सचिव ने कागजों में कर दिया बाउंड्री वाल, सीसी रोड और नाली का निर्माण, आहरित कर ली राशि
सिहोरा
जनपद पंचायत सिहोरा की ग्राम पंचायत कुशयारी का मामला :सरपंच पंच और ग्रामीणों ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कलेक्टर से की लिखित शिकायत, जांच की मांग
जनपद पंचायत सिहोरा की ग्राम पंचायत कुशयारी के सरपंच पंच और ग्रामीणों ने सचिव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।
कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी. को दी लिखित शिकायत में बताया कि सचिव ने ग्राम पंचायत में स्वीकृत शमशान की बाउंड्री वाल, नाली और सीसी रोड का निर्माण कागजों में बताकर इसकी राशि आहरित कर ली गई, जबकि हकीकत में निर्माण कार्य हुआ ही नही है। शिकायत में पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषी सचिव के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है, साथ ही आहरित की गई राशि की रिकवरी की मांग की है।
यह है पूरा मामला
ग्राम पंचायत कुशयारी की नवनिर्वाचित सरपंच रजनी राजेश दहिया उपसरपंच गोविंद कोल, पंच रवि पटेल, अनिकेत पटेल, वीरेंद्र पटेल, गुलाब कोल और ग्रामीणों कलेक्टर को दी शिकायत में बताया कि ग्राम पंचायत कुशयारी में श्मशान घाट की बाउंड्री वाल, ग्राम तिघरा में सीसी रोड और नाली का निर्माण स्वीकृत हुआ था। सचिव आशीष साहू ने कागजों में इन तीनों निर्माण कार्यों को पूरा दिखा दिया और 1255500 रुपए की राशि खाते से आहरित कर ली, जबकि वास्तविकता में निर्माण कार्य हुआ ही नहीं है। यह सरासर सरकार के पैसे का गबन कर भ्रष्टाचार का मामला है।
पंचायत में 6 माह व्यय के नहीं दिए दस्तावेज
सरपंच पंच सहित ग्राम के नवीन शुक्ला शिवम शुक्ला सौरव दुबे गुड्डू विश्वकर्मा अशोक पटेल निरंजन पटेल जगदीश पटेल विजय पटेल लल्लू पटेल ने कलेक्टर को बताया कि तत्कालीन सचिव आशीष साहू ने 1 अप्रैल 2022 से 12 सितंबर 2022 (लगभग छह माह) तक के ग्राम पंचायत के व्यय के कोई भी दस्तावेज पेश नहीं किए हैं। मामले की जांच होने तक सचिव का स्थानांतरण और कार्यमुक्त न किया जाए। ग्राम पंचायत के अकाउंट में कोई भी राखी नहीं बची है साथ ही जिस निर्माण कार्य के बिल लगाए गए हैं उसका भी कहीं अता पता नहीं है।
खुद की ट्रेडिंग कंपनी के बिल सचिव लगा देता है ग्राम पंचायत
सूत्रों की मानें तो संबंधित सचिव खुद की ट्रेडर्स कंपनी चलाता है। जिस ग्राम पंचायत में सचिव पदस्थ होता है वहां के निर्माण कार्यों में उपयोग में लाई जाने वाली सीमेंट, गिट्टी, रेत और लोहे के खुद की ट्रेडिंग कंपनी के बिल बकायदा लगा देता है। मामले की गहराई से जांच की जाए तो लाखों का फर्जीवाड़ा सामने आ सकता है।