दिवरी-अमगवा में मनरेगा मजदूरी, निर्माण कार्यों में अनियमितता के आरोप, जांच की मांग तेज
मझौली, जिला जबलपुर | विशेष संवाददाता
जनपद पंचायत मझौली के अंतर्गत आने वाली **ग्राम पंचायत दिवरी और अमगवा में भ्रष्टाचार की बू अब साफ महसूस की जा रही है। नाला-नाली, सड़क निर्माण और मनरेगा मजदूरी के नाम पर सरकारी धन का जमकर दुरुपयोग हुआ है — ग्रामीणों का आरोप है कि कई कार्य सिर्फ कागज़ों में दर्शाए गए हैं, जबकि जमीनी हकीकत इसके विपरीत है
कागज़ों में बनी नाली, ज़मीन पर सिर्फ गड्ढे
ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत रिकॉर्ड में लाखों रुपये के नाला और सड़क निर्माण दर्शाए गए हैं, लेकिन स्थल निरीक्षण करने पर न नाली दिखती है न सड़क। वहीं, कहीं आधे-अधूरे निर्माण कर राशि की पूरी निकासी कर ली गई।
मनरेगा के तहत मजदूरी निकासी पर भी उठे सवाल
मनरेगा योजना के अंतर्गत दर्जनों मजदूरों के नाम पर भुगतान दिखाया गया है, लेकिन कई मजदूरों ने दावा किया कि उन्होंने कभी कार्य ही नहीं किया फिर भी उनके नाम से भुगतान हुआ। इससे फर्जी हाजिरी और घोटाले की आशंका जताई जा रही है।
ग्रामीणों ने की जांच की मांग
“हमारे गांव में कोई निर्माण नहीं हुआ, लेकिन रजिस्टर में सब पूरा बताया जा रहा है। यह खुला भ्रष्टाचार है।”
रामरतन चौधरी, ग्रामवासी अमगवा
मनरेगा में हमारा नाम है, पर हमने कोई काम नहीं किया। पैसा किसने निकाला?”
सरोज बाई, मजदूर दिवरी पंचायत
जनहित में मांगें
पंचायत और जनपद स्तरीय अधिकारी मिलकर स्थल निरीक्षण कर वास्तविकता की जांच करें।
फर्जी भुगतान और निर्माण घोटाले की लोकायुक्त या आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) से जांच कराई जाए।
दोषियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज कर राशि की वसूली की जाए।
सरकार की योजनाएं भ्रष्ट तंत्र की भेंट चढ़ रही हैं!
एक ओर सरकार गांवों के विकास के लिए करोड़ों रुपये भेज रही है, दूसरी ओर स्थानीय स्तर पर हो रहे भ्रष्टाचार से न केवल जनता को नुकसान हो रहा है बल्कि योजना की साख भी प्रभावित हो रही है।
क्या प्रशासनिक अमला जागेगा या भ्रष्टाचार की यह श्रृंखला यूं ही जारी रहेगी……..?