अविस्मरणीय: केन्द्रीय राज्यमंत्री श्री कुलस्ते
जबलपुर
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायकों का योगदान’ विषय पर
राष्ट्रीय संगोष्ठी, प्रदर्शनी एवं छात्र संवाद ’कार्यक्रम का आयोजन
देश की आजादी, एकता व अखंडता में जनजाति के नायकों का अविस्मरणीय योगदान रहा है। स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायकों ने यातनाएं सही हैं, बलिदान दिया है तथा जब-जब भी आवश्यकता हुई है जनजाति समाज राष्ट्र के लिये संघर्ष और त्याग करने में पीछे नहीं रहा। बावजूद इसके जनजाति के लोगों के संघर्ष, बलिदान, योगदान का इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान नही दिया गया। ये विचार केंद्रीय इस्पात एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री, श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने सोमवार को रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के पं. कुंजीलाल दुबे प्रेक्षागृह में आयोजित स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायकों के योगदान विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं छात्र संवाद कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये।
संगोष्ठी को आगे संबोधित करते हुए केन्द्रीय राज्यमंत्री श्री कुलस्ते ने मुगल एवं अंग्रेज शासकों से देश को आजाद कराने में जनजातीय नायकों के संघर्ष, त्याग और बलिदान से देशवासियों को अवगत कराने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल को सराहनीय बताया। उन्होंने कहा कि संगोष्ठी जैसे आयोजनों से जनजातीय समाज की गौरवशाली परंपरा और स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष एवं बलिदान से सर्व समाज रू-ब-रू होगा तथा जनजाति समाज भी महामंडित होगा। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग तथा रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय की आदिवासी पीठ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई इस संगोष्ठी की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कपिलदेव मिश्रा ने की। मुख्यमंत्री के उपसचिव श्री लक्ष्मण सिंह मरकाम संगोष्ठी के मुख्य वक्ता थे। संगोष्ठी में अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा डॉ. लीला भलावी, विषय विशेषज्ञ डॉ. मीनाक्षी शर्मा, संगोष्ठी के संयोजक डॉ. सोहन सिंह, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. बृजेश सिंह, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. विवेक मिश्रा एवं विश्वविद्यालय की आदिवासी पीठ के निदेशक डॉ. ओमप्रकाश बन्ने विशिष्ठ अतिथि के रूप में मौजूद थे।
संगोष्ठी का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर एवं भारत माता, वीरांगना रानी दुर्गावती, राजा शंकरशाह, कुंवर रघुनाथ शाह, भगवान बिरसा मुंडा के चित्रों पर माल्यापर्ण के साथ हुआ। कार्यक्रम में डॉ. नुपुर निखिल देशकर द्वारा संपादित पुस्तक ‘महाकोशल महान नारियों का उत्सर्ग’ का विमोचन किया गया। इस अवसर पर रानी दुर्गावती गान एवं फिल्म आरआरआर की वीडियो क्लिप का प्रदर्शन भी किया गया।
जनजाति समाज से आने वाले छात्र भी ज्यादा से ज्यादा अनुसंधान में शामिल हों- श्री मरकाम
संगोष्ठी में मुख्य वक्ता श्री लक्ष्मण सिंह मरकाम ने कहा कि जनजातीय समाज से आने वाले हमारे नायकों के साथ इतिहास में न्याय नहीं किया गया है। सिद्धू कान्हू, बुद्ध भगत, शंकर शाह, तिलका मांझी, बिरसा मुंडा, कालीबाई, सेंगाभाई, नानाभाई खांट जैसे वीरों ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, लेकिन इतिहास में जिस तरह से उनका वर्णन किया जाना चाहिए था वैसा नहीं किया गया। अंग्रेजों ने साजिश के तहत जनजाति समाज की गौरवशाली परंपरा को झुठलाकर उन्हें अपराधिक जनजाति घोषित कर दिया। दरअसल ऐसा इसलिए था, क्योंकि जनजाति समाज ने कभी उनकी गुलामी स्वीकार ही नहीं की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर ऐसे कार्यक्रमों को करने का उदे्श्य भी यही है कि ताकि समाज को स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समाज के योगदान का पता चल सके। साथ ही विश्वविद्यालय में जनजातीय विषयों से जुड़े विषयों पर अनुसंधान को बढ़ावा मिले और जनजाति समाज से आने वाले छात्र भी ज्यादा से ज्यादा अनुसंधान में शामिल हों। उन्होंने कहा कि युवाओं को भारत के इतिहास और स्वतंत्रता सेनानियों की जानकारी होना बहुत आवश्यक है।
प्रारंभ में आयोजन की प्रस्तावना विवि अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. विवेक मिश्र ने प्रस्तुत की। संचालन विवि आदिवासी पीठ निदेशक डॉ. विशाल ओमप्रकाश बन्ने एवं अंत में आभार प्रदर्षन कुलसचिव प्रो. ब्रजेश सिंह ने किया। अतिथियों को स्वागत विवि आदिवासी पीठ के श्री अजय झारिया, अनिल धनगर ने किया।
जनजाति नायकों पर आधारित प्रदर्शनी का किया अवलोकन
संगोष्ठी के प्रारंभ में केंद्रीय इस्पात एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते द्वारा विवि मुख्य प्रशासनिक भवन में फीता काटकर प्रदर्शनी का उद्घाटन तथा अवलोकन किया। संगोष्ठी के समापन पर आदिवासी संस्कृति से परिपूर्ण छात्र-छात्राओं द्वारा तैयार किए गए बैगा नृत्य, रानी दुर्गावती पर गीत और गोंडी नृत्य भोजली परव-गेड़ी नृत्य की रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गयीं।