नागौद : यहां घर के जोगी को ही माना गया सिद्ध, इस बार रोचक मुकाबला एक विश्लेषण के अनुसार श्रीमती संध्या कुशवाहा नंबर एक पर हैं
सतना
नागौद यदुवंशी ननकू यादव विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की खासियत रही है कि उन्होंने घर के जोगी को ही सिद्ध माना है। यहां से वर्तमान में हाथापाई विधायक नागेंद्र सिंह विधायक हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में अधिकांश स्थानीय प्रत्याशी ही चुनाव जीतता आया है और हमेशा से ही कांग्रेस और भाजपा में टक्कर रही है। यहां अन्य पार्टियों के प्रत्याशियों को मतदाताओं ने ज्यादा पसंद नहीं किया है।
विधानसभा चुनाव में भी भाजपा और कांग्रेस में ही टक्कर रहेगी। अब दोनों ही पार्टी अच्छी तरह से जान चुकी हैं कि स्थानीय प्रत्याशी ही पार्टी को जीत दिला सकते हैं, इसलिए दोनों पार्टी स्थानीय व्यक्ति को ही टिकट देने की रणनीति पर काम कर रही हैं। यहां के मतदाता यह मानते हैं कि विधायक ने यहां के मुद्दों पर संघर्ष जरूर किया है, लेकिन उन पर खरा उतर नहीं पाए हैं, वहीं भाजपा सरकार के कामकाज से भी जनता संतुष्ट नहीं दिख रही है।
ऐसे में दोनों प्रमुख पार्टियों में कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है। इस विधानसभा सीट पर ठाकुर जाति के मतदाता अधिक संख्या में होने के कारण निर्णायक भूमिका में रहते हैं। इसके आधार पर भी भाजपा और कांग्रेस अपने उम्मीदवारों का चयन करती हैं। वैसे तो भाजपा और कांग्रेस में बेहद रोचक मुकाबला होने की उम्मीद ज्यादा है लेकिन यदि तीसरी पार्टी की बात करें तो अगर दमदार उम्मीदवार खडा़ हुआ बसपा भी चुनौती दे दे सकती है।। आगामी चुनाव में भाजपा, कांग्रेस व बसपा में जीत-हार का अंतर कम ही रहेगा।
इस बार जनता की नजर महिला प्रत्याशी की ओर झुकाव अधिक दिख रहा
जानकारों की माने तो वर्तमान में 2 महिला प्रत्याशी कांग्रेस से टिकट के दावेदार हैं डॉ रश्मि पटेल तो अपनी किस्मत 2018 में लगा चुकी परंतु एक युवा महिला प्रत्याशी उभरती हुई वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य नागौद विधानसभा के वार्ड नंबर 6 से जर्नल सीट से भारी बहुमत से विजय हुई थी वह डॉ रश्मि पटेल से अधिक प्रबल है जबकि पिछले चुनाव में डॉ रश्मि पटेल को पिछड़ा वर्ग समुदाय काफी वोटिंग किया था एक अनुमान के अनुसार आज की परिस्थिति बदल चुकी है पिछड़ा एवं आदिवासी क्षेत्र माने जाने वाला परस्मानिया पठार आज श्रीमती संध्या कुशवाहा की ओर अधिक झुकाव है जिससे उनका पक्ष मजबूत माना जा रहा क्योंकि एक सर्वे के अनुसार कुशवाहा समाज नागौद विधानसभा में श्रीमती संध्या कुशवाहा को अपना नेता मान चुका है 40 से 45 हजार कुशवाहा वोटर है इसलिए इनका पक्ष मजबूत माना जाता है आदिवासी समुदाय से भी श्रीमती संध्या कुशवाहा को अपना नेता मान रही है सरल रवभाव एवं मिलनसार महिला नेता मानी जाती है। समीकरण की बात की जाए तो कांग्रेस की एक प्रबल दावेदार मानी जाती है अब देखना यह है कि कांग्रेश किन के ऊपर अपना दाव खेलती है एक पूर्व विधायक यादवेंद्र सिंह है दूसरी डॉ रश्मि पटेल जबकि दोनों में विद्रोह हैं। जबकि संध्या कुशवाहा किसी गुटबाजी में नहीं है एक कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में काम कर रही है
जातीय समीकरण –
पिछड़ा आदिवासी दलित की संख्या अधिक होने के कारण उम्मीदवार पिछड़ा होना चाहिए जबकी …….
ठाकुर, ब्राह्मण के अलावा अन्य जाति के मतदाता निर्णायक भूमिका में रहते हैं। टिकट का वितरण जातिगत आधार पर किया जाना चाहिये।
क्षेत्र की बड़ी समस्याएं
नागौद में स्थायी रूप से एक बड़े बस स्टैंड का निर्माण न होने से वहां पर आए दिन दुर्घटनाएं व जाम की स्थिति बनी रहती है। किसानों के लिए सिंचाई के साधन अभी तक उपलब्ध कराने में सुध नहीं ली जा रही हे। कृषि उपज मंडी में फैली अव्यवस्था किसानों के लिए एक बड़ी समस्या है।
वर्तमान में मैदानी स्थिति
नागौद क्षेत्र के मतदाताओं में सरकार के खिलाफ काफी असंतोष है। यहां के मतदाता क्षेत्रीय विधायक के कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं, कामकाज से असंतुष्ट हैं। लेकिन स्थानीय समस्याओं के प्रति भाजपा के जनप्रतिनिधियों के इस रवैये से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।