शासकीय तिलक स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ सुधीर कुमार खरे के निर्देशन एवं अर्थशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर लक्ष्मी नायक के मार्गदर्शन में शुक्रवार को अर्थशास्त्र विभाग में विश्व जल दिवस पर पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया।
कटनी
परिचर्चा का शुभारंभ डॉक्टर धीरज खरे ने विषय प्रवर्तन करते हुए किया। डॉ. खरे ने दैनिक जीवन में जल की आवश्यकता एवं महत्व पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि जन्म से मृत्यु तक जल की आवश्यकता होती है अतः जल संरक्षण पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफेसर सुनील कुमार त्रिपाठी ने विश्व जल दिवस की आवश्यकता, महत्व, एवं इसके ऐतिहासिक कारणों पर व्यापक चर्चा करते हुए भारत में जल की वर्तमान स्थिति, चुनौती तथा इसके कारण उत्पन्न होने वाले भावी जल संकटों पर विस्तार से प्रकाश डाला। मुख्य वक्ता प्रोफेसर त्रिपाठी द्वारा बताया गया कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रत्येक वर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है। इसकी घोषणा 1992 में रियो डी जनेरियो में आयोजित संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण एवं विकास पर सम्मेलन में किया गया और प्रथम विश्व जल दिवस 22 मार्च 1993 को मनाया गया।
प्रोफेसर त्रिपाठी द्वारा बताया गया कि जल के महत्व को ध्यान में रखते हुए इसे वैश्विक स्तर पर धारणीय विकास लक्ष्य में छठें लक्ष्य “वर्ष 2030 तक सभी के लिए जल एवं स्वच्छता“ के रूप में रखा गया है। वर्तमान में भारत के कई राज्य यथा गुजरात, राजस्थान, उड़ीसा, और महाराष्ट्र इत्यादि जल तनाव की स्थिति से गुजर रहे हैं और समय रहते यदि ध्यान नहीं दिया गया तो निकट भविष्य में भारत जल संकट की स्थिति में पहुंच जाएगा। जल की वजह से भारत में न केवल विभिन्न राज्य जैसे केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु इत्यादि आपस में लड़ रहे हैं बल्कि अंतरराष्ट्रीय जल विवाद भी बढ़ रहे हैं। इनमें सिंधु नदी के जल को लेकर भारत-पाकिस्तान के साथ विवाद, ब्रह्मपुत्र नदी के जल को लेकर भारत – चीन विवाद, तीस्ता नदी के जल को लेकर भारत – बांग्लादेश विवाद प्रमुख है। ऐसे अन्य वैश्विक स्तर पर विवादों को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस वर्ष विश्व जल दिवस की थीम “शांति के लिए जल“ रखा है। प्रोफेसर त्रिपाठी द्वारा जल संरक्षण के विभिन्न उपायों पर प्रकाश डालते हुए अपने व्याख्यान का अंत रहीम दास जी के प्रसिद्ध दोहे “रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून पानी गए न ऊबरे मोती मानुष चून“ के साथ किया गया। इस कार्यक्रम में विभाग के प्रोफेसर एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।