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Saturday, June 21, 2025

नगरीय निकायों में स्वच्छता को जन-आंदोलन बनाने के प्रयास

स्वच्छता को संस्कार बनाकर मिलती है सफलता

भोपाल

मध्यप्रदेश में नगरीय निकायों में हर साल की तरह स्वच्छ सर्वेक्षण-2024 शुरू हो चुका है। इस साल इसमें देश के 4900 से अधिक शहर स्वच्छता में श्रेष्ठता की दावेदारी प्रस्तुत कर रहे हैं। स्वच्छ सर्वेक्षण मुख्य रूप से जमीनी स्वच्छता के साथ शहरों के स्वच्छता प्रमाणीकरण के लिए किया जा रहा है। प्रमाणीकरण में खुले में शौच से मुक्ति के लिए ओडीएफ, जल के पुन: उपयोग के लिए वॉटर प्लस और कचरा मुक्ति हेतु स्टार रेटिंग प्रमुख हैं।

स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत नगरीय निकायों की टीम साल भर काम करती हैं। इसमें नियमित रूप से सफाई के अलावा, कचरा संग्रह, प्र-संस्करण, अधोसंरचना विस्तार, रख-रखाव और शहरों का सौंदर्यीकरण शामिल हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के हस्तक्षेप से आज यह देश ही नहीं दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन बन गया है। हर शहर को इसमें शामिल होना और अपनी रैंकिंग में सुधार करना गौरव का अनुभव कराता है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने स्वच्छ सर्वेक्षण के संबंध में मैदानी अमले को निर्देश भी जारी किये हैं।

वर्ष-2024 का स्वच्छ सर्वेक्षण अब तक का 9वां सर्वेक्षण है, जिसकी प्रमुख थीम 3-आर (रिसाइकल, रिड्यूस, रियूज) पर आधारित है। इसके प्रारंभ होने से मध्यप्रदेश ने देश के स्वच्छता परिदृश्य में अपनी बढ़त बना ली थी। अपने नियमित योगदान से मध्यप्रदेश शीर्ष स्थान पर बना हुआ है। वर्ष 2022 में मध्यप्रदेश को देश के सर्वश्रेष्ठ स्वच्छ प्रदेश का सम्मान प्राप्त हुआ एवं वर्ष 2023 में यह नजदीकी मुकाबले में देश के दूसरे नंबर का बेहतर राज्य घोषित किया गया। मध्यप्रदेश का शहर इंदौर लगातार सात सालों से देश का सबसे स्वच्छ शहर बना हुआ है। वर्ष 2024 में इसे सुपर लीग श्रेणी में शामिल किया गया है। इस वर्ष मध्यप्रदेश के सभी शहर इसमें अपनी दावेदारी कर रहे हैं। प्रदेश के सभी शहरों ने स्टार रेटिंग, ओडीएफ डबल प्लस के लिए अपना दावा किया है। इसके अलावा 44 शहरों ने वॉटर प्लस के लिए अपनी दावेदारी की है। हर शहर स्वच्छता के मापदंडों पर सफाई, संग्रहण, कचरा निपटान, प्रोसेसिंग आदि पर पूरा ध्यान दे रहा है। आज प्रदेश में लगभग 6700 टन कचरा प्रतिदिन संग्रह किया जाता है। इसके लिए 7500 से अधिक कचरा वाहन उपलब्ध कराए गए हैं। इस संग्रहित कचरे की प्रोसेसिंग के लिए हर छोटे-बड़े शहर में कम्पोस्टिंग इकाइयां, मटेरियल रिकवरी फैसिलिटीज, निर्माण अपशिष्ट प्रबंधन इकाई और मल-जल निस्तारण के लिये एफएसटीपी उपलब्ध हैं।

प्रदेश के बड़े शहरों में कचरा प्रोसेसिंग के लिए अत्याधुनिक इकाइयों की स्थापना की गई है। इसमें जबलपुर और रीवा में कचरे से बिजली, सागर व कटनी में कम्पोस्टिंग, के साथ इंदौर में कचरे से बॉयो सीएनजी निर्माण की इकाइयां लगाई जा चुकी हैं। इसके अलावा भोपाल में कपड़ा, थर्माकोल, प्लास्टिक, निर्माण के साथ मांसाहारी बाजारों से आने वाले कचरे के निपटान के लिए व्यवस्थाएं की गई हैं। प्रदेश में आज 700 से अधिक रिसाइकल, रिड्युज और रियूज़ (आरआरआर) केंद्र संचालित हैं। प्रदेश में एक लाख से कम जनसंख्या के शहरों में मल-जल प्रबंधन व्यवस्थाओं को तैयार करने के लिए कार्यवाही की जा रही है। इसके अंतर्गत जिन शहरों में सीवेज लाइन नहीं हैं, वहाँ नालियों को आपस में जोड़कर उन्हें एसटीपी तक ले जाने का कार्य किया जा रहा है

सुंदरलाल बर्मनhttps://majholidarpan.com/
Sundar Lal barman (41 years) is the editor of MajholiDarpan.com. He has approximately 10 years of experience in the publishing and newspaper business and has been a part of the organization for the same number of years. He is responsible for our long-term vision and monitoring our Company’s performance and devising the overall business plans. Under his Dynamic leadership with a clear future vision, the company has progressed to become one of Hindi e-newspaper , with Jabalpur district.

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