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Friday, June 20, 2025

मझवार,तुरैहा,गोंड की पर्यायवाची जातियों को आरक्षण देने की मांग

पश्चिम बंगाल का मल्लाह,केवट,बिन्द व दिल्ली का मल्लाह एससी तो यूपी और मध्यप्रदेश का ओबीसी क्यों,,,?-

लौटनराम निषाद

लखनऊ

20 जनवरी।राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौ.लौटन राम निषाद ने केन्द्र व प्रदेश सरकार पर मझवार, तुरैहा,गोंड के साथ नाइंसाफी का आरोप लगाते हुए कहा है कि भाजपा सरकार में इन जातियों का बड़े पैमाने पर शोषण व उत्पीड़न किया जा रहा है। साज़िश के तहत संवैधानिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।उन्होंने कहा है कि जब चमार,जाटव की सभी पर्यायवाची जातियों, उपजातियों-मोची, कुरील, दबकर, दोहरे, दोहरा,चमकाता, कबीररपंथी,भगत,रविदासिया, रैदासी,शिवदसिया, नीम, पीपैल, कर्दम, धुसिया, झुसिया, उतरहा, दखिनहा,जाटवी,जटीवा,अहिरवार,जैसवार,रैया आदि को चमार या जाटव के नाम से प्रमाण-पत्र जारी किया जाता है तो मझवार की पर्यायवाची मानी गयी जातियों को मझवार का जाति प्रमाण-पत्र क्यों नहीं? उन्होंने इसे संविधान के अनुच्छेद-14 का उल्लंघन बताया है।उन्होंने प्रदेश सरकार से विधानसभा व कैबिनेट में प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार से शीतकालीन सत्र में संविधान(अनुसूचित जातियाँ और अनुसूचित जनजातियां) आरक्षण आदेश संशोधन विधेयक–2022-23 पारित करवाकर मंझवार(मल्लाह,केवट,माँझी, बिन्द),तुरैहा(धीमर,धीवर,तुराहा, तुरहा),गोंड़(गोड़िया, धुरिया,कहार,रैकवार,बाथम,धीमर) आरक्षण का राजपत्र व शासनादेश जारी कराने की माँग किया है।
निषाद ने बताया कि आरक्षण नीति लागू होने से पूर्व मझवार व मांझी को परस्पर पर्यायवाची माना गया है। मध्य प्रदेश ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट छिंदवाड़ा के अनुसार मांझी, मझिया व मझवार को एक माना गया है। इन्हें बोटमैन, फेरीमैन व फिशरमैन मान्य किया गया है। मांझी का आमजन भी अर्थ मल्लाह, केवट, नाविक, मछुआ से लगाते हैं। सेन्सस ऑफ इण्डिया-1961 फॉर यूपी मैनुअल पार्ट-1 के अनुसार उत्तर प्रदेश की अनुसूचित जाति के क्रमांक-51 पर अंकित मझवार की पर्यायवाची/वंशानुगत जाति मल्लाह, मांझी, केवट, राजगौड़, गोड़ मझवार, मुजाबिर को माना गया है। इसी सेन्सस के क्रमांक-24 पर अंकित जाटव, चमार,धूसिया, झूसिया की पर्यायवाची जाटवी, जटीवा, दबकर, रैगर, मोची, कुरील, भगत, रैदासी, रविदसिया, शिवदसिया, नीम, पिपैल, कर्दम, दोहरा, दोहर, दोहरे, चमकाता, उतरहा, दखिनहा, अहिरवार, कबीरपंथी आदि का उल्लेख है।
इन पर्यायवाची उपजातियों को राजस्व अधिकारियों द्वारा निर्बाध रूप से चमार या जाटव का प्रमाण-पत्र निर्गत किया जाता है। लेकिन जब कोई मझवार,तुरैहा, गोंड़, खरवार, बेलदार, तड़माली, शिल्पकार का जाति प्रमाणपत्र मांगता है, तो मल्लाह, केवट, माँझी, बिन्द, गोड़िया, धीवर,धीमर, कहार, कमकर,राजभर,कुम्हार आदि कहकर आवेदन निरस्त कर दिया जाता है।
निषाद ने कहा कि आम जन मल्लाह, मांझी, केवट, निषाद, मछुआ आदि को निःसंदेह एक मानतें हैं। भारत की जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश की डिप्रेस्ड क्लास की जातियों की 1931 की रिपोर्ट में मझवार (मांझी) का उल्लेख है। 1901 में भी धीवर, केवट, मांझी को मझवार की समाविष्ट जाति माना गया है।उन्होंने केन्द्र सरकार से मझवार, तुरैहा, गोंड़ की पर्यायवाची जातियों को सामाजिक न्याय दिलाने के लिये केन्द्र सरकार को विधिसम्मत प्रस्ताव भेजे जाने की मांग किया है।निषाद ने कहा कि हम नए सिरे से अनुसूचित जाति में शामिल करने की नहीं,बल्कि राष्ट्रपति की प्रथम अधिसूचना जो 10 अगस्त,1950 को जारी की गई,उसमें सूचीबद्ध मझवार,तुरैहा, गोंड को परिभाषित कर इन जातियों के साथ न्याय करने की मांग है।
निषाद ने कहा कि देश की राजधानी दिल्ली का मल्लाह,केवट,कहार,धीवर आदि,ओडिशा का कैवर्ता, जल केऊट, धीवरा,डेवर व पश्चिम बंगाल का मल्लाह,केवट, बिंद, चाई, तियार, झालो मालो, जलिया, कैवर्ता, जल केवट आदि अनुसूचित जाति में हैं तो उत्तर प्रदेश,बिहार,झारखंड का मल्लाह,केवट, बिंद,धीवर आदि क्यों नहीं।उन्होंने कहा कि-कहाँ गया भाजपा का वादा,भाजपा दृष्टि पत्र, फिशरमेन विजन डॉक्यूमेंट/ मछुआरा दृष्टि पत्र का संकल्प?निषाद ने कहा कि कांग्रेस व सपा ने 2007 एवं भाजपा ने 2012 के चुनाव घोषणा पत्र में निषाद, मल्लाह,केवट,बिन्द कश्यप,धीवर आदि सहित 17 अतिपिछड़ी जातियों अनुसूचित जाति का आरक्षण दिलाने का मुद्दा शामिल किया।बसपा ने विधानसभा चुनाव-2007 व 2012 में मौखिक घोषणा पत्र में यह वादा किया।सपा सरकारों ने 25 व 10 मार्च,2004,16 फरवरी 2013,23 मार्च,2013 को केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजा।मुख्यमंत्री रहते मायावती ने 4 मार्च,2008 को प्रधानमंत्री के नाम अर्द्धशासकीय पत्र भेजकर 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण देने का आग्रह कीं।जब कांग्रेस, सपा,बसपा,भाजपा आदि सभी मुख्य दल 17 अतिपिछड़ी जातियों के आरक्षण के पक्ष में हैं तो राजनीतिक नाटकबाजी ठीक नहीं।उन्होंने मत्स्यमंत्री संजय निषाद पर निषाद मछुआ समुदाय को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कहा कि निजस्वार्थ में संजय निषाद ने समाज की लड़ाई को शून्यता की स्थिति में पहुँचा दिया।

सुंदरलाल बर्मनhttps://majholidarpan.com/
Sundar Lal barman (41 years) is the editor of MajholiDarpan.com. He has approximately 10 years of experience in the publishing and newspaper business and has been a part of the organization for the same number of years. He is responsible for our long-term vision and monitoring our Company’s performance and devising the overall business plans. Under his Dynamic leadership with a clear future vision, the company has progressed to become one of Hindi e-newspaper , with Jabalpur district.

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