प्रदेश में जल गंगा संवर्धन अभियान में जल स्त्रोतों की साफ-सफाई के काम में समाज के प्रत्येक वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है।
भोपाल
इसके परिणाम समाज के सामने आ रहे है। जल के महत्व को समझाने के लिये सांस्कृतिक गतिविधियों का सहारा लिया जा रहा है। कुछ क्षेत्रों में जन-प्रतिनिधियों ने पदयात्रा निकाल कर पानी के महत्व का संदेश जन-सामान्य को दिया गया।
वाह्य नदी को बारहमासी नदी में बदलने के लिये पदयात्रा
भोपाल जिले के बैरसिया में जल गंगा संवर्धन अभियान में वाहृय नदी स्थल का भूमि-पूजन किया गया और वाह्य नदी को बारहमासी नदी में बदलने के लिये बैरसिया विधायक श्री विष्णु खत्री के नेतृत्व में पद यात्रा शुरू की गई। यह यात्रा तहसील के विभिन्न ग्रामों से होती हुई खजुरिया रामदास पर समाप्त हुई। बैरसिया में जल स्त्रोतों को चिन्हित कर उनके संरक्षण कर कार्ययोजना तैयार कर संरक्षण का कार्य शुरू किया गया है। प्राचीन बावड़ी का चिन्हांकन भी किया गया है। उनके ऐतिहासिक महत्व के बारे में जन-सामान्य को जानकारी दी जाएगी।
एकल नल जल योजनाओं के स्रोतों के रिचार्ज के प्रयास
विदिशा जिले में एकल नल जल योजनाओं के स्रोतों के स्थायित्व और निरंतरता के लिए मनरेगा की योजनाओं के साथ अभिसरण कर रिचार्ज संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है। इसके लिए केंद्रीय भूजल बोर्ड के वरिष्ठ वैज्ञानिक और राज्य स्तरीय भुजलविद ने जिले के चयनित गाँव का दौरा किया। ग्रामीणों को बताया गया कि वर्षा की हर बूंद को भूमि के अंदर संरक्षण करके रखना बहुत जरूरी है। ग्रामीणों को वर्षा के जल को रिचार्ज करने की विधि के बारे में बताया गया। ग्रामीणों को बताया गया कि ग्राम के ढलान के अनुसार पानी को दिशा देकर 3-3 मीटर के फिल्टर के माध्यम से असफल नल-कूपों में पुनर्भरण किया जा सकता है।
जागरूकता के लिये विशेष प्रयास
सीहोर जिले में 30 मार्च से जल गंगा संवर्धन अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत जिले भर में जल संरक्षण से संबंधित अनेक गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। अभियान के तहत आमजन को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए दीवार लेखन, जागरूकता रैली, पोस्टर बैनर, रंगोली, ग्राम सभाएं, कलश यात्राएं, शपथ सहित अनेकों गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। अभियान के तहत जिले के अनेक ग्रामों में कूप मरम्मत, तालाब जीर्णोद्धार, डैम की साफ-सफाई सहित अनेक कार्य किए जा रहे हैं तथा नागरिकों को जल संरक्षण की शपथ भी दिलाई जा रही है।
832 पुरानी जल संरचनाओं पर काम
ग्वालियर जिले की 263 ग्राम पंचायतों में जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत जल संरचनायें तेजी से आकार ले रही हैं। कार्यों में तेजी आने से इस अभियान में जिले की रैंकिंग में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। जिले में कहीं पर खेत-तालाब, कहीं पर अमृत सरोवर तो कहीं पर पुराने कुँओं के पुनर्भरण के लिये संरचनायें बनाई जा रही हैं। साथ ही पिछले वर्षों की जल संरचनाओं को पूरा करने का काम भी अभियान के तहत हो रहा है। जिले की 263 ग्राम पंचायतों में वर्तमान में वर्षा जल सहेजने के लिये 1610 कार्य चल रहे हैं। इसके अलावा 832 पुरानी जल संरचनाओं को पूरा करने का काम भी प्रमुखता से कराया जा रहा है। जल गंगा संवर्धन अभियान में जन भागीदारी को बढ़ाने के उद्देश्य से रात्रि चौपाल लगाकर ग्रामीणों को जल संचय एवं उपयोग के संबंध में जागरूक किया जा रहा है। सभी ग्राम पंचायतों में 854 खेत-तालाब स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से 794 खेत-तालाबों का काम शुरू हो चुका है। इसी तरह जिले में 903 पुराने कुँओं को रिचार्ज करने के कार्य स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से 810 कुँओं को रिचार्ज करने के लिये संरचनायें बनाने का काम जारी है। जिले में 6 अमृत सरोवर भी स्वीकृत किए गए हैं। जिले में बड़े पैमाने पर बनाई जा रहीं जल संरचनायें जल संरक्षण व संवर्धन का काम तो कर ही रही हैं, साथ ही मछली पालन व सिंघाड़ा उत्पादन जैसी व्यवसायिक गतिविधियों के माध्यम से किसानों की अतिरिक्त आय का साधन भी बनेंगी। खेत-तालाबों व अमृत सरोवरों के किनारे वृहद स्तर पर वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण के काम भी किए जायेंगे।