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Saturday, June 21, 2025

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की माँ की श्रद्धांजलि-सभा में ‘यथार्थ-गीता’ का वितरण

कृष्ण के उपदेश इंसानियत के सुषुप्त भावों को जागृत करते हैं

मिर्जापुर
विषाद की मनोवृत्तियों को प्रसाद देती है गीता
मिर्जापुर। नए वर्ष के प्रारंभ होते चुनार के शक्तेशगढ़ आश्रम में भले ही ‘यथार्थ-गीता’ के जरिए महाभारत युद्ध के दौरान श्रीकृष्ण-अर्जुन संवाद के दर्शनपक्ष तथा जीवनपक्ष को परिभाषित करने के कारण लोकपूज्य हुए स्वामी अड़गड़ानन्द जी महाराज मौजूद नहीं थे फिर भी उनके जागृत आश्रम में श्रद्धालुओं एवं भक्तों की हाजिरी निरन्तर लग रही है। स्वामी अड़गड़ानन्द महाराज तो इन दिनों बरचर (मध्यप्रदेश) स्थित आश्रम में हैं लेकिन श्रद्धालु अड़गड़ानन्द महाराज के उपदेश-स्थल को ही शीश नवाकर आह्लादित हो रहे हैं। वर्ष के प्रथम दिन ही ठंडक ने अपना विकराल रूप सुरसा की तरह तो दिखाया लेकिन भक्त लंका जाते हनुमान जी की तरह सुरसा रूपी ठंड के मुंह में होते शक्तेशगढ़ पहुंच रहे थे। अपने पांवों पर भरोसा करने वालों के पग आश्रम की तरफ बढ़ने का जो सिलसिला पहले दिन से जो शुरू हुआ वह निरन्तर जारी ही है। इसके अलावा निजी साधनों से भी पहुंचने वालों की भारी मौजूदगी बनी है।

पीएम की माता की श्रद्धांजलि सभा में यथार्थ-गीता मौजूद
मीडिया-रिपोर्टों में जब पीएम श्री नरेन्द्र मोदी की माता स्व हीरा बेन के निधन पर गुजरात में होने वाली श्रद्धांजलि-सभा में यथार्थ गीता की सुबोध-गम्य व्याख्याओं का उल्लेख हुआ और गीता के दार्शनिक-पक्ष के साथ जीवन के विविध सन्दर्भों से जोड़ती यथार्थ-गीता की व्याख्याओं का उल्लेख हुआ तो वहां मौजूद लोगों को भी शांति और सुकून मिला।

क्या नहीं बताती गीता
श्रीमद्भगवतगीता की अनेकानेक व्याख्याओं के बीच स्वामी अड़गड़ानन्द महाराज की ‘यथार्थ-गीता’ द्वारा मनुष्य की प्रवृत्तियों में संघर्ष को भी गीता से सम्बद्ध किया गया है, जो सामयिक तथा वैज्ञानिक दृष्टिकोणों से मेल खाती हुई है। यह व्याख्या कृष्णभक्ति के साथ जीवन को उन्नत बनाने की ओर भी ले जाती है।

नारद महाराज का मौन स्वरूप देता है भक्तों को आत्मिक-चैन
महाराज संभव हो कि जनवरी के अगले हफ़्तों में शक्तेशगढ़ लौटें लेकिन उनके न रहने पर आश्रम के सन्त नारद महाराज सभी को आशीर्वाद देते देखे जा रहे हैं। नारद महाराज यद्यपि बोलते कम हैं लेकिन उनकी आंखों से स्नेह तथा आशीर्वाद की निरन्तर वर्षा होती रहती है। पपीहा बने भक्त उसी स्नेहमयी वर्षा-बूंदों का पान कर उपकृत होते देखे जा रहे हैं।

सुंदरलाल बर्मनhttps://majholidarpan.com/
Sundar Lal barman (41 years) is the editor of MajholiDarpan.com. He has approximately 10 years of experience in the publishing and newspaper business and has been a part of the organization for the same number of years. He is responsible for our long-term vision and monitoring our Company’s performance and devising the overall business plans. Under his Dynamic leadership with a clear future vision, the company has progressed to become one of Hindi e-newspaper , with Jabalpur district.

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