ्वी के सबसे खतरनाक शिकारी के आगे क्यों रख दिया? मुझसे क्या गलती हुई? क्या मैं दिखने में सुंदर नहीं हूँ? क्या मैं मेरे परिवार के साथ हरे-भरे जंगल में जब ऊँची-ऊंची कुलांचे मारते हुए दौड़ता हूँ तब तुम्हें अच्छा नहीं लगता?

 क्या तुम मुझे छू नहीं सकते और तुम्हारे प्यार से छूते ही मैं तुम्हारी गोद में नहीं सिमट जाता? आज तुम मेरे जीवन के अधिकार को छीनकर एक ऐसे शिकारी को सौंप रहे हो जिसको छूना तो दूर देखने भी लौहे के पिंजरे में सवार होकर जाओगे। जरा सोचना मेरे प्राकृतिक अधिकारों के बारे में इंसानों जिन्हें तुम छीन रहे हो।

यह याद रखना, जो दे रहे हो, वो ही लौटकर तुम तक फिर आएगा

सुंदरलाल बर्मनhttps://majholidarpan.com/
Sundar Lal barman (41 years) is the editor of MajholiDarpan.com. He has approximately 10 years of experience in the publishing and newspaper business and has been a part of the organization for the same number of years. He is responsible for our long-term vision and monitoring our Company’s performance and devising the overall business plans. Under his Dynamic leadership with a clear future vision, the company has progressed to become one of Hindi e-newspaper , with Jabalpur district.

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