पिछडों में सबसे बड़ी आबादी वाले निषाद मछुआरा समाज को नहीं मिली उचित भागीदारी-लौटनराम निषाद
रायपुर
इन्दिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय कैम्पस स्थित स्वामी विवेकानंद सभागार में दो दिवसीय अखिल भारतीय निषाद मछुआरा जातियों का प्रतिनिधि मंडल सम्पन्न हुआ।अखिल भारतीय कश्यप निषाद भोई समन्वय समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजाराम कश्यप के संयोजकत्व व छत्तीसगढ़ मछुआ महासंघ कल्याण समिति के चैयरमैन एम आर निषाद की अध्यक्षता में सम्पन्न राष्ट्रीय अधिवेशन में उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात,तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, बिहार,हरियाणा, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर आदि राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हुए,जिसमें आरक्षण की विसंगतियों को दूर कर सभी निषाद मछुआरा जातियों को अनुसूचित जाति/जनजाति का आरक्षण देने की माँग उठी।मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में माँझी व मझवार एसटी व उत्तर प्रदेश में मझवार,तुरैहा,गोंड़ अनुसूचित जाति में 1950 से ही शामिल हैं,परन्तु इनकी पर्यायवाची मल्लाह,केवट,कैवर्त, धीवर,भोई,धीमर, कहार, बिन्द, रैकवार आदि को ओबीसी में रखा गया है।मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में डेवर अनुसूचित जाति में रखा गया है।ओडिशा में भी डेवर एससी में था।धीवर (Dhewar) की जगह टाइपिंग में त्रुटि के कारण ‘H’ व्यंजन छूट जाने से डेवर(Dewar) हो गया,जिससे बहुत बड़ा समाज आरक्षण से वंचित हो रहा था।सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में इस त्रुटि का सुधार करते हुए धेवर, धीबरा, कैवर्त, केवट,जलकेउट को अनुसूचित जाति का आरक्षण देने का निर्देश दिया,लेकिन मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में स्थिति यथावत है।
राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौ. लौटनराम निषाद ने प्रतिनिधि सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि शिक्षा, संगठन,संघर्ष,
सहयोग व संकल्प से ही निषाद समाज का समग्र विकास सम्भव है। उन्होंने कहा कि शिक्षा विकास का मूल आधार व राजनीति अधिकार प्राप्ति का साधन है। निषादवंशीय जातियों की ओबीसी में सर्वाधिक आबादी होते हुए भी राजनीति में समुचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया है।मध्यप्रदेश में जहाँ शून्य की स्थिति है,वही छत्तीसगढ़ में कुँवर सिंह निषाद एकमात्र विधायक हैं,जबकि निषाद जातियों की आबादी 10 प्रतिशत है।उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य पिछड़ावर्ग आयोग,महिला आयोग आदि सहित निगम,आयोग,परिषद में भी निषाद समाज को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।उन्होंने ओबीसी आरक्षण विस्तार के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बधाई देते हुए आरक्षण को 9 वीं अनुसूची में सूचीबद्ध करने के लिए केन्द्र सरकार को सिफारिश भेजने की अपील किया है।उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार ने माँझी व मझवार को परिभाषित करते हुए माझी, मल्लाह,केवट,धीवर,धीमर, भोई,कहार, कहरा, कैवर्त को इसके साथ जोड़ने के लिए केन्द्र सरकार को संस्तुति भेजने की माँग किया।उन्होंने कहा कि 5 अक्टूबर,2012 को फिशरमैन विजन डाक्यूमेंट्स जारी करते हुए तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने संकल्प लिया था कि 2014 में भाजपा सरकार बनने पर आरक्षण की विसंगतियों को दूर कर सभी निषाद मछुआरा जातियों को एससी/एसटी आरक्षण देने व नीली क्रांति को विकसित करने का संकल्प लिया था,लेकिन भाजपा ने वादाखिलाफी कर रही है।उन्होंने कहा कि ओबीसी,एससी, एसटी वोट के लिए हिन्दू हैं।भाजपा सरकार धीरे धीरे आरक्षण को निष्प्रभावी करती जा रही है।
राष्ट्रीय संत गोपालजी महाराज ने कहा कि निषाद समाज का इतिहास अत्यंत गौरवशाली रहा है।उन्होंने कहा कि निषाद भारतीय धरती के अदिमालिक व मूलनिवासी हैं।उन्होंने मान-सम्मान,अधिकार प्राप्ति व राजनीतिक हिस्सेदारी के लिए एकजुट हो मजबूत ताक़त दिखाने का आह्वान किया। लड़का हो या लड़की बिना भेदभाव के उच्च व तकनीकी शिक्षा दिलाने व उत्तम चरित्र वाला बनाने का आह्वान करते हुए कहा कि आत्मविश्वास, दृढनिश्चय,दृढ़-इच्छाशक्ति, संकल्प व प्रतिस्पर्धा से ही सफलता प्राप्ति सम्भव है। सुषमा कश्यप ने कहा कि जब तक गोत्र तोड़ अंतरजातीय वैवाहिक रिश्ते नहीं किये जायेंगे,एकता की बात करना ढोंग रहेगा।राष्ट्रीय निषाद संघ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष कैलाशनाथ निषाद ने कहा कि निषाद मछुआरा एक ऐसा समुदाय है जो देश के सभी राज्यों पाया जाता है।निषाद समाज सरकार बनाने व बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाता है,परन्तु बड़ी संख्या के बाद भी राजनीतिक उपेक्षा का शिकार हो रहा है।
प्रतिनिधि सम्मेलन को विधायक कुँवर सिंह निषाद, एमएलसी रमेश दादा पाटिल,डॉ. सी आर कैवर्त्य, हेमलता बाथम,शशिकांत निषाद,धनीराम रायकवार,चित्रा बाथम, अमृता निषाद, पूनम कैवर्त्य, जयंतीभाई केवट,जनार्दन गंगापुत्रा, संजीव कश्यप,मीरा रैकवार,रविन्द्र कश्यप,अनुभव कश्यप,सुमन कैवर्त, अजीत नाविक आदि ने सम्बोधित किया।