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Monday, June 23, 2025

कलेक्टर की संवेदनशीलता से कलेक्टर कार्यालय हुआ प्लास्टिक मुक्त,

 विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष

 जिले के अन्य बड़े कार्यालय भी होंगे प्लास्टिक मुक्त -कलेक्टर

 एक लाख रुपए से अधिक की प्रत्येक माह बचत

सागर

कलेक्टर श्री संदीप जी आर की संवेदनशीलता से कलेक्टर कार्यालय पूर्ण रूप से प्लास्टिक मुक्त हो गया है और अब शीघ्र ही जिले के अन्य बड़े कार्यालय भी प्लास्टिक मुक्त होंगे। कलेक्टर से संदीप जी आर ने बताया कि प्लास्टिक शरीर के लिए अत्यंत घातक है और इससे अनेक रोग उत्पन्न होते हैं जिससे कि मानव हानि भी हो सकती है इसी को ध्यान में रखते हुए सागर कलेक्टर के रूप में 5 सितंबर 2024 को कार्यभार ग्रहण करने के तत्काल पश्चात कलेक्टर कक्ष सहित संपूर्ण कार्यालय में प्लास्टिक की बोतल सहित अन्य सामग्रियों को प्रतिबंधित किया गया और कांच की बोतल एवं गिलासों को प्लास्टिक का स्थान दिया गया।

कलेक्टर कार्यालय में प्लास्टिक प्रतिबंध होने से न केवल प्रतीक माह में होने वाली आर्थिक व्यय को भी बचाया गया बल्कि रोगों से भी मुक्ति दिलाई गई। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार रोगों से मुक्ति दिलाने के लिए समय-समय पर एवं प्रत्येक मंगलवार को स्वास्थ्य शिविर लगाया जाता है जिससे कि सभी कर्मचारियों, अधिकारियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा सके। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार प्लास्टिक सामग्री के रूप में फाइलों को भी प्रतिबंधित किया गया और अब इसकी जगह ई-फाइल का उपयोग किया जाने लगा है इसी के साथ कार्यालय में बैठकों के दौरान प्लास्टिक बैनर, पोस्टरों को भी प्रतिबंधित सभाकक्ष में लगाई गई बड़ी एलइडी के माध्यम से जानकारी प्रदर्शित की जाने लगी है।

कलेक्ट्रेट में प्लास्टिक बॉटल्स पर प्रतिबंध लगाया तो हर महीने बच रहे करीब एक लाख रुपए

से अधिक

कलेक्ट्रेट में प्लास्टिक बोतल पर पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया है। यह प्रतिबंध कलेक्टर श्री संदीप जी आर ने सितंबर 2024 में लगाया था। इसके बाद से केवल कांच की बोतल का उपयोग किया जा रहा है। इससे पर्यावरण को होने वाले वाला नुकसान तो बच ही रहा है, साथ ही हर महीने एक लाख रुपए से अधिक की बचत हो रही है।

जिले में कलेक्ट्रेट पहला कार्यालय है जिसे प्लास्टिक मुक्त करने के लिए बैठकों में शामिल होने के लिए आने वाले अफसरों को दी जाने वाली प्लास्टिक बॉटल देने के चलन को पूरी तरह रोक दिया है। कलेक्टर कार्यालय में प्लास्टिक बोतल पर प्रतिबंध सितंबर 2024 से लगाया गया है। इसके बाद यहां होने वाली बैठकों में आने वाले अफसरों और जनप्रतिनिधियों को पीने का पानी कांच की बॉटल में दिया जा रहा है। इस पानी के लिए कलेक्ट्रेट में ही आरओ वाटर सिस्टम लगाया है। बैठकों से पहले कर्मचारी इसी से बॉटल भरकर सभाकक्ष में रख देते हैं। कलेक्टर कार्यालय में आयोजित होने वाली सभी बैठकों एवं कलेक्टर कार्यालय की सभी विभागों में प्लास्टिक की बोतलों का उपयोग पूर्णत प्रतिबंधित किया गया है। इसी प्रकार प्लास्टिक बोतलों का भी प्रतिबंधित कर किया गया जिससे की प्रत्येक माह में एक लाख तीस हजार रुपए से अधिक की बचत होने लगी और स्वास्थ्य भी ठीक रहने लगा।

कलेक्टोरेट कार्यालय की बैठकों में अब कांच की बोतल ही नजर आ रहीं हैं।

एक बैठक में 500 से एक हजार रुपए तक की बॉटल का उपयोग

प्रतिबंध लगाने से पहले तक कर कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में होने वाली प्रत्येक बैठक में 500 से एक हजार रुपए तक की बॉटल लग जाती थीं। महीने में चार टीएल के साथ ही राजस्व विभाग की समीक्षा बैठक सहित अन्य बैठकें होती थीं। इनमें से ज्यादातर बैठकें कलेक्टर द्वारा ही बुलाई जाती थीं। इसके अलावा अन्य विभागों की विभागवार समीक्षा बैठकें होती थीं। हर महीने लगभग़ छोटी बड़ी 25 बैठकें होती है। किसी दिन एक दिन में दो से तीन बैठके भी होती हैं इन सभी में शामिल होने वाले अफसर सहित उपस्थित लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए सैकड़ों प्लास्टिक बॉटल लाई जाती थीं।

➡️ कार्यक्रमों में प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध

कलेक्टर कार्यालय में तथा यहां होने वाली बैठकों में केवल कांच की बॉटल का उपयोग शुरू करने के बाद प्लास्टिक बोतल का प्रयोग पूरी तरह बंद कर दिया है। इसकी शुरुआत कलेक्टर कक्ष से की गई। पूरे कार्यालय सहित यहां होने वाली छोटी-बड़ी बैठकों में भी प्लास्टिक की पानी की बोतल के स्थान पर कांच की बोतल का उपयोग शुरू किया, जिससे 500 से लेकर 1000 रुपए प्रत्येक बैठक में बचत होने लगी। अब इसके बाद जिला प्रशासन के कार्यक्रमों में भी प्लास्टिक बोतल को प्रतिबंधित कर दिया है। कार्यक्रमों में पानी के जार बुलवाए जा रहे हैं। इसके पास ही गिलास रखकर पानी की व्यवस्था की जा रही है।

➡️ मीटिंग में कपड़ा के बैनर का उपयोग, डिजिटल बैनर भी

बैठक या अन्य कार्यक्रमों में प्लास्टिक बैनर्स की जगह कपड़े से बने बैनर या डिजिटल बैनर का उपयोग किया जा रहा है ताकि प्लास्टिक का उपयोग कम किया जा सके। कलेक्टर के निर्देश हैं कि एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर्स रिस्पॉसिबिलिटी (ईपीआर) के तहत भी नगर निगम, जिला पंचायत, एसडीएम, सीएमओ और जनपद सीईओ सभी कार्रवाई करें। ईपीआर के अंतर्गत उत्पादकों को अपने उत्पादों के जीवन के अंत तक पर्यावरण के हिसाब से उनका सही प्रबंधन करना होता है।

कलेक्टर श्री संदीप जी आर ने बताया कि कलेक्टर कार्यालय एवं अन्य विभागों के साथ-साथ जिला प्रशासन के द्वारा आयोजित होने वाले सभी बड़े-बड़े कार्यक्रमों में भी प्लास्टिक बोतल का उपयोग प्रतिबंधित किया गया है इसके लिए उन्होंने कार्यक्रमों में कांच की बोतल एवं गिलास का ही उपयोग करने के निर्देश दिए गए हैं जिसका पालन किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि कलेक्टर कार्यालय से इसकी शुरुआत हुई। इसके बाद पूरे कलेक्ट्रेट में प्रतिबंध लगाया। अब जिला प्रशासन के सभी कार्यक्रमों में भी प्लास्टिक बोतल को प्रतिबंधित कर दिया है। इससे आर्थिक बचत हो ही रही है। सबसे ज्यादा बचाव पर्यावरण की हो रहा है। कलेक्टर श्री संदीप जी आर ने बताया कि मेरा प्रयास है कि कलेक्टर कार्यालय के अतिरिक्त जिले के सभी बड़े-बड़े कार्यालय में भी प्लास्टिक प्रतिबंधित किया जाए एवं प्लास्टिक मुक्त कार्यालय बनाया जाए।

सुंदरलाल बर्मनhttps://majholidarpan.com/
Sundar Lal barman (41 years) is the editor of MajholiDarpan.com. He has approximately 10 years of experience in the publishing and newspaper business and has been a part of the organization for the same number of years. He is responsible for our long-term vision and monitoring our Company’s performance and devising the overall business plans. Under his Dynamic leadership with a clear future vision, the company has progressed to become one of Hindi e-newspaper , with Jabalpur district.

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