नगर परिषद मझौली से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मामला अब राज्य सूचना आयोग भोपाल की चौखट पर पहुँच गया है।
मझौली जबलपुर
वार्ड क्रमांक 12 निवासी **सुन्दर लाल बर्मन** द्वारा दायर की गई सूचना का अधिकार (RTI) संबंधी याचिका को लोक सूचना अधिकारी एवं प्रथम अपीलीय अधिकारी, दोनों स्तर पर ठुकरा दिया गया था।
जानकारी के मुताबिक, आवेदक ने 17 जुलाई 2025 को RTI आवेदन प्रस्तुत कर यह जानकारी मांगी थी कि जनवरी 2024 से जून 2025 तक नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग जबलपुर संभाग में कितनी प्रथम अपीलें दायर हुईं, उनके प्रकरण क्रमांक क्या हैं और उन पर क्या कार्यवाही हुई।
हालाँकि, संयुक्त संचालक कार्यालय, जबलपुर से दिनांक 06 अगस्त 2025 को जारी पत्र में यह कहकर सूचना देने से इंकार कर दिया गया कि यह “प्रश्नवाची जानकारी” है, जिसे उपलब्ध कराना संभव नहीं है। इस निर्णय से असंतुष्ट होकर आवेदक ने प्रथम अपील भोपाल में की, लेकिन वहाँ से भी उन्हें कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला।
अब मामला द्वितीय अपील में पहुँचा
आवेदक ने अब राज्य सूचना आयोग भोपाल में द्वितीय अपील प्रस्तुत कर दी है। अपील में कहा गया है कि मांगी गई जानकारी पूरी तरह रिकॉर्ड आधारित और तथ्यात्मक है, इसे “प्रश्नवाची” कहकर नकारना सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की मूल भावना के खिलाफ है।
आवेदक की मांगें
* आयोग संबंधित अधिकारी को सूचना उपलब्ध कराने का निर्देश दे।
* अधिनियम की धारा 20 के तहत दोषी अधिकारियों पर दंडात्मक कार्यवाही हो।
* सूचना रोके जाने से हुई मानसिक और सामाजिक हानि के लिए क्षतिपूर्ति दी जाए।
जवाबदेही पर सवाल
मामले ने एक बार फिर RTI प्रणाली की पारदर्शिता और प्रशासनिक जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं। खासतौर पर जब नागरिक द्वारा मांगी गई सूचना सरकारी रिकॉर्ड से सीधे उपलब्ध कराई जा सकती थी।