नगर परिषद अधिकारी–कर्मचारी और शासन–प्रशासन को आर्थिक क्षति पहुंचाने का बड़ा खेल उजागर
मझौली जबलपुर
नगर मझौली में इन दिनों करोड़ों रुपये की लागत से इमारतों का निर्माण धड़ल्ले से किया जा रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि इन भवनों के लिए न तो डायवर्सन की अनुमति ली गई है और न ही नगर परिषद से बिल्डिंग परमिशन।
स्थानीय सूत्रों का आरोप है कि यह पूरा खेल नगर परिषद के अधिकारियों–कर्मचारियों की मिलीभगत और संरक्षण में चल रहा है। शासन को मिलने वाले करोड़ों के राजस्व की जाने-अनजाने में नहीं, बल्कि सुनियोजित तरीके से चोरी की जा रही है।
जिन सवालों पर उठ रही है उंगली
* आखिर किसके दबाव में नगर परिषद आंख मूंदकर बैठी है?
* क्यों नहीं हो रहा है अवैध निर्माणों पर तत्काल रोक और कार्यवाही?
* शासन-प्रशासन को हो रही करोड़ों की आर्थिक क्षति की जिम्मेदारी कौन लेगा?
स्थानीय नागरिकों ने साफ कहा है कि नगर परिषद की चुप्पी से यह स्पष्ट है कि बिना संरक्षण के इतने बड़े स्तर पर अवैध निर्माण संभव ही नहीं।
जिला प्रशासन तुरंत इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराए और दोषी अधिकारी-कर्मचारियों पर कठोर कार्रवाई हो।