जनजातीय आबादी के लिए समान अवसरों का सृजन, सामाजिक-आर्थिक स्तर का विकास, बुनियादी ढांचे के सुधार और स्वास्थ्य, शिक्षा एवं आजीविका के क्षेत्र में ठोस प्रगति हेतु चलाये जा रहे धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत जबलपुर जिले के सात विकासखंडों के चिन्हित 171 गाँवो में 15 जून से 30 जून तक शिविरों का आयोजन किया जायेगा।
जबलपुर
कलेक्टर दीपक सक्सेना द्वारा अभियान के तहत शिविरों के प्रभावी और सफल आयोजन हेतु अधिकारियों को विस्तृत दिशा-निर्देश दिये गये हैं। श्री सक्सेना ने अभियान के तहत आयोजित किये जा रहे शिविरों की नियमित मॉनिटरिंग करने के निर्देश भी संबंधित अधिकारियों को दिये हैं। धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत सभी पात्र जनजातीय परिवारों को पक्का घर उपलब्ध कराने तथा जनजातीय गाँवो में सड़क, पानी और बिजली जैसी बुनियादी सेवाओं का विस्तार किए जाने के साथ ही मोबाइल मेडिकल यूनिट्स (एमएमयू) की स्थापना भी की जायेगी, जिससे कि स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतर पहुँच सुनिश्चित की जा सके।
सहायक आयुक्त जनजातीय कल्याण नीलेश रघुवंशी के अनुसार धरती आबा अभियान के तहत चिन्हित गांवों में विकासखण्ड कुण्डम के 91, जबलपुर के 37, शहपुरा के 18, पनागर, मझौली एवं सिहोरा के 7-7 तथा विकासखण्ड पाटन के 4 गाँव शामिल हैं। इन गांवों के सर्वे में चिन्हित 95 हजार 714 जनजातीय हितग्राहियों को केन्द्र सरकार के ग्रामीण विकास, जल शक्ति, विद्युत, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, महिला एवं बाल विकास, शिक्षा, कौशल विकास, कृषि, दूरसंचार और जनजातीय कार्य विभाग सहित अन्य विभागों की 25 योजनाओं से लाभान्वित किया जायेगा तथा योजनाओं का शत प्रतिशत सेचुरेशन किया जायेगा।
श्री रघुवंशी ने बताया कि धरती आबा अभियान के तहत लगाये जाने वाले शिविरों में हितग्राहियों को आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड, समग्र आईडी, ई-केवायसी एवं जाति प्रमाण पत्र बनाये जायेंगे तथा सामाजिक सुरक्षा पेंशन, प्रोफाइल पंजीयन एवं बैंक खाते खोलने के कार्य किये जायेंगे। इसके साथ ही राशन कार्ड एवं आयुष्मान कार्ड का वितरण तथा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में नामांकन सहित विभिन्न योजनाओं के आवेदन और स्वीकृति की कार्यवाही भी शिविरों में की जायेगी। शिविरों के माध्यम से विभिन्न योजनाओं और सेवाओं का लाभ जनजातीय वर्ग के प्रत्येक पात्र व्यक्ति तक पहुँचाया जायेगा।
सहायक आयुक्त जनजातीय कल्याण ने बताया कि अभियान के तहत शिविरों का आयोजन जिला प्रशासन, सीएससी, स्थानीय अधिकारियों तथा फ्रंटलाइन वर्कर्स के समन्वित प्रयास से होगा तथा ग्राम स्तर पर सेवा अंतराल की पहचान, सूक्ष्म कार्ययोजना निर्माण, शिविर कैलेंडर निर्धारण एवं रियल-टाइम निगरानी तंत्र की व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी।