सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत एक आम नागरिक द्वारा दायर आवेदन को जनपद पंचायत मझौली द्वारा नजरअंदाज किया जा रहा है
मझौली जबलपुर
मझौली वार्ड क्रमांक 12 निवासी बारे लाल बर्मन ने 23 जुलाई 2025 को RTI आवेदन देकर बीते 5 वर्षों में ग्राम पंचायतों द्वारा बनाए गए तालाबों से जुड़ी अहम जानकारियाँ माँगी थीं, लेकिन नियमानुसार 30 दिनों के भीतर भी कोई जवाब नहीं दिया गया।
बारे लाल बर्मन द्वारा किए गए आवेदन में यह जानना चाहा गया था कि:
1. जनपद पंचायत मझौली अंतर्गत पिछले 5 वर्षों में निर्मित तालाबों की संख्या कितनी है?
2. इन तालाबों के निर्माण में कुल लागत कितनी आई और किन योजनाओं (जैसे मनरेगा) से यह राशि मिली?
3. वर्तमान वित्तीय वर्ष (2024-25) में किन तालाबों में जल उपलब्ध नहीं है?
4. क्या इन तालाबों की गुणवत्ता की जांच की गई? यदि हाँ, तो जांच रिपोर्ट की प्रति।
5. जिन तालाबों में पानी नहीं है, उसके लिए जिम्मेदार अधिकारी/संवेदक कौन हैं, और उन पर क्या कार्रवाई हुई?
6. भविष्य में सुधार के लिए कोई कार्ययोजना तैयार की गई है या नहीं?
RTI आवेदनकर्ता बीपीएल कार्डधारी हैं, जिस कारण अधिनियम के तहत उन्हें आवेदन शुल्क से छूट प्राप्त है। बावजूद इसके जनपद पंचायत कार्यालय मझौली में कार्यरत अधिकारी-कर्मचारी जानकारी देने में आनाकानी कर रहे हैं।
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत प्रत्येक सार्वजनिक प्राधिकरण को आवेदन के 30 दिनों के भीतर मांगी गई सूचना प्रदान करना अनिवार्य है। इस मामले में नियत समय सीमा समाप्त हो चुकी है, लेकिन अधिकारी मौन साधे हुए हैं।
यह मामला केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र में जल संसाधनों और सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता से जुड़ा हुआ है। अगर तालाब बन भी रहे हैं और उनमें पानी नहीं है, तो यह सवाल उठता है कि निर्माण की गुणवत्ता क्या रही और जिम्मेदारी किसकी है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पहला मौका नहीं है जब जनहित से जुड़ी जानकारी को टालने की कोशिश की जा रही हो।
रिपोर्ट: सुंदर लाल बर्मन
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