सेठ गोविंद दास जिला अस्पताल स्थित मन-कक्ष द्वारा फेथ-हीलर्स पर एक दिवसीय जिला स्तरीय कार्यशाला आज गुरुवार को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ संजय मिश्रा, सिविल सर्जन डॉ. मनीष कुमार मिश्रा एवं मन-कक्ष प्रभारी एवं नोडल अधिकारी एनएमएचपी डॉ रत्नेश कुररिया की उपस्थिति में आयोजित की गयी।
जबलपुर
कार्यशाला में वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ एवं मन-कक्ष प्रभारी डॉ. रत्नेश कुरारिया ने मानसिक बीमारियों, पारंपरिक उपचार पद्धतियों (फेथ-हीलिंग) और आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि दोनों प्रणालियों के समन्वय से मानसिक रोगियों की पीड़ा को कम किया जा सकता है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजय मिश्रा ने कार्यशाला को संबोधित करते हुये मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं में फेथ-हीलर्स की भूमिका और उनकी उपयोगिता पर जोर दिया। सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक डॉ. मनीष मिश्रा ने बताया कि फेथ-हीलर्स कैसे मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में सहायक हो सकते हैं। क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. सलोनी सैनी ने मानसिक रोगियों के मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रबंधन में फेथ-हीलर्स के योगदान पर बात की। पीजीएमओ मनोचिकित्सा डॉ. विद्यारतन वरकड़े ने टेलीमानस सेवा और मानसिक स्वास्थ्य में इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला। सुश्री आरती सोनी ने मानसिक रोगियों की देखभाल में मनोचिकित्सा नर्सिंग की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की। सुश्री अनुजा सैनी ने नशामुक्ति के क्षेत्र में फेथ-हीलर्स की प्रासंगिकता पर बात रखी ।
कार्यशाला में 20 फेथ-हीलर्स ने भाग लिया, जो विभिन्न धार्मिक संप्रदायों, लिंग और आयु वर्ग से संबंधित थे। उन्होंने बताया कि उनके पूजा स्थलों पर आने वाले रोगी किन समस्याओं से जूझते हैं। उनका उपचार कैसे किया जाता है और पारंपरिक उपचार प्रणाली को आधुनिक चिकित्सा प्रणाली में कैसे जोड़ा जा सकता है।